बैंकिंग क्षेत्र और इससे जुड़े लोगों को कृत्रिम मेघा (एआईं) से पैदा होने वाले कानूनी, साइबर जोखिमों और कौशल की कमी जैसे जोखिमों के प्रति सचेत रहना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआईं) के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने शुावार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि एआईं और जेन एआईं को अपनाने के साथ कानूनों को फिर से परिभाषित किया जाना है। उदृाोग को यह ध्यान देना चाहिए कि डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) अधिनियम के नियम जल्द ही आने वाले हैं, और हो सकता है कि बैंक इनमें से कुछ का उल्लंघन कर दें।