उदयपुर । नारायण सेवा संस्थान के बडी ग्राम स्थित सेवामहातीर्थ में श्रीराम-कृष्ण कथा एवं ’अपनों से अपनी बात‘ में शुक्रवार को व्यासपीठ से कैलाश मानव ने अहंकार रूपी कैंसर की छः गांठे बता*। जिसमें उन्होंने वस्तु, बल, रूप, धन, प्रतिष्ठा, धर्म के अहंकार की बात कही।उन्होंने कहा कि पहली गांठ अहंकार स्वयं है। व्यक्ति को किसी भी चीज का अहंकार नहीं करना चाहिए। दूसरी बल, व्यक्ति को बल का अहंकार नहीं रखना चाहिए। तीसरी रुप, किसी को भी रूप का अहंकार नहीं करना चाहिए। रूप बदल जाता है, लेकिन स्वरूप अजर-अमर है। स्वरूप को ढंकने की कोशिश करो तो भी प्रकट हो जाएगा। चौथी धन, किसी भी व्यक्ति को धन का अहंकार आए बिना नहीं रहता। लेकिन जिसने अभाव देखा है उसे पता है कि धन प्रभु की कृपा का फल है। पांचवी प्रतिष्ठा, जब तक व्यक्ति के पास पद नहीं होता है तब तक वह सम्मान देता है पद आने के बाद यह कम हो जाता है। अंतिम गांठ धर्म, सनातन परम्परा जैसी उदार को* अन्य परम्परा नहीं है। उसका अभिमान नहीं बल्कि आनंद होना चाहिए।
संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि जीवन में सफलता के लिए सकारात्मक सोच आवश्यक है, क्योंकि सकारात्मक सोच के बिना व्यक्ति का विकास संभव नहीं है। जो व्यक्ति अपना लक्ष्य बार - बार परिवर्तित करते रहते हैं ऐसे व्यक्तियों को स्थिर और विश्वसनीय नहीं माना जाता है। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण आस्था चैनल पर हुआ। संचालन महिम जैन ने किया।
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