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मां की पूजा तभी सार्थक जब हम हर मां को स्वस्थ रख सकेंगे : बिरला

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18 May 22
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मां की पूजा तभी सार्थक जब हम हर मां को स्वस्थ रख सकेंगे : बिरला

कोटा. सुपोषित मां अभियान हमारी भावी पीढ़ी को सुरक्षित रखने का अभियान है। ये वो देश हैं जहां मां की पूजा की जाती है लेकिन यह तभी सार्थक होगा जब हम मां को कुपोषण से बचाएंगे और उन्हें स्वस्थ रखने में कामयाब होंगे। इसके लिए जनअभियान बनाकर कार्य किया जाएगा। जब तक मां और बच्चा दोनों सुपोषित नहीं हो जाता तब तक हम इस अभियान को चलाएंगे। 
अभियान के तहत स्वास्थ्य कार्ड से मॉनिटरिंग
की जाएगी और 9 माह तक पोषण किट दिया जाएगा। हॉस्पिटल ऑन व्हील्स गांव-ढाणियों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाएगी। स्पीकर बिरला ने मंगलवार को हंस फाउंडेशन द्वारा शुरू की गई हॉस्पिटल ऑन व्हील्स सेवा का शुभारंभ किया। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस  मोबाइल वैन में पीएचसी लेवल की स्वास्थ्य जांचों की सुविधा प्रदान  की जाएगी। ब्लड टेस्ट, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर समेत कुल 35 प्रकार की स्वास्थ्य जांचो का लाभ ग्रामीणों को मिल सकेगा।
      लोक सभा अध्यक्ष गर्भवती महिलाओं को पोषण किट वितरित कर अभियान का शुभारंभ किया। बिरला ने कहा कि महिलाओं में पोषण की कमी को दूर करने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2020 में 1000 गर्भवती महिलाओं को चिन्हित कर "सुपोषित मां अभियान" प्रारंभ किया गया जिसके नतीजे उत्साहजनक रहे। उसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए अभियान के दूसरे चरण का आज शुभारंभ किया। इस बार 3000 महिलाओं को 9 माह तक पोषण किट दी जाएगी और प्रतिमाह उनके स्वास्थ्य जांच होगी।
     लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने आह्वान किया कि हर क्षेत्र में सांसद, विधायक व सामाजिक संस्थाएं इस दिशा में पहल करें और एक महिला के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी ले। 
अभियान को शहरों तक सीमित नहीं रखेंगे। गांव ढाणियों तक जाकर महिलाओं को सुपोषित करेंगे। इसके लिए पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य शिविर लगाकर महिलाओं को चिन्हित करेंगे। हंस फाउंडेशन भी इस पुण्य कार्य में भागीदार बना है। विधायक चंद्रकांता मेघवाल विधायक संदीप शर्मा, विधायक कल्पना देवी ने भी विचार रखे।
दृष्टांत
तीस वर्षीय निशा का वजन महज 35 किलो है और वह चार माह की गर्भवती है। गर्भवती होने के बाद अभी तक न तो वह किसी चिकित्सक के पास गई और न ही स्वयं का किसी भी प्रकार का चेकअप करवाया है। उसके पहले भी दो बच्चे हैं जो समय से पूर्व पैदा हुए हैं तथा कमजोर हैं। उसका पति नंदकिशोर मजदूरी कर प्रतिमाह नौ हजार रूपए कमाता है।
         गणेश तालाब निवासी काजल की उम्र महज 19 वर्ष है और उसके ढाई माह का गर्भ है। पूर्व में उसका दो बार गर्भपात हो चुका है। उसका वजन महज 35 किलो है और वह पोषण की गंभीर कमी से ग्रस्त है। यह स्थिति उसके व गर्भस्थ शिशु के लिए उचित नहीं है। परिवार में पति सुनील सहित छह सदस्य है जिनको संभालने की जिम्मेदारी भी काजल की है।
          हरिओम नगर कच्ची बस्ती में रहने वाली कविता की उम्र 20 वर्ष है। पति महेन्द्र कपड़ों की धुलाई और प्रेस का काम करता है। उसकी आय छह हजार रूपए मासिक है। घर का किराया और अन्य आवश्यक खर्च निकालने के बाद जेब में ज्यादा पैसे नहीं बचते। कविता में पोषण की कमी है जिसे दूर करने के लिए पति-पत्नी के पास कोई योजना नहीं है।
         वंदना (25) दूसरी बाद मां बनने वाली है। पहले शिशु को जन्म देते समय भी उसे काफी परेशानी आई थी और उसे खून भी चढ़ाना पड़ा था। अभी वंदना का वजन महज 39 किलो है जो उसके शरीर में पोषण की कमी को दिखाता है। उसका पति हरिओम मजदूरी करती है, परिवार  में 5 सदस्य हैं, जिनकी जिम्मेदारी भी उसी पर है।
          रश्मि की उम्र 23 वर्ष है लेकिन उसका वजन महज 38 किलो ही है। परिवार में आठ सदस्य हैं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण घर में तंगी रहती है। स्थिति यह है कि दिन में चाय बनाने के लिए दो बार में आधा-आधा किलो दूध आता है। परिवार गर्भवती महिला और बच्चों के लिए भी दूध की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है।
        आकाश सफाई कर्मचारी है। घर कच्चा है और परिवार में पत्नी सुमन (22) सहित सात जने हैं। जांच में सुमन में पोषण की गंभीर पाई गई। आकाश के पास पत्नी में पोषण की कमी को दूर करने का कोई समाधान नहीं है।
       निशा, काजल, कविता, सुमन सहित ये  सभी गर्भवती महिलाएं अपने विपरीत हालातों व मजबूरियों के कारण अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाईं। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर डॉक्टर्स व सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने इन्हें चिन्हित किया है।  सुपोषित मां अभियान के माध्यम से विपरीत हालातों से जूझ रहीं ऐसी  3000 महिलाओं को चिन्हित कर उन्हें सुपोषित किया जाएगा


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