उदयपुर। राजस्थान की आधी से ज्यादा महिलाएँ परिवार नियोजन के आधुनिक तरीकों जैसे पिल्स, पुरुषों के कॉन्डम, महिलाओं के कॉन्डम, महिला नसबंदी इंजेक्टेबल, इमर्जेंसी कंट्रासेप्टिव और आईयूडी का इस्तेमाल कर रही हैं। राज्य में करीब 56.2 प्रतिशत विवाहित महिलाएं इन तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी द्वारा बिल एंड मिलिंडा गेट्स इंस्टिट्यूट फॉर पॉपुलेशन एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ, जॉन हॉकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यू.एस.ए के पूर्ण सहयोग से राजस्थान में पीएमए 2॰2॰ प्रोजेक्ट लागू किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत आविष्कारी मोबाइल तकनीक का इस्तेमाल कर तेजी से डाटा आदि हासिल किया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से परिवार नियोजन और पानी, स्वच्छता एवं साफ सफाई से जुडी जानकारियों को जुटाया जाता है।
डॉ. अनूप खन्ना ने कहा कि पीएमए 2॰2॰ ने पाया कि राजस्थान में महिला नसबंदी आज भी परिवार नियोजन का सबसे लोकप्रिय तरीका है। यहाँ आधुनिक कंट्रासेप्शन का इस्तेमाल करने वाली 65 प्रतिशत महिलाओं ने यही तरीका अपनाया है। महिला नसबंदी जहाँ सबसे आम तरीका है, वही कुछ महिलाएँ थोडे समय के लिए प्रभावी तरीके भी अपना रही हैं, जैसे कि बर्थ कंट्रोल पिल्स और पुरुषों के कॉन्डम आदि। वे विवाहित महिलाएँ जो आधुनिक परिवार नियोजन तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं उनमें से 9.9 प्रतिशत ने बताया कि वे पिल्स का इस्तेमाल करती हैं। 19.3 प्रतिशत ने कहा कि वे पुरुषों के कॉन्डम का इस्तेमाल करती हैं। लम्बे समय तक प्रभावी तरीके जो रिवर्सिबल होते हैं वे अधिक इस्तेमाल में नहीं हैं। जन सेवा डिलिवरी पॉइंट्स द्वारा उपलब्ध आईयूडी इंसर्शन और रिमूवल आज भी बेहद कम लोकप्रिय है। सिर्फ 3 प्रतिशत महिलाएँ ही आईयूडी जैसे तरीके इस्तेमाल में ले आती हैं। इंजेक्टेबल तरीकों का इस्तेमाल धीरे-धीरे बढ रहा है, ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि हाल ही में राज्य में इसका विस्तार हुआ है।
डॉ. अनूप खन्ना ने बताया कि तमाम सुधारों के बावजूद, राजस्थान की सुविधा सम्पन्न और गरीब महिलाओं के बीच भेद अब भी नजर आता है। गरीब महिलाओं की वे जरूरतें जो कभी पूरी नहीं होती उसका स्तर अब भी अधिक (16.9 प्रतिशत) है। इसके अतिरिक्त, लम्बे समय तक प्रभावी तरीके आज भी एक बडी चुनौती हैं, क्योंकि अब भी बहुत कम सरकारी व निजी संस्थानों में नसबंदी और आईयुडी की सुविधा है।जहाँ तक कंट्रासेप्शन के चयन के मामले में बराबरी और लिंग भेद का सवाल है, तो ऐसा देखा गया है कि अधिकतर महिलाएँ अपने जीवनसाथी के साथ मिलकर इन उपायों का चयन करती हैं। परिवार नियोजन के तरीके अपनाने वाली 85.6 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी मर्जी से अथवा अपने पार्टनर की मर्जी से तरीके का चयन किया है। 58.6 प्रतिशत महिलाएँ अपने पार्टनर के साथ मिलकर सन्युक्त रूप से फैसला ले रही हैं, और 19.5 प्रतिशत महिलाएँ अपनी मर्जी के तरीके का इस्तेमाल कर रही हैं। सर्वे के परिणामों के अनुसार, गरीब महिलाएँ अधिक संख्या में अकेले यह फैसला ले रही हैं (26.॰ प्रतिशत) जबकि अमीर महिलाओँ की संख्या इस मामले में कम है (19.4 प्रतिशत )। हालांकि आमतौर पर अकेले ये फैसले लेने वाले मामलों की संख्या कम है। सरकारी केंद्रों के सर्वे में पाया गया कि 87 प्रतिशत से अधिक केंद्रों में कम से 3 आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों की सुविधा उपलब्ध है, और 35 प्रतिशत केंद्रों में तो 5 य इससे अधिक प्रकार के आधुनिक तरीकों की सुविधा उपलब्ध है। राजस्थान में करीब 98 प्रतिशत कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर (सीएचसी) और करीब 97 प्रतिशत प्राइमरी हेल्थ सेंटर (पीएचसी)में 3 से अधिक तरीके उपलब्ध हैं, जबकि 97 प्रतिशत पब्लिक अस्पतालों में 5 या इससे अधिक तरीके उपलब्ध हैं।
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