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प्रकृति अनूकूल जीवन शैली व  सेवा भाव  से ही  बचेगी मानव सभ्यता : डॉ प्रियदर्शी 

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31 Dec 23
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प्रकृति अनूकूल जीवन शैली व  सेवा भाव  से ही  बचेगी मानव सभ्यता : डॉ प्रियदर्शी 

जलवायु परिवर्तन की विभीषिका के इस गंभीर दौर में प्रकृति अनूकूल जीवन शैली व  सेवा भाव  से ही मानव सभ्यता बच पाएगी। राष्ट्रीय सेवा योजना जैसी गतिविधियां  सेवा भाव को जागृत व पुष्ट करती है। 

यह विचार विद्या भवन के मुख्य संचालक डॉ  अनुराग प्रियदर्शी ने रविवार को व्यक्त किये। 

विद्या भवन पॉलिटेक्निक की एन एस एस इकाई के विशेष शिविर में समापन सत्र में डॉ प्रियदर्शी ने कहा कि सृष्टि निर्माण व विकास के क्रम में हिंसक जानवरों व अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद मानव  बच पाया क्योंकि  मानव समाज ने    सेवा भाव से परिपूर्ण सामूहिकता  को अपनाया। 

 समाजविद शैलेन्द्र बारहठ ने  जीवन मे अच्छी संगति के महत्व को समझाया।  अध्यक्षता प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने की। 

संयोजक गौरांग शर्मा ने बताया कि शिविर के विशेष सत्रों में पूर्व कुलपति डॉ मनोहर कालरा, चिकित्सक डॉ दीपक जोशी, विवेकानंद केंद्र के डॉ पुखराज सुखलेचा, शिक्षाविद महिपाल सिंह, जय प्रकाश श्रीमाली , वरिष्ठ पत्रकार डॉ भारत भूषण , आयुर्वेदिक महाविद्यालय के डॉ किशोरी लाल, पर्यावरण संरक्षण गतिविधि के कार्तिकेय नागर ने संबोधित किया। योगाचार्य  भरत श्रीमाली ने योगासन करवाये।   शिविरार्थियों ने मनोहर पुरा बस्ती में साक्षरता व नशा मुक्ति पर जनजागरण किया।  शिविरार्थियों ने स्वच्छता व रक्तदान का संकल्प लिया।


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