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वृक्ष धरा का भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं - सुशील महाराज 

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13 Aug 23
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वृक्ष धरा का भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं - सुशील महाराज 

वृक्ष हमारी धरती मां का शृंगार हैं। ये न केवल प्रदूषण दूर करते हैं, बल्कि मानव मन को भी शीतलता प्रदान करते हैं। हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक पौधा रोपकर उसके वृक्ष बनने तक उसका संरक्षण करना चाहिए। 

यह आह्वान अंतरराष्ट्रीय कथा व्यास सुशील महाराज ने रविवार को यहां बड़बड़ेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में चल रहे सनातनी चातुर्मास के तहत महा शिव पुराण कथा के चौथे दिन की कथा में किया। उन्होंने कहा कि हमें आज विचार करना होगा, नहीं तो प्रकृति हमें विचार करने का मौक़ा ही नहीं देगी। उन्होंने कहा कि भले ही घर टेढ़ा हो जाए, मगर वृक्ष न कटने पाए, ऐसा प्रयास करना होगा। हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए शुद्ध वायुमंडल चाहिए तो हमें वृक्ष लगाने होंगे। 

उन्होंने वृक्ष लगाने के कार्य को भी राजा भगीरथ की मां गंगा को पृथ्वी पर लाने जैसी तपस्या बताया। उन्होंने कहा कि आज के समय में नदियों के साथ हरियाली के लिए भी भगीरथ जैसी तपस्या की आवश्यकता हो चली है। भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तप किया था, हमें अपनी अगली पीढ़ियों के उद्धार के लिए जल-वायु की शुद्धता को संरक्षित व सवंर्धित करना होगा। 

कथा के चौथे दिन मां गंगा के पृथ्वी पर अवतरण का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मां गंगा में स्नान का कितना महत्व है, इसे अहिल्या के उद्धार के प्रसंग से समझा जा सकता है। अहिल्या के उद्धार के बाद भगवान राम का मन इस बात से खिन्न हुआ कि उन्होंने एक महिला पर अपने चरण रख दिए। इस भाव को समझकर गुरु विश्वामित्र ने उन्हें गंगा में स्नान करवाया। इसके बाद राम का मन शांत हुआ। 

कथा व्यास ने समझाया कि पाप हरने की भावना से जो भी गंगा मैया की शरण में जाता है, उसके मन में अपने द्वारा किए गए पाप के पश्चाताप का अहसास अवश्य होता है, तभी तो वह अपने पाप से उऋण होना चाहता है। पाप के अहसास और उसके पश्चाताप की स्थिति स्वतः ही व्यक्ति को पुनः सकारात्मकता की ओर अग्रेषित कर देती है। 

कथा के दौरान सुशील महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं से नशे को दुःख और सर्वस्व नाथ का कारण बताते हुए कहा कि नशा करना ही है तो हरिनाम का करना चाहिए। 

मीडिया संयोजक मनोज जोशी ने बताया कि बड़बड़ेश्वर महादेव के प्रांगण में दिगम्बर खुशाल भारती महाराज के सानिध्य में सनातनी चातुर्मास में नित्य प्रति अनुष्ठानों का क्रम जारी है। रविवार को दूरस्थ स्थानों से भी श्रद्धालु पुण्य लाभ प्राप्त करने पहुंचे। 25 जुलाई से शुरू हुए पंच पुराण कथाओं के क्रम में दूसरी महा शिव पुराण कथा में भी भजनों की सुमधुर प्रस्तुतियां श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर रही हैं। कथा का समय दोपहर 1.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक है। कथा 21 अगस्त तक चलेगी। शहर से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सूरजपोल व पानेरियों की मादड़ी से बड़बड़ेश्वर महादेव, बलीचा ट्रांसपोर्ट नगर के सामने तक बस सुविधा भी रखी गई है। चातुर्मास के तहत 15 अक्टूबर से 21 नवम्बर तक 54 कुंडीय मां बगलामुखी का हवन होगा। विश्व में अभी तक ऐसा अनुष्ठान कहीं नहीं हुआ है।


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