शनिवार, गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, उदयपुर में सिरोही निवासी मृतक जगदीश हरीव्यासी ७४ वर्ष पुत्र नारायण हरीव्यासी ने गौ-लौक गमन से पूर्व स्वयं की देहदान की इच्छा व्यक्त की थी जिसके तहत भीलवाडा में देहवसान के बाद मृतक की पुत्री निरजा ने गीतंाजली को अपने पिता की देह का दान किया, जिसके बाद देह को गीतांजली के एनाटोमी विभाग को सुपूर्द कर दिया गया। इस महादान से गीतांजली के विद्यार्थियों को शरीर की संरचना का वृहद् ज्ञान प्राप्त हो सकेगा जो आगे उपचार हेतु उपयोगी होगा। इसके साथ ही मृतक एवं उनके परिवारजनों ने अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से ऊपर उठकर मानवता की सेवा के लिए देहदान कर एक अनुकर्णीय मिसाल दी है।
गीतांजली मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल, पैरामेडिकल डॉ. जीएल डाड ने बताया कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल राज्य सरकार के राजस्थान शरीर अधिनियम १९८६ के तहत देहदान हेतु अधिकृत है।
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