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बेपानी हुआ बैंगलोर- संभल जाए उदयपुर : डॉ  मेहता 

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10 Mar 24
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बेपानी हुआ बैंगलोर- संभल जाए उदयपुर : डॉ  मेहता 

उदयपुर,  झीलों तालाबों का शहर बैंगलोर आज से दो वर्ष पूर्व  बाढ़ से पीड़ित हुआ।  आज वो  एक एक  बूंद पानी के लिए तरस रहा है।  बैंगलोर से सबक ले  झीलों की नगरी उदयपुर को अपने जल भविष्य को बचाना होगा।
यह विचार रविवार को आयोजित झील संवाद व्यक्त किये गए।

 विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि बैंगलोर के सैंकड़ों तालाबों, जल नालों, खुले कुंवों को पाट देने के कारण वंहा अति पानी अथवा   शून्य पानी की स्थितियां बन रही है। शहर की आर्थिक , सामाजिक व शैक्षणिक गतिविधियाँ रूक गई है।

 उदयपुर में पहाड़ों, जंगलों के कारण  नदी- नालों की वृहद जल व्यवस्था बनी ।  भूजल का निरंतर प्राकृतिक पुनर्भरण होता था। अनेक छोटे तालाब - तलाइयाँ  ज्यादा बरसात के वर्षों में  बरसात के पानी को  सहेज लेते थे। इनसे होने वाले रीचार्ज से  कुंवो बावड़ियों में  भूजल का स्तर अच्छा बना रहता था।  लेकिन, बैंगलोर की तरह ही उदयपुर ने अपने शहरीकरण के विस्तार में  पहाड़ों को काट है, छोटे तालाबों को नष्ट किया है तथा  बरसाती नालों , कुंवों बावडियों को पाट दिया है।

मेहता ने कहा कि  यदि उदयपुर ने अभी भी अपने को नही संभाला तो आने वाले कुछ ही वर्षों में उदयपुर में भी भीषण बाढ़, भीषण सूखा यंहा की सामाजिक - आर्थिक व्यवस्था  को चौपट कर देगा।

 झील प्रेमी तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि उदयपुर में भयंकर जल बर्बादी हो रही है। होटलों व रिसोर्ट में प्रति  जल खपत घर मे मुकाबले पांच सौ से सात सौ प्रतिशत ज्यादा है। अनियंत्रित पर्यटन से झीलों  व भू जल, दोनो की गुणवत्ता में गिरावट आ गई है। समय आ गया है कि व्यक्तिगत स्वार्थ व आर्थिक लाभ से परे जाकर हम उदयपुर के सुरक्षित भविष्य पर चिंतन करें।

 गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि कुछेक बस्तियों व  छोटे व्यवसाय केंद्रों  को छोड़ कर  हर घर ,  व्यवसाय स्थल, संस्थानों में   गहरे टयूब वेल हैं। इनसे जल निकासी पर कोई प्रतिबंध नही है। इससे  भू जल स्तर में गिरावट आ रही है। राज्य में भूजल दोहन नियंत्रण पर एक कठोर  कानून  की आवश्यकता है।

पर्यावरण प्रेमी कुशल रावल ने कहा कि हर घर , हर व्यवसाय स्थल, होटल रिजॉर्ट में  पर जल खपत को नियंत्रित  करना प्रारम्भ कर देना चाहिए।बाथ टब , शॉवर का प्रयोग न्यूनतम कर देना चाहिए।  वैज्ञनिक रूप से सही  वर्षा जल संरक्षण विधियों  को बढ़ाना चाहिए।


 वरिष्ठ नागरिक रमेश चंद्र राजपूत ने कहा कि जिस भी समाज ने जल का अपमान किया , उसे दुर्दिन देखने पड़े है। उन्होंने आग्रह किया कि  उदयपुर जल स्त्रोतों व उनके केचमेंट के प्रति सम्मान व संरक्षण का व्यहवार शुरू करे।

संवाद से पूर्व झील स्वच्छता श्रमदान किया गया


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