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पंचेन्द्रीय मनुष्य को अभ्यास के साथ इन्द्रीयां जागृत करनी होगी - आचार्य वीरेन्द्र कृष्ण

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22 Jun 19
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पंचेन्द्रीय मनुष्य को अभ्यास के साथ इन्द्रीयां जागृत करनी होगी - आचार्य वीरेन्द्र कृष्ण

भगवती उपासक आचार्य वीरेन्द्र कृष्ण दोर्गादत्ती ने कहा कि ईश्वर ने पांच प्रकार के जीव पैदा किए है जिनमें एकेन्द्री जीव केचुआं, मच्छर, मक्खी, द्विऐन्द्री रेंगने वाले सांप, चिपकली है जिनमें गंध एवं स्पर्श की शक्ति होती तथा चिटी को एक योजन तक की गंध की अनुभूति होती है। उन्होंने बताया कि तीनइन्द्री जीवों में स्तनधारी, गाय, भैंस, भेड़, बगरी होते है जबकि सिंह चारइन्द्री माना गया है, वहीं ईश्वर ने मनुष्य को पंचेन्द्रीयों से परिपूर्ण कर पंच परमेश्वर के समान बनाया है, लेकिन बिना अभ्यास के इन्द्रीयां जागृत नहीं होती है क्योंकि इन्द्रीयों को विकसित करने के लिए योग का आश्रय जरूरी है। आचार्य वीरेन्द्र कृष्ण कल्याण महाकुंभ के तहत शुक्रवार को विध्यांचल कथा मंडप में व्यासपीठ से मार्कण्डेय पुराण के संदर्भ में दत्तात्रेय एवं  उनके शिष्य अलर्क संवाद का उल्लेख कर रहे थे। उन्होंने विश्व योग दिवस पर शुभकामनाएं देते हुए भगवान दत्तात्रेय द्वारा अलर्क को दिए गए उद्देश्य का विवेचन करते हुए कहा कि जिस आसन में सुख पुर्वक योग कर सके वहीं आसन उपर्युक्त माना गया है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में अभ्यास के अभाव में आसन सिद्धी नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन मात्र एक मिनट बैठकर वर्षभर एक-एक मिनट अधिक बैठने का अभ्यास करें तो वह एक वर्ष में छ: घण्टे सहजता से बैठकर योगाभ्यास के माध्यम से अपनी सभी इन्द्रीयों को जागृत कर सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है लेकिन ठाकुर श्री की शरण में जाने से कष्ट कम हो सकते है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना जीवन व्यवस्थित करने और अपने चेतन पुरूष को जागृत करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए।

भक्त वह जो भगवान से विभक्त ना हो

          आचार्य श्री कहा कि वर्तमान भौतिक युग में प्राय: है अधिकांश लोग भक्त होने का ढोंग करते है लेकिन गहनता से देखा जाए तो वे भक्ति से काफी दूर होते है। इसलिए शास्त्र कहता है कि भक्त वहीं है जो भगवान से विभक्त ना हो। उन्होंने ने मार्कण्डेय पुराण के दत्तात्रेय एवं अलर्क के मुक्ति संवाद का विवेचन करते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को खानपान और स्वयं की साधना का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी शरीर में शाकाहारी या मांसाहारी होने की कोई मशीन नहीं होती लेकिन प्रवृतिवश व्यक्ति मांसाहारी अथवा शाकाहारी हो जाता है। उन्होंने कहा कि भारत कभी विश्व गुरू कहलाता था लेकिन आज स्थिति यह हो गई कि हम शिष्य के योग्य भी नहीं रहे। उन्होंने व्यसन त्याग का आह्वान करते हुए कहा कि कल्याण महाकुंभ में आने वाले भक्तगण तथा यज्ञ के यजमान अपनी दक्षिणा के रूप में ठाकुर जी को अपना दोष अर्पित कर संकल्प ले कि वे उस व्यसन को जीवनभर के लिए छोड़कर जा रहे है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को पांच महापापों से बचने का प्रयास करना चाहिए ताकि जीवन में अनिष्ट ना हो। प्रारंभ में आचार्य श्री द्वारा मुख्य आचार्य एवं मुख्य यजमान के रूप में ठाकुर जी की पूजा अर्चना की गई जबकि वेदपीठ के न्यासियों द्वारा व्यासपीठ एवं व्यासपीठ का पूजन कर आचार्य दोर्गादत्ती का अभिनन्दन करने के साथ ही मंचासीन चन्द्रशेखर शास्त्री, पण्डित गजेन्द्र , पण्डित रामचरण तथा पण्डित जितेश के अलावा गायक कलाकार प्रहलाद, राजकुमार, भवानीशंकर, भंवरलाल, संजयकुमार आदि का तुलसीमाला एवं उपहरणा ओढाकर स्वागत अभिनन्दन किया गया।

