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आटिज्म विकार के लिए स्टेम सेल थेरेपी उपचार की एक नई आशा

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03 Aug 17
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आटिज्म विकार के लिए स्टेम सेल थेरेपी उपचार की एक नई आशा उदयपुर। न्यूरोजेन ब्रेन एण्ड स्पाइन इंस्टीट्ययूट, जो कि भारत का पहला और एकमात्र स्टेम सेल थेरेपी केंद्र है, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर से पीडित बच्चों के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। न्यूरोजेन अब तक दुनिया भर के करीब 1000 से अधिक ऑटिस्टिक बच्चों के इलाज की पेशकश कर चुका है। ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसॉर्डर (एएसडी) बचपन में होनेवाले आम न्यूरो-मानसिक विकारों में से एक है। संयुक्त राज्य अमेरिका में 68 बच्चों में 1 बच्चे को ऑटिज्म की समस्या है, तो वहीं भारत में हर 250 बच्चों में से 1 बच्चा ऑटिज्म की चपेट में है, हालांकि बेहतर निदान के साधनों और लोगों के बीच विकार को लेकर बढी जागरूकता के चलते यह संख्या बढती जा रही है।
गुरूवार को आयोजित प्रेसवार्ता में एलटीएमजी अस्पताल और एलटीएम मेडिकल कॉलेज, सायन, मुंबई के प्रोफेसर एवं न्यूरोसर्जरी के प्रमुख और न्यूरोजेन ब्रेन एण्ड स्पाइन इंस्टीट्ययूट के निदेशक डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि बच्चे का ऑटिज्म पीडित होना अधिकांश माता-पिता के लिए जीवन को बदलने वाला अनुभव होता है। ऑटिस्टिक लक्षणों वाले ऑटिज्म ग्रस्त बच्चे की परवरिश अभिभावकों के लिए, खासकर माताओं के लिए एक चुनौती की तरह होता है क्योंकि यह थकाऊ, लंबी और अकेले रोलर कोस्टर की सवारी करने जैसी प्रक्रिया है। ऑटिज्म बचपन का एक विकार है जो बोलने में दिक्कत, अतिसक्रियता, आक्रामक व्यवहार और सामाजिक संफ में कठिनाई के परिणाम प्रकट करता है। वर्तमान में भारत में तकरीबन एक करोड बच्चे इससे प्रभावित हैं, जिनका दवाओं के सहारे, लाक्षिणक राहत, विशेष शिक्षा, ऑक्युपेशनल स्पीच और बिहैवियरल थेरेपी के साथ इलाज किया जा रहा है।
डॉ आलोक शर्मा ने बताया कि चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति के विकास पर एक नजर डालने से पता चलता है कि मुश्किल लाइलाज बीमारियों का समाधान अक्सर मल्टी-डिसिप्लीनरी अप्रोच से मिलता है। यह तभी होता है जब लाइलाज या उपचार के लिहाज से मुश्किल विकारों के मामलों में अलग-अलग विशेषताओं के लोग अपने ज्ञान, कौशल और संसाधनों का संयुक्त प्रयोग करते हैं।
उन्होंने बताया कि ऑटिज्म उच्च मानसिक कार्यों में दोष का कारण बनता है और बच्चों को अतिसक्रिय, आक्रामक बनाता है और उनके सामाजिक संबंधों को प्रभावित करता है। बोलचाल, भाषा और संचार कौशल को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। ऐसे बच्चे सामान्य स्कूलों में नहीं जा पाते हैं और अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए माता-पिता या देखभाल करनेवालों पर पूरी तरह निर्भर रहते हैं। बच्चे का ऑटिज्म से पीडित होना समग्र परिवार को भावनात्मक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रभावित करता है। यह सामान्यतः लडकियों के मुकाबले लडकों में अधिक पाया जाता है। हालांकि सामान्य तौर पर तीन वर्ष की उम्र में बच्चों में इसके लक्षण स्पष्ट होने लगते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह काफी बडी उम्र के बाद उभरता है। इस विकार की ईटियोलॉजी (सटीक कारण) और पैथोफिजिओलॉजी के बारे में बेहद अनभिज्ञता है, लेकिन अनुसंधानों ने इसके लिए जेनेटिक्स (आनुवांशिकता), चयापचय या न्यूरोलॉजिकल कारकों, कुछ विशेष पकार के संक्रमणों जन्म के पूर्व या पसवोत्तर पर्यावरण आदि की ओर इशारा किया है।
