GMCH STORIES

धड़कते दिल पर बिना बायपास मशीन के हुआ सफल ऑपरेशन

( Read 22209 Times)

20 Sep 20
Share |
Print This Page
धड़कते दिल पर बिना बायपास मशीन के हुआ सफल ऑपरेशन

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में कोरोना से सम्बंधित सभी नियमों का गंभीरता से पालन करते हुए निरंतर जटिल से जटिल ऑपरेशन व इलाज किये जा रहे हैं| ह्रदय रोग विभाग की टीम ने मात्र 6 महीने की बच्ची का अत्याधुनिक हाइब्रिड ऑपरेशन कर बिना ओपन हार्ट सर्जरी के तार के माध्यम से दिल में डिवाइस डालकर राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया। इस सफल इलाज करने वाली टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. संजय गाँधी, डॉ. अजय वर्मा, डॉ. पार्थ वाघेला, इंटरवेंशनल कार्डियोलोजिस्ट की टीम में डॉ. कपिल भार्गव, डॉ. रमेश पटेल, डॉ. डैनी मंगलानी, डॉ.शलभ अग्रवाल, व कार्डियक एनैस्थिस्ट डॉ. अंकुर गाँधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ.विपिन सिसोदिया, डॉ. अर्चना देवतारा, डॉ.विधु चौधरी, डॉ. रेणुका गुप्ता तथा ओ.टी. स्टाफ, कैथलैब स्टाफ, आई.सी.यू स्टाफ का बखूबी योगदान रहा जिससे कि रोगी को पुनः जीवनदान मिला|

क्या था मसला:

मुंबई निवासी छः महीने की रोगी की माँ श्रीमती रिंकू ने बताया कि जब उसकी बेटी का जन्म हुआ तब उसका वजन 4 किलोग्राम था, परन्तु जब बच्ची बड़ी होने लगी उसे बार- बार बुखार आना, खांसी आना जैसे परेशानियां होने लगी, इस दौरान बच्ची को लेकर वो जालोर अपने पीहर आई तब जालोर के स्थानीय डॉक्टर को दिखाया, डॉक्टर ने बताया कि बच्ची के दिल की धड़कन सामान्य बच्चों से बहुत अधिक है और इसे दिल की जन्मजात बीमारी है| डॉक्टर के कहने पर रोगी को सभी सुविधाओं से लेस टर्शरी केयर सेंटर गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर भेजा गया| यहाँ बच्ची की इकोकार्डियोग्राफी की गयी, जिसमे दिल में दो छेद और एक पी.डी.ए(दोनों महाधमनियों के बीच में कम्युनिकेशन) का पता चला| बच्ची अभी बहुत छोटी थी इसलिए इसे पहले दवाई दी गयी, परन्तु बच्ची को दवाई देने से कोई फायेदा नही मिला और ना ही उसका शारीरिक विकास हुआ, ऐसे में जल्दी ऑपरेशन का निर्णय लिया गया|

किस तरह किया गया सफल उपचार:

डॉ संजय गाँधी ने बताया कि छः महीने की बच्ची गर्विता (परिवर्तित नाम) का गीतांजली हॉस्पिटल के ह्रदय रोग विभाग की टीम द्वारा ह्रदय का हाइब्रिड ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया गया, यह इस तरह का ये दूसरा ऑपरेशन है जो कि गीतांजली हॉस्पिटल में किया गया है जिसमे कि ह्रदय शल्य चिकित्सकों व ह्रदय रोग विशेषज्ञों की टीम ने मिलकर रोगी का उपचार करती है, दोनों ही ऑपरेशन के दौरान ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है|

इस बच्ची के जन्म का वजन 4 किलोग्राम था और छः माह बाद वजन घट कर 3. 90 किलोग्राम रह गया था, बजाय कि वजन बड़े, वजन और कम हो गया था| ऑपरेशन करने से पहले रोगी की इकोकार्डियोग्राफी की गयी जिसमे पाया कि दिल के दो छेद में से जो सबसे बड़ा छेद था, वह दिल के बिल्कुल नीचे वाले हिस्से में था, जिसको कि (ओपन हार्ट) ऑपरेशन के द्वारा बायपास की मशीन पर डालकर बंद करना बहुत मुश्किल होता है| बहुत बार छेद बंद करने में कठिनाई आती है और बंद भी नही होता है|

इस रोगी के दिल को नहीं खोला गया सिर्फ छाती को खोलकर और बिना हार्ट एवं लंग मशीन(बायपास)पर डाले, बिना दिल को खोले वेंट्रिकल (ह्रदय के अन्दर स्तिथ गुहा) से बाहर से ही एक तार डालकर डिवाइस को दिल में डाला गया, जिससे दिल का छेद बंद हो गया और साथ ही महाधमनियों जो आपस में चिपकी हुई थी उन्हें भी ठीक कर दिया गया| बच्ची की तीन जन्मजात बिमारियों में से दो ज्यादा बड़ी बिमारियों का इलाज सफलतापूर्वक हो गया| सबसे छोटे छेद को छोड़ दिया गया क्यूंकि उसको बंद करने के लिए बच्ची के दिल को खोलना पड़ता चूँकि छेद बहुत छोटा था और कई बार देखा गया है इतना छोटा छेद शारीरिक विकास के साथ स्वयं भी बंद हो जाता है और बाद में ऑपरेशन की भी आवश्यकता नही पड़ती|अब बच्चे के बड़े दो छेद बंद हो गये जिससे कि बच्ची की शारीरिक विकास आराम से हो सकेगा|

बच्ची अब बिल्कुल स्वस्थ है उसे हॉस्पिटल से दसवें दिन छुट्टी दे दी गयी है, और यदि इस बच्ची का ओपन हार्ट ऑपरेशन होता या हार्ट एवं लंग मशीन पर डालकर ऑपरेशन करते तो रोगी की जान को खतरा हो सकता था| ऐसे में रोगी का हाइब्रिड तकनीक द्वारा ऑपरेशन वास्तव में एक बहुत बड़ी सफलता है| सामान्यतया इस तरह बहुत ही कम वजन वाले बच्चे ऑपरेशन के बाद भी स्वस्थ होने में बहुत समय लेते हैं परन्तु इस बच्ची की रिकवरी बहुत तेज़ हुई और गीतांजली हॉस्पिटल के शिशु रोग विभाग के एच.ओ.डी. डॉ. देवेन्द्र सरीन व नेओनाटोलोजिस्ट डॉ. बृजेश झा द्वारा ऑपरेशन के पश्चात की देखभाल में बहुत सहयोग रहा|

जी.एम.सी.एच के सी.इ.ओ प्रतीम तम्बोली ने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन में हृदय शल्य चिकित्सा एवं हृदय रोग विशेषज्ञ दोनों मिलकर ऑपरेशन करते है और गीतांजली हॉस्पिटल में एक ही छत के नीचे यह सब सुविधाएं उपलब्ध हैं| गीतांजली मेडिसिटी पिछले 13 वर्षों से सतत् रूप से मल्टी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के रूप में परिपक्व होकर चुर्मुखी चिकित्सा सेंटर बन चुका है| यहाँ एक ही छत के नीचे जटिल से जटिल ऑपरेशन एवं प्रक्रियाएं निरंतर रूप से कुशल डॉक्टर्स द्वारा की जा रही हैं| गीतांजली ह्रदय रोग विभाग की कुशल टीम के निर्णयानुसार रोगीयों का सर्वोत्तम इलाज हार्ट टीम अप्प्रोच द्वारा निरंतर रूप से किया जा रहा है जोकि उत्कृष्टा का परिचायक है|


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like