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कर्मयोग से खोलें किस्मत के ताले - संत श्री ललितप्रभ जी

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12 Sep 23
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कर्मयोग से खोलें किस्मत के ताले - संत श्री ललितप्रभ जी

उदयपुर, राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि भगवान ने आपको जितनी ताकत दी है अगर आप वह पूरी ताकत झौंक दे तो आपको आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता। कोई प्रयास करे और उसे परिणाम न मिले, ऐसा कभी नहीं हो सकता, हाँ उसमें देर, सवेर अवश्य हो सकती है। भले ही हथौड़े की पहली चोट से पत्थर न टूटे और दसवीं चोट में परिणाम आए, इसका मतलब यह नहीं कि नौ चोटें निष्फल गई। नौंवी चौटों ने प्रयास किया और दसवीं चोट से परिणाम आया। याद रखें, कोई भी परिश्रम और प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता। अगर कर्मफूटा इंसान भी कठोर पुरुषार्थ करना शुरू कर दे तो वह भी बंद किस्मत के तालों को खोल सकता है।
संतप्रवर सोमवार को सेक्टर 3 स्थित एम डी एस स्कूल में आयोजित विशेष प्रवचन-सत्संग में विद्यार्थियों एवं श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दुनिया में केवल पाँच प्रतिशत लोग जन्म से किस्मत लेकर साथ आते हैं। आज विश्व में जितने भी अमीर लोग हैं उनमें से सत्तर प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका जन्म किसी गरीब और कच्ची बस्ती में हुआ था, पर अपनी महान सोच, ऊँचे लक्ष्य, और कर्मयोग के चलते वे सबके सिरमौर बन बैठे। उन्होंने कहा कि किस्मत बनाने या बिगाडऩे वाला इंसान स्वयं है। जो बुलंद इरादों के साथ नेक रास्तों पर चलते हैं, वे देर-सवेर किस्मत वाले बन जाते हैं और गलत मार्ग से पैसा कमाने वाले एक दिन बर्बाद हो जाते हैं।
भाग्य पिता है और मेहनत माँ है - जीवन में भाग्य और मेहनत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए संतश्री ने कहा कि भाग्य पिता की तरह और मेहनत माँ की तरह है। पिता के बलबूते जीवन की शुरुआत होती है, पर माँ के बलबूते जीवन का निर्माण होता है। युवाओं को झकझोरते हुए उन्होंने कहा कि वे बाप कमाई और पाप कमाई में नहीं, आप कमाई में विश्वास रखें। जहाँ बाप कमाई किस्मत के तालों को खोलने के लिए उत्सुक नहीं करती और पाप कमाई किस्मत के खुले तालों को भी बंद कर देती है वहीं आप कमाई हमारे भीतर आगे बढऩे का जोश जगाती है।
कहीं से भी शुरुआत अवश्य कीजिए - किस्मत जगाने का पहला मंत्र देते हुए संतश्री ने कहा कि अगर आप शांति चाहते हैं तो जो हासिल है उसे पसंद कीजिए, पर सफलता चाहते हैं तो जिसे पसंद करते हैं उसे हर हाल में हासिल कीजिए। किस्मत जगाने के लिए दूसरों पर निर्भर रहना बेवकूफी है। जैसे भाप बनने के लिए पानी का उबलना और दीवार में कील ठोकने के लिए तकिये की बजाय हथौड़ा जरूरी है ठीक वैसे ही भाग्य को खोलने के लिए पुरुषार्थ जरूरी है। याद रखें, कोई भी काम छोटा नहीं होता। व्यक्ति छोटे कामों से नहीं, खोटे कामों से बचे। दया का दूध पीने की बजाय परिश्रम का पानी पीना कहीं ज्यादा अच्छा है। जब लोहे का काम करके कोई टाटा और चमड़े का काम करके कोई बाटा बन सकता है तो हम अपनी जिंदगी में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते?
लोग क्या कहेंगे को दिमाग से हटा दें - किस्मत जगाने के दूसरे मंत्र में संतश्री ने कहा कि किसी काम को छोटा न समझे और आज जहाँ खड़ा है वहाँ तक सीमित न रहे वरन आगे बढ़े। हम मुफ्त की कमाई की बजाय मेहनत में विश्वास रखें। मुझसे नहीं होगा्, अभी मेरा मूड नहीं है्, मेरी तो किस्मत ही खराब है, मैं कुछ नहीं कर सकता जैसे शब्दों को जीवन में सदा के लिए हटा दें। जैसे गाय हमें दूध अपने आप नहीं देती है हमें प्रयास करके निकालना पड़ता है ऐसे ही हमारी जिंदगी है। महान परिणाम पाने के लिए प्रबल पुरूषार्थ से गुजरना पड़ता है। संतप्रवर ने कहा कि अपने हाथों का उपयोग केवल मेहंदी के लिए न करें क्योंकि मेहंदी का रंग सात दिन में फीका पड़ जाता है। मेहनत के लिए हाथों का उपयोग कीजिए, जीवन भर हमें परिणाम मिलेगा।
इस अवसर पर संतप्रवर का एमडीएस स्कूल परिसर पधार्पण पर विद्यालय परिवार के द्वारा उनकी भव्य अगवानी की गई। कार्यक्रम में रमेश शैलेन्द्र सोमानी परिवार का चातुर्मास समिति द्वारा अभिनंदन किया गया।
अध्यक्ष राज लोढ़ा ने बताया कि उदयपुर वासियों के विशेष आग्रह पर सूरज पोल, मेवाड़ मोटर्स गली स्थित श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान मंदिर एवं दादावाड़ी के विशाल सभागार में राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी महाराज, राष्ट्र संत श्री चंद्रप्रभ जी महाराज एवं डॉ मुनि श्री शांतिप्रिय सागर जी महाराज के सानिध्य में 12 से 19 सितंबर 2023 प्रातः 9.15 से 11 बजे तक पर्युषण एवं कल्पसूत्र आगम पर विशेष प्रवचनों का आयोजन होगा। सभी श्रद्धालु पर्युषण पर्व की आध्यात्मिक आराधना का लाभ प्राप्त करें।

 


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