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डा आर सी वर्माको फेलो अवार्ड से सम्मानित

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22 Jan 20
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डा आर सी वर्माको फेलो अवार्ड से सम्मानित

डा आर सी वर्मा को एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान के लिए पूना में 7 से 9 जनवरी को आयोजित इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियर्स (ISAE) के 54 वेंवार्षिक सम्मेलनतथाअंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी"आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फ्यूचर टेक्नोलॉजीज इन एग्रीकल्चर" में राष्ट्रीय स्तर पर इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियर्स (ISAE) का फैलो अवार्ड से सम्मानित किया गया है. डा वर्मा वर्तमान में MPUATकेCTAE कालेजमेंप्रसंस्करण एवं खाद्य अभियांत्रिकी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के पद पर कार्यरत हैं.विभाग के ही प्रोफेसर संजय जैन के साथ मिलकरइनकी खाद्य अभियांत्रिकी पर लिखी पुस्तक को इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियर्स (ISAE)से2005 में हैदराबाद में हुए वार्षिक सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ पुस्तक का अवार्ड मिल चुका है.इसके आलावा डा वर्मा केप्रयोगशालामेनुअल, कईकिताबों का संकलन व्75 अधिक अनुसन्धान पत्र देश विदेश की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है.डा. वर्मा ने इंडियन सोसाइटी ऑफ एग्रीकल्चर इंजीनियर्स (ISAE) के राजस्थान चेप्टर में संयुक्त सचिव पद पर भी कई वर्षों तक अपनी सेवाएँ दी है.इसके आलावा डा. वर्मा ने समर एवं विंटर स्कूल, MODROB व्KVIC के प्रोजेक्टTIU मेंकाम किया है.अनेकों बार आकाशवाणी पर भी किसानों से सम्बंधित वार्तालाप प्रसारित किये जा चुके है.इन्होने अदरक छिलने की मशीन,मक्का प्रसंस्करण,मानव श्रम आधारित आम काअचार बनाने के लिए कच्चेआम को एक साथ आठ भागों में विभाजित करने, इमली से छिलका व् बीज निकालने, आंवलेसे कैंडी बनाने व् बीज प्रथक करने आदि मशीनेंविकसित की है. डा वर्मा ने उदयपुर, डूंगरपुर व् बांसवाडा जिलों के आदिवासी क्षेत्र में कुपोषणदूर करने के लिए सोयाबीनके विभिन्न उत्पाद जैसे सोयादूध, सोयापनीर, सोया बिस्कुट इत्यादि बनाने, वैज्ञानिक विधि से अनाज भण्डारण, फल व् सब्जियों को सुरक्षित रखने व् उनके प्रसंस्करण, मशरूमका उत्पादन जैसे विषयों पर करीब60प्रशिक्षणोंमें1100से अधिक आदिवासियों को प्रशिक्षित किया जिससेइन आदिवासियों का कुपोषण दूर हो सके एवं उनकी आय में भी वृद्धि हो. इन्ही सब प्रयासों को ETV ने भी अपने टीवी चैनल पर कई बार प्रसारित किये हैं.डा. वर्मा ने70 से अधिक अनुसंधानों में अपना मार्गदर्शन दिया है जिनमे 5 PhD व् 30 से अधिक MTech के अनुसन्धान शामिलहैं.


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