GMCH STORIES

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में होंगे शरीककुलपति प्रो. सारंगदेवोत

( Read 6205 Times)

01 Aug 24
Share |
Print This Page
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में होंगे शरीककुलपति प्रो. सारंगदेवोत


उदयपुर  विश्व में द्वितीय रैंक प्राप्त कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय युके की ओर से आगामी 8-11 अगस्त को आयोजित अन्तरराष्ट्रीय  ‘ग्लोबल रिसर्च कांफ्रेसं’ में जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय  के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत मुख्य वक्ता के रूप में भाग लेंगे। संगोष्ठी में विश्व के प्रमुख शिक्षाविद, नीति निर्माता और विशेषज्ञ विश्व के विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और समाधानों की खोज करेंगे। इसका उद्देश्य सामयिक अनुसंधान और रणनीतियों को ज्ञात करना है, जिन्हें विश्व की बेहतरी के लिए लागू किया जा सके।
प्रो. सारंगदेवोत सतत विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुख्य वक्तव्य देंगे। सतत् विकास भारत के हजारों वर्ष पुराने शुभ शब्द से जन्मा है। भारत में इस शब्द को सनातन, सतत् ( शुभ ) विकास जैसे शब्दों के साथ जोड़ा गया है। भारत में शुभ शब्द लाभ के साथ इसलिए जोड़ा जाता है जिससे व्यक्ति लालची बनकर प्रकृति को कष्ट ना पहुंचाए। प्रकृति हमें विरासत में मिली है। इसका रक्षण-संरक्षण हमारी जिम्म्मेदारी है। हम इससे जो ले रहे हंै वह हमारे बच्चों का हम पर उधार व कर्ज है। हमें जीवित  रहते हुए ही इसे पुनः आने वाली पीढ़ी में हस्तांतरित करनी है। प्रो. सारंगदेवोत ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा को सम्पूर्ण विश्व अपनाने को  लालायित हंै और यही ज्ञान गंगा भारत को पुनः विश्व गुरू बनाने में सहायक होगी। भारतीय मूल ज्ञान मंत्र में सतत विकास का अर्थ सनातन है। भारतीय शास्त्रों में सनातन विकास के बारे में कहा गया है कि जिसका कोई अंत न हो। जिसमें सदैव नित्य नूतन निर्माण होता रहे। लेकिन ऐसा निर्माण जिसमें विनाश, बिगाड़ और विस्थापन ना होता हो, वही सतत विकास है।
उनके वक्तव्य में, उच्च शिक्षा और अनुसंधान में सतत विकास, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट, स्थायी आर्थिक विकास हेतु रणनीतियाँ, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण विषय सम्मिलित हैं।
इससे पूर्व भी प्रो. सारंगदेवोत ने सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विभिन्न पहलों और शोध परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस संगोष्ठी में उनकी भागीदारी वैश्विक मंच पर उनके ज्ञान, विशेषज्ञता और उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like