एनसीडी रोगों की मुख्य वजह: हैबिलाइट बरिएट्रिक्स
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11 Oct 17
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नईं दिल्ली,विश्व मोटापा दिवस पर एक सार्थक पहल करते हुए, हैबिलाइट बरिएट्रिक्स ने एक प्रोग्राम की शुरूआत की है जिसमें लोगों को यह जानकारी दी जा रही हैं कि कैसे बिना इलाज मोटापे के कारण वे नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज का षिकार बन सकते हैं और इस स्थिति से कैसे निपटा जा सकता है। हैबिलाइट बरिएट्रिक्स के संस्थापक, डॉ. कपिल अग्रवाल, वरिष्ठ सलाहकार, बरिएट्रिक एवं लैप्राोस्कोपिक सर्जन बताते हैं कि, भारत में मोटापे के रोगियों के साथ बड़ी समस्या यह है कि वे अपनी बीमारी को एक रोग नहीं मानते है और इसके गंभीर परिणामों की अनदेखी करते हैं। हैबिलाइट सपोर्ट ग्रुप के साथ हम लोगों को यह जानकारी प्रदान कर रहे हैं कि उनका मोटापा एक गंभीर रोग है और कैसे यह मोटापा अन्य गंभीर नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों की वजह बन सकता हैं। अत: इसके उपचार के लिए प्रोफेषनल स्वास्थ्य सलाहकार की आवष्यकता होती हैं। डॉ. कपिल अग्रवाल ने बताया कि भारत दुनिया में तीसरा सबसे अधिक मोटी आबादी वाला देश है। बढ़ती आय और भागदौड़ भरी जीवन शैली के साथ तेजी से होता शहरीकरण मोटापे के बढ़ते स्तरों के लिए मुख्य कारक है और लोगों को जानकारी इसकी नहीं है और वहीं कुछ लोग नतीजे के बारे में अनजान हैं कि मोटापा गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के लिए जिम्मेदार है।हमारे देष में 10 प्रतिषत आबादी सामान्य मोटापे और 5 प्रतिषत आबादी अत्यधिक मोटापे की षिकार है, जिसकी वजह से बड़ी आबादी नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, हार्ट डिसीज, लीवर रोग और कईं प्राकार के कैंसर से पीड़ित है।
इसलिए मोटापे को नियंत्रित करने के लिए, उसकी रोकथाम की उपयुक्त योजना का निष्पादित बेहद आवष्यक है, ताकि वजन को पुन: बढने से रोका जा सके और उसके उपचार में आने वाले खर्च को नियंत्रित किया जा सके। हैबीलाइट सपोर्ट ग्रुप इस स्थिति का विश्लेषण करने के लिए सर्वेक्षण कर रहा हैं और मरीजों को बेहतर आहार विकल्पों का चयन करने, स्वस्थ वातावरण बनाने, उन्हें प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल परामर्श प्रादान कर रहा है।आगे डॉ कपिल अग्रवाल बताते हैं कि हैबिलाइट सपोर्ट ग्रुप में रोगियों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रबंधन में प्राशिक्षित स्वास्थ्य सलाहकार समाज में मोटापे को लेकर व्याप्त विकृत सोच व वजन प्रबंधन को डील करने के बारे में मरीजों को अवगत कराते हैं। हमारा मानना है कि यदि हर कोईं इलाज की आवश्यकता को कम करने के लिए रोकथाम में निवेश के मूल को समझ जाए, तो मोटापे के बढ़ते बोझ से निपटा जा सकता है.
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