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पेसिफिक विश्वविद्यालय में इमोशनल इंटेलिजेंस एण्ड वेल बीइंग पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित    

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27 Apr 22
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पेसिफिक विश्वविद्यालय में इमोशनल इंटेलिजेंस एण्ड वेल बीइंग पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित    

पैसिफिक विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट एण्ड पेसिफिक स्कूल ऑफ लॉ ने संयुक्त रूप से अपने ज्ञान भागीदारों-इंडियन एकेडमिक रिसर्च एसोसिएशन (आई.ए.आर.ए) एवं वर्ल्ड विदाउट एंगर के सहयोग से इमोशनल इंटेलिजेंस (भावनात्मक बुद्धिमत्ता) एण्ड वेल बीइंग पर एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला ऑनलाइन प्रारूप में आयोजित की गई जिससे देश-विदेश से 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। 
    कार्यशाला में युवा वयस्कों में काम के दबाव के कारण चिन्ता, तनाव, अवसाद और भय से निपटने के तरीके पर ध्यान केन्द्रित किया गया। सेमीनार निदेशक प्रो महिमा बिरला ने बताया कि देश में युवा वयस्कों में चिंता, अवसाद, तनाव और भय जैसी नकारात्मक भावनाएं 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इमोशनल इंटेलिजेंस इन सकारात्मक भावनाओं को अवसर में बदलने में एवं हमारे कौशल को बढ़ाने में मदद कर ली है। 
अपनी भावनाओं को समय और स्थिति के हिसाब से मैनेज करना इंसान की बुद्धि ही है जो उसे इस पृथ्वी पर सबसे अच्छा प्राणी बनाती है, लेकिन बिना भावनात्मक बुद्धिमत्ता के इंसान आगे बढ़ने में सफल नहीं हो सकता है। चाहे वो करियर हो या जीवन का इमोशनल इंटेलिजेंस की हर जगह जरूरत होती है। 
मैट पेरेलस्टीन, सी.ई.ओ., ई.क्यु4पीस, वर्ल्डवाइड, केलिफोर्निया, यू.एस.ए. ने बताया कि इमोशनल इंटेलिजेंस के जरिए आप अपनी भावनाओं पर कंट्रोल या संतुलन रख सकते हैं। जिस तरह इंसान का आईक्यू उसे आगे बढ़ने में मदद करता है ठीक उसी तरह से ईक्यू का भी महत्व होता है। भावनात्मक रूप से बुद्धिमान व्यक्ति सामाजिक होता है, और दूसरों से प्रभावशाली रिश्ते बनाने में माहिर भी होता है। ऐसे लोग तनाव और अन्य मानसिक समस्याओं से भी मुक्त हो सकते हैं। आपने अपने आसपास ऐसे लोगों को भी देखा होगा जो इंटेलीजेंट तो हैं और बहुत अधिक परिश्रम भी करते हैं, लेकिन इन सबके बावजूद ऐसे लोग अगर किसी काम में सफल नहीं हो पाते हैं, तो इसका मतलब ऐसे व्यक्ति इमोशनल इंटेलिजेंस की दृष्टि से कमजोर हैं। आपकी आईक्यू भले ही कितना ही क्यों न हो लेकिन जब तक आपकी ईक्यू ठीक नहीं होगी आपको आगे बढ़ने में बहुत कठिनाई झेलनी पड़ सकती है। 
    डा. एंटीगोनोस सोचोस, डायरेक्टर रिसर्च सेन्टर फोर एप्पलाईड साइंकोलोजी, युनिवर्सिटी ऑफ बेडफोर्डसाईव, यू.के. ने मानव व्यवहार के मनोविज्ञान के बारे में बात की और अपने व्यवहार एवं अन्य लोगों के व्यवहार को बेहतर ढंग से समझने और सुधारने के लिए मार्गदर्शन किया।
    कार्यक्रम संयोजक प्रो. कुलविन्दर कौर ने बताया कि वर्तमान समय में इमोशनल इंटेलिजेंस प्रबंधकों एवं अन्य कर्मचारियों के लिए सबसे आवश्यक सॉफ्ट स्किल माना जा रहा है क्योंकि इस स्किल के माध्यम से न केवल प्रबंधक एवं कर्मचारी अपने काम या नौकरी को अधिक प्रभावशाली तरीके से कर पाते है बल्कि उनके साथियों द्वारा अधिक पसंद किए जाते है।
    वर्ल्ड विदाउट एंगर, नेपाल फाउण्डर देस मारडेन बासनेट ने बताया कि इमोशनल इंटेलिजेंस अपनों और अन्य लोगों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए भी बहुत जरूरी माना जाता है। कई शोध और अध्ययन इस बात पर जोर देते हैं कि जीवन और करियर में भी सफल होने के लिए इमोशनल इंटेलिजेंस बहुत आवश्यक होता है। इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ाने सबसे अहम भूमिका सेल्फ अवेयरनेस, मोटिवेशन, सहानुभूति, सेल्फ रेगुलेशन आदि को होना जरूरी हैं। इमोशनल इंटेलिजेंस को अचानक तेजी से बढ़ाया नहीं जा सकता है। आप अपनी सोच, कामकाज के तरीके और लोगों के प्रति अपने नजरिये में बदलाव लाकर इसे बढ़ा सकते हैं। इमोशनल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए आप इन बातों अपने अपने इमोशनल रिएक्शन, अपनी भावनाओं, सेल्फ अवेयरनेस, दूसरों की स्थिति, मोटीवेटेड, अच्छे रिश्ते, सकारात्मक दृष्टिकोण, दूसरों के प्रति नजरिया आदि इस तरह कि बातों को अपने जीवन में अपनाकर सफल हो सकते है।
 


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