GMCH STORIES

मनु६य का जीवन ओस की बूंद की भांतिःशिवमुनि

( Read 6523 Times)

22 Sep 18
Share |
Print This Page

उदयपुर। महाप्रज्ञ विहार में आचार्य शिवमुनि ने प्रातःकालीन धर्मसभा में कहा कि मनु६य जीवन बहुत ही छोटा है, इसे सांसारिक मोह माया में उलझ कर व्यर्थ ही ना गंवाओ। जिस तरह से घास पर ओस की बून्दें होती है, लगती कितनी प्यारी है जैसे मोती रखे हो, लेकिन उनकी उम्र कितनी होती है सिर्फ सूरज के निकलने तक या किसी के हाथ का स्पशर् होने तक। बस मनु६य का जीवन भी उस ओस की बून्द की तरह ही है। वह लगता बहुत सुन्दर है लेकिन उसकी उम्र कोई ज्यादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि उम्र के साथ समय की कीमत भी समझो। समय का प्रमाद मत करो। पलक झपकते ही समय कैसे बदल जाता हैं। मनु६य कितना प्रमाद में जी रहा है। सवेरे जब वह सो कर उठता है वह समझता है कि वह जाग गया है, लेकिन असल में वह प्रमाद है, जबकि वह अभी भी निद्रा में है।
निद्रा के प्रकार बताते हुए आचार्यश्री ने कहा कि निद्रा वह नही है जब आप रात को सो रहे हो। वह तो आपका प्रमाद है। आपका शरीर निद्रा में है, वह तो द्रव्य निद्रा है। व्यक्ति रात को सो कर उठने के बाद भी निद्रा में ही रहता है और वह है भाव निद्रा। क्रोध, कषाय, मान, माया, लोभ के भावों में रहना ही भाव निद्रा है। इन भावों को छोडो। जब तक आप इनमें रहोगे तब तक संसार में रहोगे। जब इन्हें छोडोगे तब ही आप आत्मा में स्थिर हो पाओगे।
आचार्यश्री ने कहा कि यदि आपको निद्रा में ही रहना है तो योग निद्रा में रहो। योग निद्रा का अभ्यास करो। योग निद्रा में आप लटे हो लेकिन भीतर आपकी आत्मा जाग रही है। वह अपनी कि्रया कर रही है। आत्मा कभी भी सोती नहीं है। मानव जीवन मिला है अपने कर्मबन्धों को तोडने के लिए लेकिन मनु६य है कि संसार में रह कर देह की सेवा करके आत्मा को छोड कर कर्मबन्धों को बान्धने में लगा हुआ है। व्यवहार जगत का पालन करो लेकिन अध्यात्म जगत को भी तो समझो। मोक्ष मार्ग का रास्ता अध्यात्म जगत से होकर जाता है। संसार में धन जरूरी है लेकिन इस धन के लालच में आप उस परम धन को क्यों छोड रहे हो जो कि आपकी आत्मा में छिपा है जिसमें परम आनन्द है, परम सुख है। आत्मा में स्थिर रहने से, स्वयं को जानने लेने से ही जीवन का कल्याण होगा।
युवाचार्यश्री महेन्द्रऋषजी महाराज ने श्रावकों को सत्य का महत्व बताते हुए कहा कि हालांकि सत्य की राह कठिन होती है लेकिन जो सत्य की राह पर चल निकलता है उसके जीवन का कल्याण हो जाता है। जीवन तो क्षण भंगूर है। संसार में आये हो तो वापसी का टिकट भी साथ लाए हों। एक दिन यहीं पर सब कुछ छोड कर जाना है। जो जीवन मिला है उसे मिथ्यात्व में मत गंवाओ। सत्य की राह पर चल कर अपने जीवन को सुखी और आनन्दमयी बनाओ। जिसके पास सत्य होता है परमात्मा भी उसके साथ होता है।
गलुण्डिया को दी श्रद्धांजलिः उदयपुर स्थानकवासी जैन श्रावक संघ के महामंत्री हिम्मतसिंह गलुण्डिया का कैंसर की बीमारी के चलते शुक्रवार रात निधन हो गया था। आचार्यश्री ने गलुण्डिया के सामाजिक व परोपकार के कार्यों को याद करते हुए कहा कि वह एक सीधे-सादे समाजसेवी थे। समाज एवं दीन-दुखियों की सेवा में हमेशा तत्पर रहते थे। पिछले काफी समय से वह कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से पीडत थे। अहमदाबाद में उनका इलाज भी चला था। वह स्वस्थ भी हो गये थे लेकिन आखिरकर उन्हें यह संसार छोड कर जाना ही पडा। आचार्यश्री ने धर्मसभा में उनके कार्यों को याद करते हुए उन्हें भावंजलि दी।
शनिवार को भी धर्मसभा में देश के विभिन्न क्षेत्रें से श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित हुए। चातुर्मास संयोजक विरेन्द्र डांगी ने सभी का स्वागत किया। औंकारसिंह सिरोया ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। धर्मसभा में प्रवचन की समाप्ति प८चात आचार्यश्री ने ध्यान योग करवाया।

Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Udaipur News
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like