सुखाड़िया विश्वविद्यालय में घमासान: एबीवीपी का प्रदर्शन, सरकार ने विवादित नियुक्तियों पर बॉम बैठक रोकी

( Read 10740 Times)

14 Aug 25
Share |
Print This Page
सुखाड़िया विश्वविद्यालय में घमासान: एबीवीपी का प्रदर्शन, सरकार ने विवादित नियुक्तियों पर बॉम बैठक रोकी

उदयपुर — मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (सुविवि) बुधवार को तब सुर्खियों में आ गया जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रशासनिक भवन के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और नियुक्तियों व शैक्षणिक परिणामों में अनियमितताओं के आरोप लगाए। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने रजिस्ट्रार डॉ. वृद्धिचंद गर्ग को ज्ञापन सौंपकर तुरंत कार्रवाई की मांग की।

एबीवीपी इकाई अध्यक्ष प्रवीण टांक ने आरोप लगाया कि प्रो. एमएस ढाका की नियुक्ति विश्वविद्यालय के नियमों के खिलाफ की गई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि डॉ. पीएस राजपूत की वर्ष 2018 से पहले की सहायक पुस्तकालयाध्यक्ष (गैर-शैक्षणिक) सेवा को अनुचित तरीके से अध्यापन सेवा में जोड़ा गया, जिससे उन्हें कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत पदोन्नति का लाभ मिल सके। टांक ने बीसीए तृतीय सेमेस्टर के जावा विषय में 70% से अधिक छात्रों के फेल होने के मामले में भी जांच और संशोधित परिणाम जारी करने की मांग की।

प्रो. ढाका ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति नियमानुसार हुई है। उन्होंने अपने 13.5 वर्षों के सेवा अनुभव, 150 शोध पत्र और 12 पीएचडी पूर्ण कराने की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, “आरोप कोई भी लगा सकता है।”

इस विवाद के बीच मंगलवार देर रात 11:49 बजे प्रदेश सरकार ने बुधवार सुबह 11 बजे होने वाली बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट (बॉम) बैठक को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया। एक साल में यह तीसरी बार है जब बैठक स्थगित की गई है। इससे पहले 5 जुलाई और 1 सितंबर 2024 की बैठकें भी टल चुकी हैं।

सूत्रों के अनुसार, बैठक रद्द करने के पीछे कई कारण थे — जनसंख्या अनुसंधान केंद्र में चार पदों के लिए हुए साक्षात्कार के परिणामों का खुलना, डॉ. राजपूत की गैर-शैक्षणिक सेवा को अध्यापन में शामिल करने का विवाद, बॉम के तीन पदों (राज्यपाल प्रतिनिधि और दो विधायक) का खाली होना और शिक्षकों के बीच बढ़ता गुटबाज़ी का टकराव। अशैक्षणिक कर्मचारियों के सेवा विस्तार में देरी से भी प्रशासन की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है।

डॉ. राजपूत की सेवा समायोजन को लेकर पिछले दो वर्षों से विवाद जारी है और इस बार भी उनकी पदोन्नति का मामला एजेंडे में था। इसी बीच प्रो. एमके जैन ने आरोप लगाया कि कुलपति प्रो. सुनीता ने उन्हें बॉम सदस्य पद से नियम विरुद्ध हटाकर प्रो. ढाका को सदस्य बना दिया।

सरकारी दखल, बढ़ती गुटबाज़ी और पदोन्नति विवाद के चलते सुखाड़िया विश्वविद्यालय का यह टकराव अब एक गंभीर प्रशासनिक संकट का रूप ले चुका है।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like