GMCH STORIES

पंचकुण्डी सूर्ययज्ञ के साथ सूर्योपासना पर्व संपन्न

( Read 7848 Times)

16 Jan 20
Share |
Print This Page
पंचकुण्डी सूर्ययज्ञ के साथ सूर्योपासना पर्व संपन्न

निम्बाहेडा। मेवाड के प्रसिद्ध श्री शेषावतार कल्लाजी वेदपीठ को भागवतपीठ के रूप में स्थापित करने के लिए पंचम सोपान के रूप में आयोजित ब्रम्हपुराण कथा के साथ वेदपीठ के आचार्यो और बटुको द्वारा ब्रम्हपुराण के 71 पारायण पूर्ण कर मकर सक्रांति के पावन अवसर पर पंचकुण्डीय सूर्ययज्ञ किया गया। इस दौरान 31 यजमान युगलो द्वारा गौघ्रत्य एवं शाकल्या की आहुतियों के साथ भगवान सूर्य की विशेष पूजा अर्चना की गई। ब्रम्हपुराण के दशवांश हवन के रूप में आयोजित सूर्ययज्ञ के साक्षी बनने के लिए बडी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। इससे पूर्व वेदपीठ परिसर में कई श्रद्धालुओं को दशविधि स्नान करवाकर जब गंगास्नान कराया गया तो ऐसी अनुभूति हुई मानो सभी श्रद्धालु गंगा तट पर पतितपावनी मां गंगा की गोद में डुबकियां लगाकर भगवान सूर्य को अध्र्य दे रहे हो। इसके साथ ही सभी भक्तों की ओर से ठाकुर श्री कल्लाजी सहित पंचदेवो एवं सूर्यभगवान की षोडश विधि से पूजा की गई। कल्याणनगरी क श्रद्धालुओं एवं कल्याणभक्तों द्वारा मकर सक्रांति के अवसर पर कल्याण गौशाला में गायो र्को 1 क्वि. लापसी का भोग लगाकर हरा चारा खिलाकर गौसेवा की गई।
श्रीकृष्ण से प्रेम की सीख ले: आचार्य ऋषिकेष शास्त्री
पुराणमर्मज्ञ आचार्य ऋषिकेष शास्त्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की नकल करने की बजाय जीवन को संवारने के लिए उनके द्वारा दी गई प्रेम की सीख को अंगीकार करना चाहिए ताकि जीवन में कहीं भी वैर और ईष्याभाव नहीं रहे। आचार्य श्री मंगलवार रात्रि को वेदपीठ परिसर में व्यासपीठ से ब्रम्हपुराण के तहत सूर्य एवं चन्द्रवंश पर विस्तार से चर्चा कर रहे थे। उन्होनें हनुमान द्वारा लंका दहन के संदर्भ में कहा कि रावण के राज में लंका पूरी तरह अशुद्ध थी जहां श्रीराम को युद्ध के लिए पहुंचना था इसलिए एकादश रूद्रावतार हनुमान ने लंका के शुद्धिकरण के लिए उसे अग्निस्नान कराकर शुद्ध किया तब श्रीराम ने वहां जाकर रावण से युद्ध करते हुए लंका पर विजय प्राप्त कर विभीषण का राजतिलक किया। कथा के प्रारंभ में वेदपीठ के न्यासियों एवं श्रद्धालुओं द्वारा प्रधान आचार्य एवं प्रमुख यजमान के रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी तथा व्यासपीठ की पूजा अर्चना की। ठिठुरनभरी सर्दी के बावजूद बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने ब्रम्हपुराण ज्ञानयज्ञ का श्रवण कर पूण्यअर्जन किया।
सूर्य स्वरूप में हुए ठाकुरजी के दर्शन
मकर सक्रांति के पावन अवसर पर वेदपीठ पर बिराजित ठाकुरश्री कल्लाजी के सूर्य स्वरूप में दर्शन भक्तों के आकर्षण का केन्द्र रहे। इस दौरान प्रातः श्रृंगार आरती के साथ ही बडी संख्या में नगरवासियों एवं श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य के अनूपम स्वरूप के दर्शन कर स्वयं को धन्य किया। वहीं यह कामना की कि सूर्य स्वरूप के अनुरूप वे समस्त भक्तों पर कृपा बरसाते हुए सर्वत्र खुशहाली का आर्शीवाद दे।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chittor News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like