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इसे बेटा बना पालो तो ये इतिहास छू लेगी, जरा से पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेगी.

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19 Jan 20
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इसे बेटा बना पालो तो ये इतिहास छू लेगी, जरा से पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेगी.



उदयपुर। दी उदयपुर महिला समृद्धि अरबन को-ओपरेटिव बैक लिमिटेड के रजत जयन्ती वर्ष के उपलक्ष में आज भारतीय लोक कला मण्डल में समृद्धि हास्य कवि सम्मेलन आयोजित किया गया।

मथुरा की श्रृगांर रस की कवियित्री पूनम वर्मा ने कविता पाठ करते हुए ‘किसी की याद की खुशबू में भीगे केश लायी हूँ,दिलों को जोङने वाले अमिट उपदेश लायी हूँ ,कभी कान्हा के होठों पर सजी रहती थी गोकुल में,मंै ब्रज की बांसुरी हूँ प्रेम का संदेश लायी हूँ... ‘ रचना सुनाकर कवि सम्मेलन की शुरूआत की।
वीर रस के कवि विनीत चैहान ने अपनी वीर रस की रचना सुनाते हुए कहा रक्तिम आंखों से मैं पूरे भारत को जलता हुआ देख रहा हूं,आस्तीन में काले विषधर हर दिन जलते हुए देख रहा हूं,गिनती पूरी कौन करेगा इस पागल शिशुपालों की,कौन शीश काटेगाफिर से शकुनि वाली चालों की....सुनाकर श्रोताओं में जोश भरा।
कवि दीपक पारीक ने ‘ खुश रहेंगे खूब हरदम ये बहाना सीखिए,आप भी हँसना हँसाना दिल मिलाना सीखिए,भूलकर इस बात को कब से अंधेरा है घना,आज से मिलकर सभी दीपक जलाना सीखिए...‘,
कवि सम्मेलन का संचालन करने वाले कवि अजातशत्रु ने अपनी रचना सुनाते हुए लहू मिट्टी से पूछेगा, बता ये रंग किसका है,हवा में नफरतों की आग वाला संग किसका है, उड़ा बारूद बम गोले हिली नुक्कड़ की मीनारें,सनी है खून में वर्दी जली  थाने की दीवारें,बताआंे फूल के बदले में कोई वार करता है,ये अपना देश है उसका इसे जो प्यार करता है....‘सुनाकर सभी में जोश भर दिया। ये कौमो के यहां झगड़े फसल में जहर बोते हंै, इन्हीं के मंसूबे कस्बों शहर कफ्र्यू संजोते हैं,सियासत से वफादारी  इधर से ना उधर से हैं,ये लाशों के हैं व्यापारी ठगे सब रहगुजर से हैं,मगर लाशों का कोई इस तरह व्यापार करता है,ये अपना देश उसका है इसे जो प्यार करता है..‘ सुनाकर तालियंा की जबरदस्त दाद पायी।

टीकमगढ़ के कवि अनिल तेजस्व ने अपनी रचना एक बहिन के खातिर खाकी वर्दी वाले जागे थे, मौत दिखाई दी आंखो में तब अपराधी भागे थे,खाकी वर्दी बालों ने बहिनों पे ये उपकार किया,चारांे के चारो कुत्तों को मुठभेड़ों में मार दिया,ना ही कोई अदालत थी और न ही कोई सुनवाई थी,ये तो केवल राखी के धागे की वस भरपाई थी,यही दिलेरी दें, ईश्वर इन पुलिस के सभी जवानों को,दस दिन में ही ठोक दिया था इन सब चारों स्वानों को,जब ऐसी ही सजा मिलेगी हर इक उस शैतान को,फिर न कोई ग्रहण लगेगा अपने हिंदुस्तान को... सुनाकर श्रोताओं की बाजुओं में जोश भर दिया।

हास्य कवि कवि मुन्ना बैटरी ने अपनी हास्य रचना ‘दिखा कर जख्म अब बेधड़क बोल देती है
झुर्रियों सी दिखती सब तड़क बोल देती हैं,किस किस को बांटा है ठेकेदार ने कितना
बारिश के होते ही सब सड़क बोल देती है...पर श्रेाताओं की हंसी के फव्वारें छूटें।

दिल्ली के अनिल अग्रवंशी ने इसे बेटा बना पालो तो ये इतिहास छू लेगी, जरा से पंख खोलोगे तो ये आकाश छू लेगी...सुनाकर खूब तालियां बटोरी।

जयपुर के कवि संजय झाला ने रचना एक वो संजय था,जिसनंे महाभारत देखा था,एक मैं संजय हूँ, जो ये महान भारत देख रहा है,उसमें और मुझमे इतना सा अंतर है उसके सामने एक धृतराष्ट्र था और मेरे सामने सैंकड़ों धृतराष्ट्र है....पर खूब तालियां बजी।

इससे पूर्व बैंक की अध्यक्ष विद्याकिरण अग्रवाल ने अतिथियों मुख्य अतिथि समृद्धि गौरव एक्मे ग्रुप आॅफ कम्पनीज़ के चेयरमेन निर्मल कुमार जैन, विशिष्ठ अतिथि संासद अर्जुनलाल मीणा,ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा, नगर निगम महापौर जी.एस.टांक, उप महापौर पारस सिंघवी, महिला समृद्धि बैंक की पूर्व अध्यक्ष किरण जैन, सहकार भारती के राष्ट्रीय मंत्री प्रमोद सामर का स्वागत किया।
बैंक के महाप्रबन्धक विनोद चपलोत ने बैंक की गतिविधियों एवं वर्ष पर्यन्त आयोजित किये जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी। इस अवसर पर बैंक की पूर्व अध्यक्ष किरण जैन ने बताया कि बैंक ने 25 वर्ष अपनी श्ुारूआत मात्र 15 लाख की डिपोजिट से की थी और आज महिलाओं के प्यार की बदौलत इस बैंक में आज 130 लाख की डिपोजिट हो गयी है। इस बैंक की स्थापना महिलाओं को स्वरोजगार एवं स्वालम्बन बनाने के उद्देश्य से की गई और आज बंैक की डिपोजिट देखते हुए यहीं कहा जा सकता है कि बैंक अपने उद्देश्य में सफल रहा। इस अवसर पर निर्मल कुमार जैन को समृद्धि गौरव अलंकरण से अतिथियों ने सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन आलोक पगारिया ने किया।

 


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