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बचा कर रखे लबालब झीलों के पानी को

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14 Oct 19
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झीले लबालब है। लेकिन उदयपुर को इस पानी का ठीक से उपयोग करना होगा ताकि आगामी  दो तीन वर्षों में बरसात न्यून भी हो तो भी उदयपुर को ज

बचा कर रखे लबालब झीलों के पानी को

उदयपुर,  झीले लबालब है। लेकिन उदयपुर को इस पानी का ठीक से उपयोग करना होगा ताकि आगामी  दो तीन वर्षों में बरसात न्यून भी हो तो भी उदयपुर को जल संकट नही झेलना पड़े। यह आग्रह रविवार को आयोजित झील संवाद में रखा गया। डॉ अनिल मेहता ने कहा कि उदयपुर में वर्षो से बरसात का एक निश्चित क्रम रहा है। एकाध अपवाद को छोड़ साधारणतया हर दस वर्ष में कुछ वर्ष अच्छी बरसात व कुछ वर्ष  एकदम कम बरसात होती है। अतः हमें  दस वर्ष का वाटर बजट बनाना चाहिए एवं  पानी का प्रबंधन इस प्रकार करना चाहिए कि किसी वर्ष बरसात न्यून होने पर भी जल संकट नही हो।

तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि झीलों में एक निश्चित तल तक पानी को बचाये रखना बहुत जरूरी है। झील पर्यावरण की सुरक्षा, पर्यटन व्यवसाय के स्थायित्व तथा भूजल के  निरंतर पुनर्भरण के लिए झीलों में पानी रहना चाहिए। इसलिए जरूरी है कि पानी का न्यायोचित उपयोग हो।

नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि हर नागरिक को यह समझना होगा कि उदयपुर में बारहमासी नदी स्त्रोत नही है। पानी के उपयोग का हमारा तरीका ऐसा होना चाहिए जैसे कि पानी बहुत ही कम उपलब्ध है। यदि हमने जल उपयोग में मितव्ययता नही रखी तो कुछ ही समय में  लबालब झीलें खाली हो जाएगी। इस अवसर पर पिछोला के बारीघाट पर आयोजित श्रमदान में रमेश चन्द्र राजपूत, मोहन सिंह चौहान, द्रुपद सिंह,सुमित विजय,अक्षय सिंह,कुशल रावल,कृष्णा कोष्ठी,तेज शंकर पालीवाल व नन्द किशोर शर्मा ने भाग लिया एवं झील क्षेत्र से घरेलू कचरा,पॉलीथिन व पूजन सामग्री से भरी  कपड़े पॉलीथिन की थैलियों को  बाहर निकाला।

अनिल मेहता 


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