प्रेसवार्ता में उदयपुर के 7 वर्षीय लडके मास्टर अदनान तबरान की केस रिपोर्ट पेश की गई जो कि अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिसऑर्डर (ऑटिज्म) का मामला है। अदनान की मां की गर्भावस्था के 9 वें महीने के दौरान जटिलताओं की वजह पेरित प्रसव तकनीक के सहारे निर्धारित तिथि से 8 से 10 दिन पूर्व अदनान का जन्म हुआ। वह जन्म लेने के तुरंत बाद रोया और उसके बाद भी किसी तरह की जटिलता के लक्षण नजर नहीं आए। उम्र के अनुसार उसकी सभी दृश्य पेशियों (विजुअल माइलस्टोंस) का सामान्य विकास हुआ। हालांकि उसकी पेरक और संवाद से संबंधित पेशियों (मोटर एण्ड स्पीच माइलस्टोंस) के विकास में देरी देखी गई। उसने 16 महीने की उम्र में चलना शुरू किया और 3 साल की उम्र में एकाध शब्द बोलना शुरू किया। उसमें हाथों के नियंत्रण और व्यक्तिगत सामाजिक विकास में देरी हुई और लगभग 3.5 से 4 वर्ष की उम्र में उसने इसे प्राप्त किया। अदनान के पिता तबरान ने बताया कि जब अदनान की उम्र लगभग 2 वर्ष थी, हमने देखा कि वह तुनकमिजाज और बेचैन स्वभाव का प्रदर्शन करता है और अपनी उम्र के बच्चों की तुलना में उसकी सीखने की क्षमता उपयुक्त नहीं है। हमने अलग-अलग तरीकों से उसके इस आचरण को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन 5-10 मिनट बाद वह पुनः धमाचौकडी मचाने लगता। 2 साल पहले जब अदनान 5 साल का था, उसे अहमदाबाद में एक मनोवैज्ञानिक (साइकोलॉजिस्ट) को दिखाया, जहां उन्होंने उसका मनोवैज्ञानिक आकलन किया। नैदानिक तस्वीर और जांच के आधार पर उसे एडीएचडी और स्पीच डिले (संभाषण में देरी) की समस्या से ग्रस्त पाया गया।
परिवार में किसी तरह के मनोवैज्ञानिक विकार या ऑटिज्म का कोई इतिहास नहीं है। पर्याप्त जागरूकता की कमी के चलते शुरुआती कुछ वर्षों तक अदनान के परिवार को पता ही नहीं चला कि उनके बच्चे का यह व्यवहार मस्तिष्क की समस्या के कारण है। अहमदाबाद में मनौवैज्ञानिक के यहां इस समस्या का निदान होने के बाद अदनान और उसकी मां औपचारिक चिकित्सा और स्पीच थेरेपी लेने के लिए 3 महीने तक अमहदाबाद में रहे।
अदनान के माता-पिता को मार्च 2016 में इंटरनेट के माध्यम से न्यूरोजेन के बारे में तब पता चला जब वे ऑटिज्म (एडीएचडी) के लिए विभिन्न चिकित्सा विकल्पों के बारे खोजबीन कर रहे थे। अदनान स्टेम सेल थेरेपी और न्यूरो-रीहबिलटैशन से गुजरने के लिए दिसंबर 2016 में न्यूरोजेन ब्रेन एण्ड स्पाइन इंस्टीट्ययूट में आया। परीक्षण करने पर अदनान में मुख्य रूप से आसान अव्यवहारिकता की शिकायत दिखाई दी। काम पर अपना ध्यान केंद्रित कर पाना उसके लिए बहुत कठिन था। वह 1 स्टेप सिंपल कमांड का पालन करता था, जो आमतौर पर बुनियादी नियमित निर्देश होते थे। उसकी निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित थी। उसकी अनुकरण करने की क्षमता कमजोर थी। वह केवल असंरचित खेलों में संलग्न हो पाता था। अन्य बच्चों के साथ खेलते समय वह असहयोगी रवैए का प्रदर्शन करता था। उसमें अतिसक्रियता के लक्षण मौजूद थे। उसकी आंखों का संफ संक्षिप्त था। अस्थायी झुंझलाहट के लक्षण मौजूद थे। अपनी मांग पूरी न होने पर उसमें काटने, खरोंचने और मारने के लक्षण मौजूद थे। वह उचित रूप से संचार करने में कठिनाई महसूस करता था। बातचीत की शुरुआत करने में मुश्किल प्रतीत होती थी। उसकी स्मरण क्षमता औसत से कम थी। वह अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए दूसरों पर निर्भर था। वह स्वयं टॉयलेट तो चला जाता, लेकिन बाद की स्वच्छता के लिए उसे मदद की जरूरत महसूस होती थी।
