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ई-बाइक का भविष्य बदल रहा है, अधिक से अधिक लोग अपना रहे हैं ई-बाइक

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21 Jan 21
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ई-बाइक का भविष्य बदल रहा है, अधिक से अधिक लोग अपना रहे हैं ई-बाइक
भारतीय की आबादी का एक बड़ा हिस्सा काफी हद तक दोपहिया वाहनों पर ही सफर करता है और, इनमें से लगभग एक तिहाई घरों में कम से कम एक दोपहिया वाहन मौजूद है। भारत में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन में से 75 प्रतिशत योगदान दोपहिया वाहनों का ही है, जो कि दुर्भाग्य से वाहनों से उत्सर्जन में कमी के सबसे अधिक दायित्व दोपहिया सवारों के कंधों पर ही आता है। यही कारण है कि भारत सरकार ने अपने ईवी सब्सिडी कार्यक्रमों, फेम (फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक वाहन) की शुरूआत की है। इससे भारतीय सड़कों पर इलेक्ट्रिक-स्कूटर को अपनाने में मदद मिली है। हालांकि, भारी अग्रिम लागत और चार्जिंग संबंधित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इनको अपनाए जाने की दर अभी भी कम है।
 
यह वह दौर है, जिसमें इलेक्ट्रिक साइकिल, उर्फ ई-बाइक, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके उपयोग और रखरखाव में आसानी के साथ, कम अग्रिम लागत, उच्च ऊर्जा दक्षता और पोर्टेबल डिज़ाइन, ई-बाइक को इंट्रा-सिटी गतिशीलता के लिए सबसे व्यवहार्य विकल्प के रूप में देखा गया है। 
 
आज ई-बाइक को पहले के मुकाबले अधिक पसंद किया जा रहा है और अपनाया भी जा रहा है। उदाहरण के लिए, डिलीवरी कर्मियों ने पारंपरिक स्कूटर और मोटरसाइकिल के विपरीत ई-बाइक का उपयोग करते समय डिलीवरी की पूर्ति में एक प्रभावी वृद्धि देखी है। ई-बाइक आज के दौर में दोपहिया का उपयोग करने वाले लोगों की एक बड़ी आबादी के लिए एक बहुत ही पर्यावरण अनुकूल विकल्प बन गए हैं।
 
ई-बाइक में इनोवेशन तेजी से बढ़ रहा है। भारी लेड-एसिड बैटरी ने अपने दुष्प्रभावों के चलते बहुत अधिक कॉम्पैक्ट और हल्की निकल कैडमियम और लिथियम-आयन बैटरी के लिए रास्ता बनाया है। इनोवेशन ने नए रुझानों को भी जन्म दिया है, जिसमें स्मार्ट ई-बाइक और आईओटी एनेबल्ड स्मार्ट ई-बाइक भी शामिल हैं। हालांकि, ई-बाइक की कीमत देश के अधिकांश दोपहिया वाहन सवारों की पहुंच से बाहर है। ईवीएस पर सरकार का ध्यान अभी भी केवल मोटर चालित वाहनों तक ही सीमित है और इसलिए, अनजाने में ही सरकार बड़े पैमाने पर अवसर को हाथ से जाने दे रही है।
 
ई-मोबिलिटी के दृष्टिकोण से, सरकार को फेम 2 प्रोग्राम के तहत सभी तरह की सब्सिडी और लाभ इलेक्ट्रिक साइकिल को भी प्रदान करने चाहिए। चूंकि ई-बाइक बहुत कम गति दायरे में काम करती हैं, इसलिए उन्हें फेम 2 प्रोग्राम के लाभों को दायरे में शामिल नहीं किया जाता है। इससे निर्माताओं को अपनी ई-बाइक को अंतिम उपभोक्ताओं (एंड-यूजर्स) तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी। इको-फ्रेंडली होने के अलावा, ई-बाइक ट्रैफिक जाम और रेंज डिसऑर्डर के मुद्दे को भी हल करती है (एक ऐसा मुद्दा जो ईवी इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण है) क्योंकि उन्हें बैटरी चार्ज के बिना भी पेडल किया जा सकता है।
 
ई-साइकिल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शहरों में सार्वजनिक साइकिल शेयरिंग सिस्टम जैसी योजनाएं भी। सरकार को उन लोगों को प्रोत्साहन देने पर भी विचार करना चाहिए जिन्होंने अपने अलग अलग कामों को पूरा करने के लिए साइकिल को चुना। यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों में, लोगों को मीलों साइकिल चलाने के आधार पर कर राहत की पेशकश की जाती है।
 
भारत सरकार के एक और अभियान स्किल इंडिया, अधिक से अधिक श्रमिकों को इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। निकेल, कोबाल्ट जैसी सामग्री के भंडार का अभाव है, जो विनिर्माण को आयात पर निर्भर होने के लिए मजबूर करता है। 
 
सरकार को ग्रीनर मोबिलिटी के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के साथ ई-बाइक के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए अलग अलग प्रोत्साहक नीतियां को लागू करना चाहिए। ग्राहकों को सीधे ई-बाइक की सवारी करने और खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन पारित किया जाना चाहिए। यदि हम प्रदूषण मुक्त स्थानों की ओर बढ़ना चाहते हैं और ऊर्जा का उपयोग कम करना चाहते हैं, तो इलेक्ट्रिक बाइक को व्यापक तौर पर अपनाने का ही एकमात्र विकल्प है।
 
 

 


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