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“द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल के संस्थापक डा. वेदप्रकाश गुप्ता  से जुड़ी कुछ स्मृतियां”

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08 Sep 21
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“द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल के संस्थापक डा. वेदप्रकाश गुप्ता  से जुड़ी कुछ स्मृतियां”

डा. वेद प्रकाश गुप्ता जी देहरादून की प्रसिद्ध हस्तियों में से एक थे। आपने जहां एक ओर देहरादून में होम्योपैथी की ओषधियों का उद्योग स्थापित कर नाम कमाया, वहीं आपने वैदिक धर्म से जुड़े कार्यों को करके भी आर्यजगत् में कीर्ति व प्रसिद्धि अर्जित की थी। हमारा सौभाग्य है कि हम देहरादून में रहने के कारण उनके अनेक कार्यों से परिचित हुए। तीन वर्ष पूर्व दिनांक 7-9-2018 को देहरादून में उनका देहावसान हुआ था। इससे पूर्व वह स्वस्थापित उद्योग ‘‘व्हीजल लैबोरेटरीज” का कार्य देखते रहे जहां होम्योपैथी की अधिकांश दवायें बनती थी और जिनका पूरे देश व विदेश में प्रेषण वा वितरण होता था। हम जब युवावस्था में ही थे, जब हमें अपने मित्रों से गुप्ता जी जीवन एवं कार्यों के बारे में पता चला तो डा. वेद प्रकाश गुप्ता जी के प्रति हमारी श्रद्धा में वृद्धि हुई थी। एक वैदिक धर्म को जानने व मानने वाला व्यक्ति विज्ञान पर आधारित ओषधि निर्माण के वृहद उद्योग का भी सफलतापूर्वक संचालन कर सकता है, इससे हमें प्रेरणायें मिली। गुप्ता जी देहरादून के प्रसिद्ध राजपुर-मसूरी रोड पर राजपुर के निकट किशनपुर स्थित स्थान पर अपने निजी भव्य निवास में रहते थे। सड़क के किनारे स्थित होने के कारण हम राजपुर व मसूरी आते-जाते समय उनके निवास पर भी दृष्टि डालते थे। 

    डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी के तीन प्रमुख मित्र थे। श्री देवेन्द्र रैहनुवाल, श्री चमनलाल रामपाल तथा श्री गुरुनारायण दुबे जी। हमने आर्यसमाज के अनेक कार्यक्रमों में गुप्ता जी को श्री चमनलाल जी तथा श्रीगुरुनारायण दुबे जी के साथ उपस्थित वा विद्यमान देखा है। गुप्ता जी के पास अनेक आधुनिक सुविधाओं से युक्त गांडियां थी। वह अपने इन तीनों मित्रों को साथ लेकर आर्यसमाज के अनेक स्थानों पर होने वाले आयोजनों में पधारते थे। तपोवन आश्रम देहरादून, गुरुकुल पौंधा-देहरादून तथा आर्यसमाज देहरादून तथा देहरादून के अन्य आर्यसमाजों के उत्सव इन कुछ स्थानों में सम्मलित होते थे। हमारा सौभाग्य रहा कि हम गुप्ता जी की इस मित्र मण्डली से परिचित रहे। श्री रैहनुवाल जी ने हमारे कक्षा 11 व 12 में अध्ययन के दिनों में हमें अंग्रेजी पढ़ाई थी। बाद में वह डीएवी महाविद्यालय, देहरादून में  बीएड प्रभाग में प्रोफेसर नियुक्त हो गये थे। हमने रैहनुवाल जी से पढ़ा भी और उनके व्याख्यानों को भी सुना है। हमारे जीवन में हमारे जो शिक्षक रहे हैं उनमें रैहनुवाल जी जैसा प्रभावशाली शिक्षक अन्य नहीं रहा। वह, दुबे जी तथा श्री चमनलाल जी भी राष्ट्रवादी विचारधारा से ओत-प्रोत व्यक्ति थे। एक बार सन् 1994 में गुरुनारायण दुबे जी का आर्यसमाज धामावाला देहरादून में प्रवचन हुआ था। इन दिनों समाज के कार्यक्रमों का संचालन इन पंक्तियों के लेखक द्वारा किया जाता था। दूबे जी भारतीय सर्वे आफ इण्डिया विभाग में उच्च प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत रहे। इस विभाग के हमारे एक पड़ोसी श्री महेशचन्द्र जोशी जी हमें इनकी कठोर अनुशासन प्रियता के विषय में बताया करते थे। दुबे जी आर्य विद्वान प्रा. अनूप सिंह जी के निकट मित्र थे। इन्हीं के द्वारा हमारा दुबे जी से निकट परिचय हुआ था। अब दुबे जी और रैहनुवाल जी दिवंगत हो चुके हैं। यदाकदा हमें उनकी यादें आ जाया करती हैं। हमारा सौभाग्य रहा कि हम इन चारों विभूतियों के सम्पर्क में आये। गुप्ता जी एक राष्ट्रवादी कवि भी थे। वह तपोवन तथा स्वस्थापित मानव कल्याण केन्द्र के आयोजनों में अपनी देशभक्ति एवं समाज सुधार की कविताओं का पाठ किया करते थे। वृद्धावस्था में ओजस्वी वाणी में उनकी कवितायें सुनकर हमें प्रसन्नता होती थी और उनके आचरण, व्यवहार तथा काव्यपाठ से प्रेरणायें भी मिलती थी। 

