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आर्टिफिशियल इन्टलीजेन्स आज की नहीं 1950 की तकनीक

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09 Nov 24
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आर्टिफिशियल इन्टलीजेन्स आज की नहीं 1950 की तकनीक


उदयपुर। राजस्थान के सूचना,तकनीक एवं प्रौद्यागिकी विभाग के मुख्य अभियन्ता अमित कक्कड़ ने कहा कि आज जिस आर्टिफिशियल इन्टलीजेन्स जैसी तकनीक को नई तकनीक बता रहे है,दरअसल वह तकनीक भारत में 1950 मंें विद्यमान थी। यह कोई नई तकनीक नहीं है। अपने फिल्ड के अलावा अन्य फिल्ड के बारें में जानने के लिये एआई को गहराई से समझना होगा।
वे आज एशरे व ईशरे राजस्थान के उदयपुर सब चेप्टर की ओर से रेडिसन ग्रीन होटल में आयोजित केस स्टडी एण्ड बेस्ट प्रक्टिस इन ग्रीन बिल्डिंग व केस स्टडी ऑफ एआई इन बिल्ट एनवायरमेन्ट विषयक कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में हमेशा सीखते रहना चाहिये। जिसने एआई तकनीक को स्वीकार नहीं किया वह व्यक्ति अन्य से काफी पिछड़ जायेगा। हमें बिजनेस डोमेन नोलेज की आवश्यकता होती है।
कक्कड़ ने बताया कि एआई एप्लीकेशन की अच्छाईयां है तो इसमें कई चुनौतियां भी है। इसमें कोई सुरक्षा नहीं है। आपके डाटा को कोई भी चुरा सकता है। एआई का सबसे अच्छा उपयोग एनएचएआई और रेलवे में हो रहा है।
इससे पूर्व आयोजित संगोष्ठी में इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (प्ळठब्) के डॉ. शिवराज ढाका ने इंजीनियरिंग और वास्तुकला की बुनियादी अवधारणाओं को साझा किया, जिनका उपयोग ग्रीन बिल्डिंग में किया जाता है। हरित भवन अब व्यक्तियों और परियोजनाओं के लिए कोई विकल्प नहीं रह गए हैं, वास्तव में यह सभी संगठनों के लिए अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।  
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हरित इमारतें ऊर्जा, जल और इनडोर पर्यावरण गुणवत्ता (आईईक्यू) का अनुपालन करती हैं, जिसका अर्थ है कि ऐसी इमारतें पर्यावरणीय चुनौतियों के प्रति अधिक संवेदनशील और जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीली हैं। ग्रीन बिल्डिंग आधारभूत मानदंडों से 40 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा और 30-40 प्रतिशत पानी बचाती है। बाद में डॉ. ढाका ने सभी पेशेवरों, आर्किटेक्ट्स, प्रोजेक्ट मालिकों आदि को हरित भवन प्रथाओं को अपनाने और हमारे पर्यावरण को बचाने में योगदान देने की सलाह दी।
संगोष्ठी में आर्किटेक्ट प्रियंका अर्जुन ने कहा कि स्थायित्वता की आज के सन्दर्भ में कोई चोईस नहीं है। इसके लॉजिक को समझ कर चलना होगा। इस क्षेत्र में हो रहे बदलावों को लेकर हमें अपडेट रहना होगा। अजय दक ने कहा कि इस क्षेत्र में और अधिक मेहनत के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। समाज की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर हमें आगे बढ़ना होगा।
शांतनु शर्मा ने कहा कि  हमें जिस प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता है उसमें ही हम अपडेट नहीं रहते है और नतीजा यह होता है कि हम दूसरों से पिछड़ जाते है। सोफ्टवेयर में हो रहे बदलाव की जानकारी हमें हर पल रखनी होगी।
पुनीत तलेसरा ने कहा कि जीवन में सफल होना है तो उसमें फेल्योर शब्द को स्थान नहीं दें। सफलता प्राप्त करनंे के मार्ग में निरन्तर आगे बढ़़ते रहे। सुनील लढ़ा ने कहा कि ग्राहकों की आवश्यकताआंे को ध्यान में रखते हुए प्रोजेक्ट को डिजाईन किया जाना चाहिये। संगोष्ठी में एन. राम ने भी अपने विचार रखें। कार्यक्रम का संचालन धीरज टांक व इन्द्रा राम ने किया। आभार एशरे चेयरमैन अशोक जैन ने ज्ञापित किया।


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