उदयपुर। श्रमण संघीय मुनि डॉ. पुश्पेन्द्र मुनि ने बाबा रामदेव को पत्र लिखकर उनके द्वारा भगवान महावीर को अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, षौच, संतोश, तप, स्वाध्याय, ईष्वर-प्रणिधान आदि यम-नियम के रूप में महर्शि पतंजलि के दर्षन व सार्वभौमिक मूल सिद्धान्तों का उपासक बतानें को गलत बताया।
उन्हंने कहा कि कोई पूर्ववर्ती महापुरुश पष्चात्वर्ती महापुरुश के सिद्धान्तों का उपासक कैसे हो सकता है? तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म ईस्वी पूर्व ५९९ में एवं निर्वाण ईस्वी पूर्व ५२७ में हुआ। सर्वविदित है कि भगवान महावीर ईस्वी पूर्व की छठी षताब्दी के महापुरुश थे जबकि महर्शि पतंजलि तो ईस्वी पूर्व दूसरी षताब्दी के महापुरुश थे। कुछ विद्वान तो उनके काल को और पष्चादतवर्ती भी मानते हैं! अतः यह सुस्पश्ट है कि महर्शि पतंजलि, भगवान महावीर के व्रत-विधान, दर्षन और सार्वभौमिक मूल सिद्धान्तों के उपासक थे।
उन्हने कहा कि बाबा रामदेव ने तथ्यों की अनदेखी करजो ट्वीट किया, वह अत्यन्त चिन्ताजनक और आपत्तिजनक है। उन्होंने बाबा रामदेव से आग्रह किया कि अपने ट्वीट में की गई तथ्यात्मक भूल का सुधार करें।