GMCH STORIES

फिल्म में रवि किशन का उत्कृष्ट अभिनय, निर्देशक राजेश मोहनन ने पेश की भारतीय सभ्यता, संस्कृति और अखंड भारत की सच्ची तस्वीर

( Read 3127 Times)

01 Apr 24
Share |
Print This Page

फिल्म में रवि किशन का उत्कृष्ट अभिनय, निर्देशक  राजेश मोहनन  ने पेश की  भारतीय सभ्यता, संस्कृति और अखंड भारत की सच्ची तस्वीर

कलाकार:  रवि किशन, प्रमोद पाठक, लाल, कियान,सुशील सिंह, इंडी थंपी व अन्य  
लेखक: साईं नारायण 
निर्देशक : राजेश मोहनन 
निर्माता : प्रितेश शाह, सलिल शंकरन, रवि किशन   
रिलीज डेट: 29 मार्च 2024  
रेटिंग : 4 स्टार   

भारत वर्ष ऋषि मुनियों का देश रहा है और इन संतों की परंपरा की वजह से ही भारतीय संस्कृति अपना अस्तित्व बनाए हुए है। हमारी संस्कृति को सदियों से विरोधी ताकते मिटाने का षड्यंत्र रचती रची है, हमारे मंदिरों को तोड़ा गया, लेकिन भारत अखंड रहा है और सदियों तक अखंड रहेगा क्योकि भारत ही ऐसी भूमि है जहां पर देवताओं ने अवतार लिए। इस धरती को शिव की धरती कहा जाता है। अभिनेता रवि किशन की फिल्म 'महादेव का गोरखपुर' भगवान शिव के प्राणलिंग और उनके सर्वश्रेष्ठ सेनापति वीरभद्र की बहादुरी पर आधारित है। इस फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि भारत वर्ष सदियों से विश्व गुरु रहा है और आगे भी रहेगा। यह फिल्म भारतीय सभ्यता, संस्कृति और अखंड भारत की सच्ची तस्वीर पेश करता है। 

फिल्म की कहानी की शुरुआत साल 1525 की घटना से होती है जब विश्वनाथ की परंपरा को विदेशी ताकतें  नष्ट करना चाहती है। आयुध पूजा के दिन विदेशी आक्रमणकारी  शिव मंदिर पर हमला करके कई शिव भक्तों को मार देते हैं। इससे पहले विदेशी आक्रमणकारी शिवलिंग को छति पहुंचाते आचार्य सेतु शिवलिंग को उठाकर जल समाधि लेते हैं और बालसेतू की मृत्यु हो जाती है। इस फिल्म की कहानी पुनर्जन्म से जुड़ी हैं। आचार्य सेतु, बालसेतू ,वीरभद्र का पुनर्जन्म होता है और अपने पिछले जन्म के अधूरे काम को पूरा करते हैं। इस फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है जब -जब शिवलिंग को छति पहुंचाने की कोशिश की गई, भगवान शिव के रूद्र अंश भारत की भूमि पर अवतरित हुए और विदेशी आक्रमणकारी से हमेशा शिवलिंग की रक्षा करते हुए हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाया रखा। 
 
इस फिल्म की कहानी का आधार भले ही काल्पनिक है, लेकिन इस फिल्म के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि आखिर में भगवान शिव ने पृथ्वी पर आने के लिए भारत के ही तिकोने स्थल को ही क्यों चुना ? इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण क्या रहे है। विदेशी आक्रमणकारियों ने कई बार हमारे देश के मदिरों को लुटा, तोड़ा, लेकिन यह भूमि अखंड रही है और आज फिर से भारत देश विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। 13 हजार वर्ष, 14 हजार अमावस के बीच प्राणलिंग की क्या महत्त्ता है, इस फिल्म के जरिए समझने को मिलता है। फिल्म के लेखक साईं नारायण ने फिल्म की कहानी ऐसी लिखी है जो शुरू से अंत तक दर्शकों को बांधे रहती है। यह फिल्म धर्म और विज्ञान के बीच बेहतर समाजस्य पेश करता है। 

इस फिल्म में रवि किशन का वीरभद्र और डीआईजी पंकज पांडे के किरदार में उत्कृष्ट अभिनय रहा है। दोनों भूमिकाओं को उन्होंने पर्दे पर बखूबी पेश किया। वीरभद्र की भूमिका में जहां वह रुद्र के अंश की भूमिका में जबरदस्त दिखें तो वहीं डीआईजी पंकज पांडे की भूमिका में उनके अभिनय का एक अलग ही आयाम दिखा। मुर्तजा अब्बासी की भूमिका में प्रमोद पाठक अपना अलग छाप छोड़ते हैं। लाल, कियान,सुशील सिंह, इंडी थंपी और फिल्म के बाकी कलाकारों ने अपनी - अपनी भूमिका से न्याय करने की पूरी कोशिश की है। भोजपुरी सिनेमा में यह एक नया प्रयोग है। रवि किशन ने इस फिल्म के माध्यम से बहुत ही साहसिक कदम उठाया है और इस फिल्म को हिंदी और भोजपुरी के साथ तमिल, तेलुगु और कन्नड़ भाषा में भी रिलीज किया। इस फिल्म में रवि किशन और फिल्म के निर्देशक राजेश मोहनन के बीच बहुत ही अच्छा तालमेल देखने को मिला है। 


इस फिल्म की सिनेमाटोग्राफी बहुत ही खुबसुरत है। अरविंद सिंह ने फिल्म के एक एक फ्रेम को बहुत ही खुबसुरती के साथ सजाया है। अजीश अशोकन की एडिटिंग कमाल की है। संगीतकार अगम अग्रवाल और रंजिम राज का संगीत बेहतर है। इस फिल्म के निर्देशक राजेश मोहनन इससे पहले साउथ की कई फिल्में निर्देशित कर चुके हैं। भोजपुरी और हिन्दी में उन्होंने पहली बार इस फिल्म का निर्देशन किया है और यह फिल्म भोजपुरी और हिंदी के अलावा तमिल, तेलुगु और कन्नड भाषा में भी रीलीज हुई है। इस फिल्म का फ्लेवर उन्होंने ऐसा रखा है कि पैन इंडिया के लिए यह फिल्म पूरी तरह से खरी उतरती है। फिल्म के निर्देशक राजेश मोहनन की खासियत यह रही है इस फिल्म को उन्होंने जिस तरह से दो कालखंडों के बीच सामजस्य बैठाया है वो बहुत ही कबीले तारीफ है। फिल्म के एक - एक दृश्य को उन्होंने ऐसा पेश किया है कि एक तरह जहां फिल्म देखकर रोंगटे खड़े हो जाते है वहीं इस फिल्म के जरिए दर्शकों को ऐसे अनसुने पहलुओं से रूब रू होने के मौका मिला है, जो एक खास संदेश देती है । फिल्म के एक्शन दृश्य काफी प्रभवशाली हैं।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Entertainment
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like