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''लहू मुल्क की मिट्टी का दोनों की रगों में बहता है'' ''हिंदू मुस्लिम दोनों के दिलों में तिरंगा रहता है''- सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती

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13 Mar 22
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''लहू मुल्क की मिट्टी का दोनों की रगों में बहता है'' ''हिंदू मुस्लिम दोनों के दिलों में तिरंगा रहता है''- सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती

“Delhi Sufi Meet” में क़रीब देश भर की 200 दरगाहों के प्रमुखों को सम्बोधित करते हुए श्री सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती चेयरमेन आल इंडिया सूफ़ी सज्जादानशीन काउन्सिल जो अजमेर दरगाह के आधियात्मिक प्रमुख के उत्तराधिकारी भी है ।

यह कार्यक्रम काउन्सिल के दिल्ली स्टेट विंग द्वारा रखा गया था । 

सैयद नसीरूद्दीन चिश्ती ने अपने सम्बोधन में कहा की हिंदुस्तान वलियों का मुल्क है सूफी संतों का मुल्क है और यही हमारे मुल्क की तहजीब है और यही हमारे मुल्क की ताकत है मौजूदा हिंदुस्तानी सियासी हालात में मजहबी रिवायतों में ओर खासकर हिंदू मुसलमानों की अमन व आपसी समझ, मोहब्बत, भाईचारे के नजरियों पर दोबारा सोचने की जरूरत है ताकि इस मुल्क की जम्हूरियत ठीक से काम कर पाए और देश में अमन और सुकून बना रहे। 

हमें हमेशा मजहबी भी इख़्तेलाफ को छोड़कर इंसानियत और मुल्क की बेहतरी को सबसे आगे रखना चाहिए और इस्लाम का अमन का पैगाम पूरी दुनिया में फैलाना चाहिए जैसा कि ख्वाजा साहब ने फैलाया था। याद रहे सूफीवाद कट्टरवाद और आतंकवाद के लिए मारक के रूप में काम करेगा इसलिए हमें सूफीवाद को फिर से स्थापित करने और इसे जमीनी स्तर पर बढ़ावा देने की जरूरत है।

''लहू मुल्क की मिट्टी का दोनों की रगों में बहता है''

''हिंदू मुस्लिम दोनों के दिलों में तिरंगा रहता है''

नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा की हमें कौमी एकता की एक मिसाल कायम करे क्योंकि अनेकता में एकता ही इस मुल्क की शान है हमारा वकार गौरव हमारा मुल्क सरजमी ए हिंदुस्तान है आज हिंदुस्तान में मजहबी दावेदारी को दबाते हुए इंतेहापसंद लोगो ने उसे हाईजैक कर लिया है और मजहब के नाम पर इस तरह की दरार पैदा की जा रही है कि हमें अंधेरे में ले जाया जा रहा है इस तरह के इंतेहापसन्द ताकतों से लड़ने के लिए सूफी लोगों को ओर सूफिज्म को आगे आना होगा।क्योकि सूफिज्म एक नजरिया नहीं बल्कि अमन और मोहब्बत के साथ जिंदगी जीने का रास्ता है एक सोच है जिसमें मुख्तलिफ नजरियों के बीच की खाई को खत्म करने की कोशिश की है और इसी वजह से सूफ़ियों  को हिंदू-मुस्लिम एकता की एक मजबूत बुनियाद के रूप में देखा जाता है जिसकी इस वक्त मुल्क को बहुत जरूरत है

इस्लाम मज़हब  के नाम पर हिंसा को कभी जायज नहीं ठहराता।

उन हो ने कहा की मुल्क वासियों को इस नाजुक दौर में किसी भी हिंसक गतिविधियों से परहेज करना चाहिए और दूसरे गुमराहो को भी नेक राह दिखाकर मुल्क की तरक्की में खिदमत करने को माइल करना चाहिए  सभी धर्मों को समझना चाहिए कि मजहब एक नूर है दहशत गर्दी एक अंधेरा है जिसमें बेवजह लोगों को फंसा दिया जाता है इसलिए हम सभी महजबी लोगों को अफवाहों की सख्त मजमम्मत करते हुए वतन परस्ती की मिसाल कायम करनी चाहिए।