    गुप्ता जी के एक अन्य मित्र व सहयोगी देहरादून में तपोवन आश्रम के मैनेजर श्री भोलानाथ आर्य जी थे। इनसे भी हमारी अत्यन्त निकटता रही। यह भी गुप्ता जी के साथ निकटता से जुड़े रहे। इनसे भी हमें गुप्ता जी के कार्यों के बारे में जानकारी मिलती रहती थी। श्री भोलानाथ आर्य जी वैदिक साधन आश्रम तपोवन की स्थापना के समय से इसके सदस्य व संचालक-मैनेजर आदि रहे थे। वह आश्रम के संस्थापक बावा गुरमुख सिंह जी तथा महात्मा आनन्द स्वामी जी के अत्यन्त निकट थे। आश्रम के भवनों के निर्माण तथा धनसंग्रह आदि कार्यों में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने एक प्रकार से अपना पूरा जीवन आश्रम की सेवा में व्यतीत किया परन्तु दुःख से कहना पड़ता है कि जीवन के अन्तिम समय में इन्हें आश्रम से सहयोग के स्थान पर उपेक्षा प्राप्त हुई थी। वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी के निकटस्थ मित्रों में रहे। वह जब भी आश्रम के कार्यक्रमों में आते थे उनको सम्मान दिया जाता था और उनके विचार व कवितायें सुनी जाती थीं। 

    श्री वेद प्रकाश गुप्ता जी के प्रति हमारी श्रद्धा का कारण उनके द्वारा देहरादून में स्थापित ‘‘मानव कल्याण केन्द्र” की स्थापना करना था। यह आश्रम वर्तमान में भी सफलतापूर्वक चल रहा है। हमने विगत लगभग 30 वर्षो में यहां सम्पन्न हुए अनेक वार्षिकोत्सवों में भाग लिया। स्वामी सत्यपति जी महाराज इस आश्रम के प्रायः अधिकांश आयोजनों में भाग लिया करते थे। उन दिनों स्वामी जी ने रोजड़ में दर्शन योग महाविद्यालय की स्थापना नहीं की थी। हमने मानव कल्याण केन्द्र सहित वैदिक साधन आश्रम तपोवन तथा आर्यसमाज देहरादून में भी स्वामी जी के विद्वतापूर्ण उपदेशों को सुना था। स्वामी जी के उपदेश उच्च कोटि के होते थे। उनकी उपदेश शैली हमें प्रभावित करती थी। इसी कारण हम उनके अधिकांश उपदेशों में सम्मिलित होने का प्रयत्न करते थे। गुप्ता जी ने इस केन्द्र की स्थापना के कुछ वर्ष इस केन्द्र के निकट वानप्रस्थ आश्रम की भी स्थापना की थी। इस आश्रम का एक भव्य भवन निर्मित कराया गया था। इस आश्रम की वर्तमान प्रगति से हम अनभिज्ञ हैं। अब नगर के दूरस्थ स्थानों पर हमारा आना-जाना कम हो पाता है। डा. वेद प्रकाश गुप्ता जी का एक महत्वपूर्ण कार्य देहरादून में मानव कल्याण केन्द्र के भवन के साथ द्रोणस्थली कन्या गुरुकुल की स्थापना करना था। यह गुरुकुल अनेक वर्षों से सफलतापूर्वक चल रहा है। प्रसिद्ध वेद विदुषी डा. अन्नपूर्णा जी इसकी आचार्या हैं। इस गुरुकुल में आचार्या जी ने अनेक सुयोग्य कन्याओं को वैदिक धर्म व संस्कृति के संस्कार व दीक्षा दी है।

    डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी ने अपने निवास से कुछ दूरी पर अपनी ही भूमि व भवन में आर्यसमाज, राजपुर-किशनपुर की स्थापना की थी। वैदिक साधन आश्रम तपोवन के यशस्वी मंत्री श्री प्रेम प्रकाश शर्मा जी इस समाज की व्यवस्था को देखते हैं। इस आर्यसमाज के अनेक वार्षिकोत्सवों में हमने भाग लिया है। इस समाज के सभी सदस्य आर्यसमाज की विचारधारा का अधिक से अधिक प्रचार करने के लिए उत्सुक दीखते हैं। इससे हमें प्रसन्नता होती है। प्रत्येक वर्ष दिसम्बर या जनवरी में इस समाज का वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। 

    हमने डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी में दान की प्रवृत्ति के गुण का भी अनुभव किया था। कुछ वर्ष पूर्व वैदिक साधन आश्रम तपोवन में पर्वतों पर स्थित इकाई में एक वृहद यज्ञशाला के निर्माण की योजना पर विचार हुआ था। इस बैठक में हम भी उपस्थित थे। इसका प्रस्ताव आश्रम की उस इकाई में आयोजित वेद पारायण यज्ञ के समापन पर स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी ने किया था। इसकी योजना पर विचार करते हुए अनेक लोगों ने दान की घोषणा की थी। इस अवसर पर गुप्ता जी ने भी एक लाख रुपये दान देने का संकल्प सूचित किया था। कुछ ही महीने बाद वहां पर एक वृहद भव्य यज्ञशाला बनी जो देहरादून की वृहद एवं भव्य यज्ञशालाओं में से एक है। इस स्थान पर यज्ञ करने का अपना ही महत्व है। यह यज्ञशाला पर्वतों पर वनों से चारों ओर से आच्छादित है। स्थान सभी प्रकार के कोलाहलों से मुक्त शान्त है। प्रत्येक वर्ष यहां यज्ञ एवं सत्संग सहित चतुर्वेद पारायण यज्ञ आयोजित होते हैं। आश्रम के वर्ष में दो बार उत्सव होते हैं। दोनों उत्सवों का एक दिन का सत्संग व यज्ञ इस पर्वतीय इकाई में किया जाता है। आध्यात्मिक रूचि रखने वाले ऋषि भक्तों के लिए इस स्थान का विशेष महत्व है। इस स्थान पर महात्मा आनन्द स्वामी एवं महात्मा प्रभु आश्रित जी ने साधना कर योग की सिद्धियों वा उच्च स्थिति को प्राप्त किया था। 

    आज दिनांक 7-9-2021 को मानव कल्याण केन्द्र एवं द्रोणस्थली आर्ष कन्या गुरुकुल महाविद्यालय, देहरादून की ओर से कीर्तिशेष डा. वेदप्रकाश गुप्ता जी की तीसरी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने का आयोजन किया गया। हम इस आयोजन में सम्मिलित नहीं हो सके। हम गुप्ता जी को श्रद्धांजलि देते हैं और उनके द्वारा स्थापित सभी संस्थाओं की उन्नति की कामना करते हैं। ओ३म् शम्। 
-मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः 09412985121 


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