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सर्वधर्म सद्भाव व संवाद से ही विश्व शांति संभव- श्री श्री रवि शंकर

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29 Apr 17
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सर्वधर्म सद्भाव व संवाद से ही विश्व शांति संभव- श्री श्री रवि शंकर ‘सर्वधर्म संवाद के द्वारा विश्व शांति और सद्भावना’ सम्मलेन का आयोजन कर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त जैन आचार्य डा. लोकेश मुनि द्वारा स्थापित संस्था अहिंसा विश्व भारती ने अपने 12 वें स्थापना दिवस पर विश्व विख्यात अध्यात्मिक संतों के साथ अंतरधार्मिक संवाद की ऐतिहासिक शुरुआत शुक्रवार 28 अप्रैल को मुंबई के बिरला मातुश्री सभागार में की|

विश्व विख्यात आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर जी, अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डा. लोकेश मुनि, भागवत कथाचार्य रमेश भाई ओझा, अकाल तख़्त के प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी गुरुबचन सिंह, अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष इमाम उमेर अहमद इलियासी, आर्चबिशप, दादा जे.पी. वासवानी, बौद्ध भिक्षु रिम्पोचे , ब्रह्मकुमारी डा. बिन्नी सरीन के पावन सानिध्य बिहार के राज्यपाल श्री राम नाथ कोविंद, केन्द्रीय मंत्री श्री रामदास अठावले व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फण्डविज की पत्नी ने सम्मलेन का शुभारम्भ किया |

श्री श्री रवि शंकर ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान समय में विश्व के हालत है वह बहुत गंभीर है| सीरिया, अफगानिस्तान से लेकर रूस व अमरीका तक हिंसा व दहशत का माहौल है| ऐसे समय में दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ तथा विश्व धर्म संसद भी अनेकांत दर्शन आधारित अंतर धार्मिक संवाद को अत्यधिक महत्व दे रहे है।

आचार्य डा. लोकेश मुनि ने इस अवसर पर कहा कि हिंसा व आतंकवाद किसी समस्या का समाधान नहीं| हिंसा प्रतिहिंसा को जन्म देती है| पर्यावरण प्रदूषण से भी वैचारिक प्रदूषण अधिक ख़तरनाक है। संवाद के द्वारा हर समस्या का समाधान मुमकिन है| उन्होंने कहा कि समाज व राष्ट्र के लिए शांति आवश्यक है और सर्व धर्म सद्भाव से ही विश्व शांति की स्थापना हो सकती है| जब सभी धर्म, संप्रदाय व जाति के लोग एक साथ मिलकर शांति व सद्भावना के साथ विकास के लिए कार्य करेंगे तो विश्व कल्याण निश्चित है|

श्री राम नाथ कोविंद ने अहिंसा विश्व भारती की इस ऐतिहासिक पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितों में ऐसे समसामयिक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन करना राष्ट्र व समाज के लिए कल्याणकारी है| आज इस मंच पर सभी धर्मों के प्रख्यात गुरुओं ने एक साथ यह सन्देश दिया कि धर्म हमें शांति व सद्भावना के साथ रहना सिखाता है इससे जन मानस तक विशेष सन्देश जायेगा|

श्री रामदास अठावले ने कहा कि सामाजिक जीवन में शान्ति, बन्धुत्व, प्रेम, अहिंसा, समतामूलक विकास के पक्षधर हैं| सर्वधर्म समभाव की उदात्त चेतना से विकास सम्भव है। जब सभी धर्मों के संत शांति व सद्भावना से रहने का सन्देश देंगे तो समाज में सौहार्दपूर्ण वातावरण की स्थापना को गति मिलेगी|

श्री रमेश भाई ओझा ने कहा कि धर्म की प्रासंगिकता एवं प्रयोजनशीलता शान्ति, व्यवस्था, स्वतंत्रता, समता, प्रगति एवं विकास से सम्बन्धित समाज सापेक्ष परिस्थितियों के निर्माण में भी निहित है| जिस समाज में दर्शन एवं धर्म में सामंजस्य रहता है, ज्ञान एवं क्रिया में अनुरूपता होती है, उस समाज में शान्ति होती है तथा सदस्यों में परस्पर मैत्र-- भाव बना रहता है|

ज्ञानी गुरुबचन सिंह ने कहा कि आचार्य लोकेश मुनि समूची भारतीय संस्कृति को विश्व भर मैं फैला रहे है| पिछले वर्ष उन्होंने यूनाइटेड नेशन्स में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस को संबोधित किया| उन्हें विश्व संत के रूप में, अम्बेसेडर ऑफ पीस के रूप में संबोधित करते हुए ख़ुशी हो रही है| आचार्य लोकेश ने धर्म को समाज सेवा से जोड़ा उसे सामाजिक बुराइयों को मिटाने का माध्यम बनाया| उनके नेतृत्व में अहिंसा विश्व भारती संस्था द्वारा कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ, नशें के खिलाफ जो अभियान चल रहा है उसकी जितनी सराहना की जाये वो कम है|

इमाम उमेर अहमद इलियासी ने कहा कि समाज के विभिन्न समुदायों में मतभेद स्वाभाविक है| परन्तु जब मतभेद मनभेद में बदल जाये तब समस्यायें उत्पन्न होती है| इमाम इलियासी ने कहा हम सभी धर्मो के गुरु निरंतर इस प्रयास में रहते है कि एक साथ समाज को भाईचारे व शांति का सन्देश दे| जब भी जरूरत पडी हमने सांप्रदायिक मतभेद के क्षेत्र में शांति स्थापित करने का प्रयास किया है|

श्री देवेन्द्र फण्डविज की पत्नी श्रीमती अमृता फण्डविज ने कहा कि भारत जैसे विविध धर्म एवं संस्कृति वाले देश में यह जरूरी है कि हम अपने धर्म -संस्कृति को जानने और समझने के साथ दूसरी धर्म संस्कृतियों का आदर और सम्मान करना सीखे| भारत वर्ष में धर्म के धरातल पर बेहद विशालता, व्यापकता एवं मानवीयता रही है|

आर्चबिशप, दादा जे.पी. वासवानी, बौद्ध भिक्षु रिम्पोचे , ब्रह्मकुमारी डा. बिन्नी सरीन ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये| कार्यक्रम के सफल आयोजन में सर्वश्री अभय कुमार जैन, सौरभ बोरा, गनपत कोठारी, प्रशांत जावेरी, राजीव चोपड़ा, किशोर खाबिया, मोतीलाल छाजेड, स्वर्णजीत सिंह बजाज, केविन शाह, अशोक नाकेरानी कुणाल शाह, साजन शाह, श्री प्रवीण कोटक, रुचिरा सुराना, संगीता जैन, कोकिला जावेरी, सतीश सुराना ने पूर्ण योगदान दिया|
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