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नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांगजन कंप्यूटर कोर्स का 68वां बैच सम्पन्न

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03 Oct 25
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नारायण सेवा संस्थान के दिव्यांगजन कंप्यूटर कोर्स का 68वां बैच सम्पन्न

उदयपुर, नारायण सेवा संस्थान द्वारा दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के उद्देश्य से संचालित त्रैमासिक निःशुल्क कंप्यूटर कोर्स का 68वां बैच गुरुवार को सम्पन्न हुआ।

सेवा महातीर्थ बड़ी परिसर में आयोजित समापन समारोह में संस्थान निदेशक श्रीमती वंदना अग्रवाल ने कहा अब तक 1055 दिव्यांग कंप्यूटर कोर्स पूरा कर चुके हैं। आज 19 दिव्यांग प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। उन्होंने कहा कि यह स्वरोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण दिव्यांग बंधु-बहिनों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उन्हें समाज में नई पहचान और आर्थिक मजबूती प्रदान करेगा।

अग्रवाल ने बताया कि संस्थान निरंतर ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर दिव्यांगजनों को मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य कर रहा है। कंप्यूटर, सिलाई-कढ़ाई, मोबाइल रिपेयरिंग और अन्य व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से हजारों दिव्यांगजन आत्मनिर्भर जीवन की ओर बढ़े हैं।

सफलता की कहानियां

इस बैच में बिहार, मुजफ्फरनगर के विजय कुमार 24 वर्षीय भी शामिल रहे। वर्ष 2019 में ट्रेन हादसे में उन्होंने दोनों पैर खो दिए थे। संस्थान ने उन्हें मॉड्युलर आर्टिफिशियल लिम्ब लगाए और कंप्यूटर प्रशिक्षण दिया। अब विजय अपने जीवन को नए उत्साह के साथ जीने लगे हैं और आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं।

इसी तरह बिहार के वैशाली जिले की 22 वर्षीय नेहा कुमारी का एक पाँव अर्द्ध विकसित था। संस्थान ने उनके लिए विशेष कैलिपर्स तैयार किया और उन्हें कंप्यूटर कोर्स करने का अवसर दिया। नेहा ने कहा कि यह प्रशिक्षण उनके जीवन को नई राह दिखाने वाला है और अब वह खुद अपने दम पर कुछ करने का आत्मविश्वास पा चुकी हैं।

प्रशिक्षकों ने बताया कि प्रशिक्षणार्थियों को एमएस ऑफिस, इंटरनेट, टाइपिंग और डिजिटल संचार जैसे विषयों की जानकारी दी गई। कोर्स पूरा करने के बाद सभी प्रतिभागियों ने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण उनके भविष्य को संवारने वाला है।

संस्थान की आगामी योजनाएं

नारायण सेवा संस्थान आने वाले समय में दिव्यांगजनों के लिए एडवांस कंप्यूटर कोर्स, डिजिटल डिजाइनिंग, मोबाइल टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन फ्रीलांसिंग जैसे नए प्रशिक्षण शुरू करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य है कि दिव्यांगजन न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी प्रतिभा के आधार पर रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्राप्त कर सकें।


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