क्यों की आज कल कुछ ऐसे ही कट्टरवादी संगठन इस सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके  इसी तरह की नफ़रत  को फैलाने में लगे हुए हैं अपने निजी स्वार्थ के लिए अपने पॉलिटिकल एजेंडे को साधने के लिए देश के नौजवानों को गुमराह करने का काम बड़े ज़ोरों शोर से कर रहे है यह  लोग अपने यूट्यूब चैनलो फेसबुक व्हाट्सएप और कई तरहें  के भ्रामक वीडियो बनाकर देश के नौजवानों की रगों में कट्टरवादिता का जहर घोल रहे हैं  अपनी तनज़ीमो में नौजवानों को शामिल करके उन्हें खास किस्म की फ़ोर्स जैसी ड्रेस पहना कर शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं इससे हमारी कौम के भोले भाले नौजवान उनके जाल में फंसते चले जा रहे हैं ।एसे माहोंल में हम दरगाह और खानकाओं की यह जिम्मेदारी बनती है कि हम लोग इस मुल्क के मुसलमानों को आगाह करें, सचेत करे उन्हें समझाएं कि अपने बच्चों को इस तरह के कट्टरपंथी तनजीमो से ना जुड़ने  दे और अपने बच्चों की अच्छी तालीम पर ध्यान दें उन्हें रोजगार करने के काबिल बनाए ना कि हथियार की दुनिया में। याद रहे तरकक्की  और कमियाबी  हथियार और आतंकवाद से नहीं बल्कि अच्छी तालीम और मेहनत से हासिल होती है।

नसीरूद्दीन चिश्ती ने कहा की जब देश आजाद हुआ तो उस समय देश में 500 से ज़्यादा रियासतें थी आज हम माइनॉरिटी की बात करते हैं देश में पारसी 0.1 प्रतिशत ,जैन 1.0 प्रतिशत ,सिख 1.80% की माइनॉरिटी,  अगर इन सब को प्रोस्पेरिटी एजुकेशन और आगे बढ़ने के अवसर मिल रहे हैं तो माइनॉरिटी में जो सबसे ज़्यादा मेज्योरिटी में है उनके साथ कैसे समस्या आई यह विचार करने का विषय है। जब देश आजाद हुआ था तो कोई बोद्ध रियासत नहीं थी ,कोई इसाई रियासत नहीं थी, कोई पारसी रियासत नहीं थी , एक महाराजा पटियाला को छोड़ दे तो कोई सीख रियासत भी नहीं थी, मगर लाइन लगाकर मुस्लिम रियासते थी नवाब भोपाल, नवाब पटौदी, नवाब रामपुर, निजाम हैदराबाद नवाब लखनऊ, जूनागढ़ के नवाब, फिर ऐसे हालात क्यों हो गए क्या आज बाकी सब तो पढ़ाई लिखाई में आगे बाकी सब सारी चीजो में आगे और एक ही वर्ग है जो पीछे होता चला गया मुझे लगता है कि इसमें दोष इनका भी है कि जो सियासत की गई अदावत और मोहब्बत की किसी ने यह दिखाने की कोशिश की कि किसी को तुमसे बड़ी मोहब्बत है और किसी ने यह दिखाने की कोशिश की कि फला को तुमसे बड़ी अदावत है और इस सियासत  ने देश के मुसलमानो को आज कहां पहुंचाया यह सब जानते हैं किसी को किसी की मोहब्बत ने मारा किसी को किसी की अदावत ने मारा पर हम सब को  इस सेक्युलर रियासत ने मारा ।

मैं जानता हूं कि पिछले कुछ महीनों से या फिर सालों से काफी मसाइल हुए हैं जिसकी वजह से हम सबके ख्याल थोड़े बदल चुके हैं मगर किसी ने खूब कहा है 

Beauty lies in the eye of the beholder

सुंदरता देखने वाले की आंखों में होती है

अंत में उन हो ने कहा की मेरे अज़ीज़ों याद रखना जिंदगी को जीना आसान नहीं होता जिंदगी को जीना आसान बनाना पड़ता है कुछ सब्र कर के कुछ बर्दाश्त करके और बहुत कुछ नजरअंदाज करके।


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