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GMCH:सही निदान व तुरंत इलाज से पाया एक नया जीवन

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12 Mar 21
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 GMCH:सही निदान व तुरंत इलाज से पाया एक नया जीवन
लम्बे समय से तेज़ सांस चलने की बीमारी से पीड़ित रोगी ने सही निदान व तुरंत इलाज से पाया एक नया जीवन
 
आज के समय में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि जटिल से जटिल बीमारी होने पर भी रोगी की जान आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके आमतौर पर बचायी जा सकती है| रोगी के हॉस्पिटल आते ही यदि कुशल विशेषज्ञ द्वारा उसका सही परिक्षण कर आवश्यक इलाज का निर्धारण हो जाये तो रोगी का संभवतः सटीक इलाज हो सकता है जिससे आमतौर पर रोगी घातक बीमारी पर भी विजय पा सकता है| पिछले कई वर्षों से बांसवाडा निवासी रोगी ने स्थानीय हॉस्पिटल एवं अहमदाबाद जाकर भी इलाज करवाया परन्तु सेहत में कोई सुधार नही हुआ| कुछ माह पूर्व रोगी को गीतांजली हॉस्पिटल में लाया गया यहाँ आने पर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. गौरव छाबड़ा एवं कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी एवं उनकी टीम के अथक प्रयासों से रोगी को पुनः जीवनदान मिला|
क्या था मसला:
डॉ. गौरव ने रोगी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि रोगी को जब गीतांजली हॉस्पिटल लाया गया तब उसे काफी लम्बे समय से सांस लेने में तकलीफ़ की शिकायत थी| गीतांजली हॉस्पिटल आने पर रोगी का पूरा परिक्षण किया, उसकी लेटने और चलने पर श्वास चलने की समस्या के कारण रोगी को फेफड़ों का इलाज दिया जा रहा था | डॉ. गौरव ने यह भी बताया कि रोगी के परिक्षण के दौरान उनको रोगी के ह्रदय से जुड़ी समस्या का अंदेशा लग रहा था, ऐसे में रोगी के ह्रदय का सी.टी. स्कैन किया गया जोकि अभी तक नही किया गया था| सी.टी. स्कैन में पाया गया कि ह्रदय के दाहिने चैम्बर के पीछे खून की नली फूल के गुब्बारा (एनयूरज्म) बन गयी थी, ये एनयूरज्म कभी भी फट सकता था और रोगी के लिए प्राणघातक भी हो सकता था| रोगी की गंभीर हालत को देखते हुए डॉ. गौरव द्वारा तुरंत रोगी को कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी को रेफर किया गया जिससे कि रोगी का जल्द ऑपरेशन कर उसे स्वस्थ किया जा सके|
 
 डॉ. संजय गाँधी ने बताया कि रोगी के दिल की मुख्य नाड़ी का एनयूरज्म इतना ज़्यादा फूल गया था कि उसने दिल को पीछे से दबा दिया था जिस कारण दिल में खून का प्रवाह जो कि सामन्यतया होना चाहिए वह पर्याप्त रूप से नही हो पा रहा , इस वजह से फेफेड़ों में प्रेशर बढ़ने से रोगी को सांस लेने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी| इस रोगी की दिल की मुख्य नाड़ी के एनयूरज्म को हटाकर दूसरी नाड़ी लगाई गयी ताकि रोगी के दिल पर जो दबाव पड़ रहा था वह खत्म हो जाये और वह आराम से सांस ले सके और साथ ही एनयूरज्म के फटने से रोगी की जान जाने का डर था उससे भी रोगी को बचाया जा सके | डॉ. गाँधी ने यह भी बताया कि इस तरह के ऑपरेशन काफी जटिल होते हैं , यह ऑपरेशन आमतौर पर हर जगह करना संभव नही है| इस ऑपरेशन के दौरान रोगी को पूर्णतः बेहोश किया जाता है एवं एक मशीन के द्वारा जिसे हार्ट एंड लंग मशीन कहते है उससे पेट और पेट के नीचे वाले हिस्से के खून के प्रवाह को अलग किया जाता है| इस ऑपरेशन में लगभग 8-10 घंटे का समय लगा| रोगी के एनयूरज्म को बाहर निकल कर उसकी जगह ट्यूब लगाई गयी जो कि दिल की मुख्य धमनी की तरह काम कर रही है| रोगी का एनयूरज्म दिल, फेफेड़े, डायफ्राम से जुड़ा हुआ था इसमें छाती के साथ- साथ पेट को भी खोला गया, इस तरह की सर्जरी बहुत जटिल व बड़ी होती है| इस सर्जरी में खून का स्त्राव भी बहुत होता है, इस प्रकार की सर्जरी में हल्की सी चूक से यदि रोगी की दिमाग एवं नीचले हिस्से की सप्लाई को ठीक से ना रख पायें तो रोगी के ऑपरेशन के पश्चात् भी बहुत सी जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे कि लकवा, किडनी फेल इत्यादि| रोगी के इलाज की गंभीरता को समझते हुए पहले से ही पूरी तैयारी की गयी ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना ना हो| रोगी के शरीर को ठंडा किया जाता है जिससे की सारे अंग ठीक रहें| अंगों में खून का प्रवाह सही बना रहे इसके लिए ठीक तरह से दबाव रखा जाता है| सभी आवश्यक बिन्दुओं को ध्यान में रखते हुए रोगी का सफलतापूर्वक इलाज किया गया, रोगी अभी स्वस्थ है एवं हॉस्पिटल से छुट्टी दी जा चुकी है|
जी.एम.सी.एच सी.ई.ओ प्रतीम तम्बोली ने बताया कि गीतांजली ह्रदय रोग विभाग एवं पल्मोनोलॉजी और श्वसन चिकित्सा विभाग सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लेस है| यहाँ आने वाले प्रत्येक रोगी का परिक्षण करके उसका तुरंत एक्सपर्ट डॉक्टर्स की टीम द्वारा रियायती दरों पर इलाज निर्धारित किया जाता है जिससे कि वह जल्दी स्वस्थ पाते हैं| 
गीतांजली मेडिसिटी पिछले 14 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है| यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं एक ही छत के नीचे निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं|

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