वस्त्र एवं परिधान अभिकल्पन विभाग, सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा ‘‘पीपीई किट’’ निर्माण में निहित संभावनाएँ एवं कठिनाईयाँ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार के मुख्य अतिथि डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़, माननीय कुलपति महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर ने कहा कि कोविड की विषम परिस्थति में जनसाधारण को कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए मास्क पहनना आवश्यक है इस हेतु बाज़ार में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के मेडिकल टास्क फोर्स के लिए पीपीई कीट भी एक अनिवार्य कवच है जिसका उत्पादन हमारे देश में कई कम्पनियों द्वारा किया जा रहा है। किट एवं मास्क की निरन्तर उपलब्धता अनिवार्य है। इस क्षेत्र में विद्यार्थियों को उचित प्रशिक्षण देकर तथा कौशल विकसित तकर उद्यमी बनाया जा सकता है।
विषय विशेषज्ञ एम.एस. वेदीशरण शिवानिसन,टेक्सटाइल टेक्नोलॉजिस्ट एवं जूनियर वर्क्स मेनेजर और (आॅरडनेंस क्लोरिंग फेक्टरी),ऐवाडी रक्षा मंत्रालय, चैन्नई ने आरम्भ में बतया किविगत दो वर्षो में कोविद महामारी के चलते उनकी फैक्ट्री ने विशेष रूप से इंडिजिनस मशीन तैयार कि ताकि प्रमाणीकृत फेस मास्क एवं कवरऑल तैयार किये जा सके एवं 1 लाख से अधिक मास्क एवं 3 लाख से अधिक कवरऑल बनकर सरकारी फर्म को वितरण हेतु बनाकर भेजे पुर्नउपयोगी तथा एकबार काम में लिये जाने वाले पीपीई किट व मास्क के बीच अंतर को समझाया। साथ ही इन्हें बनाने के उपयोग में आने वाले वस्त्रों में गुणवत्ता एवं इसके मापदण्ड कि विस्तार से चर्चा की। इनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाली अत्याधुनिक मशीनों के बारे में भी बताया।
अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में डाॅ. मीनू श्रीवास्तव अधिष्ठाता सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने बताया कि पीपीई किट चार वर्गों में बांटा गया है। करोना वायरस के संक्रमण से बचे रहने के लिए लेवल ‘ए’ की पीपीई का इस्तेमाल को प्रोटेक्टिव बनाने के लिए कवर तक शामिल होते है। यह वायरस को शरीर से सम्पर्क में आने से रोकता हैं। फेस मास्क के निर्माण में वस्त्र का उचित चयन एवं सही डिज़ाइन का होना आवश्यक हैं । वायरस को फ़िल्टर करने हेतु वस्त्र कि गुणवत्ता को आरंभिक अवस्था में टेस्ट करना जरुरी हैं ताकि पूरी तरह से सुरक्षा मिल सके । महाविद्यालय की एक्स्पीरियेन्शल लरनिंग ईकाई द्वारा विद्यार्थियों को पीपीईकिट व मास्क निर्माण का प्रशिक्षण भी दिया गया जिससे वे इस क्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय प्रारम्भ कर आत्मनिर्भर बन सके।
इस कार्यक्रम में डाॅ. शांति कुमार शर्मा, निदेशक अनुसंधान, डाॅ. अजय कुमार शर्मा, पी.आई. डी.पी. तथा डाॅ. अरूणाभ जोशी, नोडल आॅफिसर (अकादमिक) आईडीपी ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
आयोजन सचिव डाॅ. सुधा बाबेल ने बताया कि इस विशिष्ट वार्ता में देश के विभिन्न भागों से 200 से अधिक विद्यार्थियों तथा संकाय सदस्यों ने भाग लिया। इन्होंने विशिष्ट वक्ता का परिचय देते हुए कहा कि यह महत्वपूर्ण विषय है जिससे प्रतिभागियों में निश्चित रूप से ज्ञानवर्धन होगा।
कार्यक्रम की समन्वयक डाॅ. धृति सोलंकी व डाॅ. रूपल बाबेल थे। कार्यक्रम के सहसमन्वयक डाॅ. सोनू मेहता एवं श्रीमती मीनाक्षी मिश्रा थे।