न्यूरोजेन में अदनान का एक स्वनिर्धारित पुनर्वास कार्यक्रम के साथ स्टेम सेल थेरेपी उपचार शुरू हुआ। पुनर्वास कार्यक्रम का उद्देश्य अनुभूति और समझ विकसित करना, अतिसंवेदनशीलता को कम करना और एकाग्रता, संवेदी एकीकरण, निर्देश पालन और मरीज की समग्र बौद्धिक क्षमता को बढाना था। उसे ऐसे एक्सरसाइज बताए गए जिससे उसकी समझ में सुधार लाने और उसके व्यवहार, संवेदी व पेरक पेशियों के संचालन (मोटर- संबंधी) की दक्षता में मदद मिलेगी। अपने-अपने क्षेत्र के सबसे अनुभवी पेशेवरों के मार्गदर्शन में उसे व्यावसायिक चिकित्सा, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी और मनोवैज्ञानिक परामर्श का एक संयोजित कार्यक्रम प्रदान किया गया। श्रीमती तबरान में न्यूरोएजेन के स्टेमसेल थेरेपी के साथ नई उम्मीद जगी है।
स्टेम सेल थेरेपी के बाद अदनान के ध्यान और एकाग्रता में सुधार हुआ है, अब वह चीजों पर अधिक ध्यान देता है। अनुपालन में वृद्धि हुई है। अधिक आदेशों का पालन करता है। विभिन्न चीजों के समय को जानता है। समझ में वृद्धि हुई है। स्थिति जागरूकता बेहतर है। घर में सभी वस्तुओं को पहचानता है, रंगों की पहचान और उनमें से चयन करने की स्थिति में सुधार आया है। अब वह दूर से आने वाले वाहनों, जानवरों के बारे में अधिक सचेत रहता है। फोन पूरी तरह से संचालित कर सकता है। भावनात्मक प्रतिक्रियाओं में सुधार हुआ है। बैठने की सहिष्णुता काफी सुधर गई है। सामाजिक व्यवहार, अवरोध बेहतर है। नेत्र संफ में सुधार हुआ है। बुलाने पर तत्काल देखता है। आंख से संफ बनाए रखने की कोशिश करता है। भाषण में सुधार हुआ है। उचित वाक्यविन्यास के साथ अब लंबे वाक्य बोल सकता है। वह अधिक जानकारी के साथ मौखिक रूप से अधिक जरूरत को अभिव्यक्त करता है। वह चीजों को बहुत जल्दी से समझता है। सभी गतिविधियों को अपने दम पर करने का पयास करता है। मौखिक संकेतों का प्रदर्शन कर सकता है। अपने शौचालय की जरूरतों को पहचानता है। स्वयं से शौचालय में जाता है। अब वह कार्य करने के तरीकों से अवगत है। फोन को चार्ज करने के लिए रखता है। फोन पर जवाब देता है। आत्म देखभाल और अनुभूति के लिहाज से एफआईएम स्कोर 75 से बढकर 86 हो गया है।
वर्तमान में अदनान को एक विशेष स्कूल में दाखिला दिलाया गया है, जहां उसे थेरेपी और विशेष शिक्षा के साथ पशिक्षित किया जा रहा है। वह स्कूल जाना पसंद करता है। अपने क्षेत्र में छाया शिक्षक की कोई अवधारणा न होने के कारण अदनान को पहले के सामान्य स्कूल से हटा दिया गया है, और अब वह अपने नए विशेष स्कूल में धीरे-धीरे अपनी समझ को विकसित कर रहा है और उसके सीखने में सुधार आया है। न्यूरोजेन में अदनान और उसके माता-पिता का समग्र अनुभव बहुत अच्छा रहा। उन्हें उसके सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिए उचित मार्गदर्शन मिला। अदनान अब हर रोज आक्युपेशनल थेरेपी और विशेष शिक्षा के लिए जाता है। डॉ. आलोक शर्मा ने बताया कि स्टेम सेल थेरेपी ऑटिज्म के लिए उपचार के नए विकल्प के रूप में उभर रही है। इस उपचार में आणविक, संरचनात्मक और कार्यात्मक स्तर पर क्षितग्रस्त तंत्रिका ऊतकों की मरम्मत की क्षमता है।
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