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कांगो फीवर बचाव हेतु सजगता सुनिश्चित, चिकित्सा विभाग ने जारी की अपील

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14 Sep 19
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कांगो फीवर बचाव हेतु सजगता सुनिश्चित, चिकित्सा विभाग ने जारी की अपील

बांसवाड़ा । जिले में कांगो फीवर के बचाव हेतु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सतर्कता के उपाय सुनिश्चित किये गये हैं तथा इससे बचने के लिए उपाय संबंधी अपील जारी की गई है।
उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रमेशचन्द्र शर्मा ने बताया कि क्रिमेन कांगो हेमरेजिक फीवर एक किटजनित रोग है जो कि किट बोर्न वायरस, नायसे वायरस, बुनिया विरेड़ी फेमिली से संबंधित है जिसका एक रोगी जोधपुर में पाया गया था। यह रोग सामान्यतः इस रोग से संक्रमित पशुओं से टीक (कीट) द्वारा मनुष्य में फैलता है।
उन्होंने बताया कि इस रोग के प्रारंभ में सिरदर्द, तेज बुखार, पीठ का दर्द, पेट में दर्द और उल्टी होती है, उसके पश्चात आंखें लाल, गले के अन्दर का भाग लाल, चेहरे पर लालीपन, हथेलियों में लाल चकते दिखाई देते हैं। ऐसे रोगी में जाईन्डिस्क के लक्ष्ण तथा अधिक बीमार रोगी में मानसिक अवसाद भी होता है और अधिक बीमार होने पर नाक से खून बहना, शरीर पर घाव होना, संक्रमित चकते से रक्त का स्त्राव भी होता है।
उपमुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस बीमारी की जांच के लिए सिरोलोजिकल टेस्ट किये जाते हैं तथा माईकोबायोलोजिकल जांच पूना में की जाती है।
उन्होंने बताया कि इस रोग में अध्ययन अनुसार भर्ती रोगी में से 9 से 50 तक मृत्यु पाई गई है। उपचार के अन्तर्गत रोगी पृथक से भर्ती किया जाकर सामान्य जीवन रक्षक सपोर्ट औषधी दी जाती है। इसके साथ लेक्टोलाईट तथा रक्त के चकते के लिए एवं सेकेन्डी संक्रमण से बचाव की दवाई दी जाती है।
बचाव के उपाय
उन्होंने बताया कि पशुओं के साथ कार्य करने वाले लोग कीट प्रतिरोधी क्रिम का शरीर पर उपयोग किया जाए, पशुओं का कार्य करते समय हाथों में दस्ताने एवं शरीर पर लम्बी बाह के कपड़े, पैरों में जूते तथा पेन्ट, पाजामा आदि से ढका जाए जिससे कि कीट संक्रमण न कर सके तथा कार्य उपरान्त इन कपड़ों को धोने में डाल देना चाहिए वहीं पशुओं के मल-मूत्र त्याग से शरीर को बचाकर रखना चाहिए।


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