रजत श्रृंगार में सांवलियां सेठ के रूप में दिए ठाकुर जी ने दर्शन

          चतुर्दश कल्याण महाकुंभ के चतुर्थ दिवस ठाकुर जी का एकादश द्रव्यों से महारूद्राभिषेक करने के पश्चात मनभावन श्रृंगार किया गया। श्रृंगार आरती के समय रजत श्रृंगार में सांवलिया सेठ की छवि के रूप में ठाकुर जी की छवि इतनी चिताकर्षक बन पड़ी की दर्शक सहजभाव से सांवलिया जी ही मान बैठे। नितनये श्रृंगार और मनोहारी झांकियों की श्रृंखला में चतुर्थ दिवस मौसमी सब्जियों से बनाई गई झांकी भी दर्शकों के लिए अजुबा रही जिसमें कई प्रकार की सब्जीयों को शिल्पियों ने आकर्षक स्वरूप देकर ठाकुर जी के दर्शन को द्विगुणित कर दिया।  इतना ही नहीं चतुर्थ दिवस की खास बात यह भी रही कि ठाकुरजी को नानाविध मिष्ठान, चटपटे व्यंजन और कई प्रकार के नमकीन सहित छप्पनभोग के रूप में छप्पन थाल धराएं गए। ऐसे में छप्पनभोग, सब्जियों की झांकी के बीच रजत आभा में ठाकुर जी का स्वरूप त्रिगुणात्मक हो गया। दूसरी ओर वेदपीठ से जुड़ी वीरांगनाएं ठाकुर जी को रिजानें में जूटी हुई है जो प्रतिदिन रंगौली सजाकर भगवान के विविध स्वरूपों को प्रदर्शित कर रही है।

द्वितीय दिवस 325 यजमानों ने दी आहूतियां

          मार्कण्डेय पुरम स्थित भुवनेश्वरी यज्ञशाला में आयोजित सहस्त्रचंडी महायज्ञ के द्वितीय दिवस 325 से अधिक यजमानों ने बगला गायत्री मंत्र के दशवान्श हवन तथा ठाकुर जी व स्थापित देवताओं के मंत्रों के साथ गौघृत एवं शाकल्य की आहूतियां देकर देश-प्रदेश में भरभूर धनधान्य एवं सुख समृद्धि की कामना की।

सामुहिक हेमाद्री स्नान ने कराई गंगातट की अनुभूति

          प्राय: वेदपाठी बटुक अथवा द्विज समय समय पर यज्ञोपवित संस्कार के लिए हेमाद्री स्नान करते है लेकिन वेदपीठ की परंपरा में यज्ञ में भागीदार बनने वाले पुरूष यजमानों को दसविधि हेमाद्री स्नान कराने के पश्चात ही यज्ञशाला में प्रवेश दिया जाता है। इसी कड़ी में यहां आयोजित सहस्त्रचंडी महायज्ञ में भाग लेने वाले पुरूष यजमानों को जब सामुहिक रूप से हेमाद्री स्नान कराया तो वहां का दृश्य गंगा तट पर सामुहिक हेमाद्री स्नान की अनुभूति करा रहा था, जिसमें भागीदार यजामन भी आचार्यों के वेदमंत्रों के साथ विविध पदार्थों व द्रव्यों से स्नान कर स्वयं को निर्मल एवं पवित्र महसूस कर रहे थे।

एलईडी पर ठाकुर जी के कई स्वरूपों का हुआ दर्शन

          विध्यांचल कथा मंडप में लगाई गई विशाल एलईडी पर जहां मार्कण्डेय पुराण सहित विभिन्न कार्यक्रमों का सजीव प्रदर्शन लोगों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ वहीं छायाकार योगेश शर्मा एवं उसकी टीम द्वारा संघरहित ठाकुर जी के अनेकानेक स्वरूपों का प्रदर्शन लोगों को आकर्षित कर रहा है। विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने वाले तथा दर्शनार्थी भी अपने आराध्य के अनेकानेक मनभावन स्वरूपों को देखकर गदगद होते नजर आये।

खुब जमी भजन संध्या

          कल्याण महाकुंभ के तृतीय दिवस गुरूवार रात्रि को कथा मंडप में गणेश मित्र मंडल नीमच के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भजन संध्या खुब जमी जिसमें जय गणेश परिवार के सावनकुमार तथा प्रदीप कुमार ने अपने ही अंदाम में प्रथमेश पूज्य भगवान गणेश का आह्वान करते हुए जब आओ अंगना पधारों श्री गणेश जी भजन प्रस्तुत किया तो ऐसा लगा मानों भगवान गणेश कथा मंडप में अवतरित हो गये हो। इसी कड़ी में कलाकारों ने तेरा दरबार यूं ही सजता रहे भजन प्रस्तुत किया तो वातावरण गणेशमय हो गया। इसी कड़ी में भोले को मैं कैसे मनाउ रे मेरा भोला ना माने, रणत भंवरगढ़ से आवो रे गजानन्द, जलती रहे जगमग मंगल जोत, मेरा रणत भंवर सरकार सहित कई भजनों की प्रस्तुति से वातावरण में कलाकारों ने भक्तिरस घौलते हुए श्रोताओं को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।

 

बहिराणा साहिब द्वारा दिव्यज्योति दर्शन एवं भजनामृत आज

          कल्याण महाकुंभ के पंचम दिवस आज सिंधी समाज पूज्य झूलेलालजी के वंशजों द्वारा बहिराणा साहिब दिव्यज्योति दर्शन एवं भजनामृत का भव्य कार्यक्रम प्रथम बार आयोजित होगा। जिसमें भणुच से सिंधी समाज के पूज्यसंत एवं भजन गायक अपनी प्रस्तुतियां देंगे वहीं स्थानीय सिंधी समाज द्वारा अपनी प्रकार के इस अनुठे कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए न केवल मेवाड़ ,मालवा वरण दूरदराज के क्षेत्रों से भी सिंधी समाज के श्रद्धालुओं तथा बड़ी संख्या में कल्याण भक्तों को आमंत्रित किया गया।


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