उदयपुर : डिजिटल भुगतान अब पूरे देश में सुलभ हैं, जो भारत को डिजिटल-फर्स्ट अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। ये न केवल सुरक्षित हैं बल्कि सुविधाजनक भी हैं। हालांकि, डिजिटल भुगतान का उपयोग सुरक्षित तरीके से करना और ऑनलाइन ठगी के बारे में जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है। संभावित धोखाधड़ियों की समय पर पहचान करने से उपयोगकर्ताओं और उनके परिवारों को सुरक्षा मिलती है ।
ऑनलाइन ठगी के तरीके अब और अधिक चालाक होते जा रहे हैं, जिनमें से ‘डिजिटल अरेस्ट’ एक प्रमुख उदाहरण है। इस प्रकार की ठगी में, अपराधी खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी बताकर लोगों को डराकर पैसे भेजने या अपनी निजी जानकारी साझा करने के लिए मजबूर करते हैं। वे पीड़ितों से पहले फोन कॉल के जरिए संपर्क करते हैं और फिर वीडियो कॉल पर स्विच करते हैं। इस दौरान वे पीड़ितों को किसी नकली कानूनी मामले या गिरफ्तारी वारंट की धमकी देते हैं, जिसमें उन्हें या उनके परिवार के किसी सदस्य को वित्तीय अनियमितता या अन्य अपराध में फंसाया जाता है। डर के कारण पीड़ित अक्सर उनकी बातों में आ जाते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान और पहचान चोरी का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे में अप्रत्याशित संपर्क करने वाले ‘अधिकारी’: यदि कोई व्यक्ति खुद को पुलिस, सीबीआई, आयकर विभाग या सीमा शुल्क अधिकारी बताकर आपसे संपर्क करता है, तो सतर्क रहें — विशेषकर यदि वे यह दावा करते हैं कि आपके खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जा रही है। वे कह सकते हैं कि आप या आपका कोई परिजन मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी या नशीले पदार्थों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में शामिल हैं।
डर और तात्कालिकता पर आधारित भाषा: ये ठग वीडियो कॉल पर बात करते हैं, पुलिस की वर्दी पहनते हैं, सरकारी लोगो का उपयोग करते हैं या पृष्ठभूमि में नकली कार्यालय की आवाज़ें चलाते हैं ताकि वे वास्तविक लगें। वे अक्सर गिरफ्तारी या कानूनी कार्रवाई की धमकी देते हैं और जल्दी प्रतिक्रिया की मांग करते हैं। कई मामलों में, वे नकली पुलिस स्टेशन जैसा सेटअप बनाकर अपनी विश्वसनीयता दिखाने की कोशिश करते हैं।
संवेदनशील जानकारी या भुगतान की मांग: ठग आपसे आपकी निजी जानकारी मांग सकते हैं या बड़ी धनराशि भेजने को कह सकते हैं, यह कहते हुए कि इससे आपका नाम “साफ” हो जाएगा या “जांच में सहयोग” मिलेगा। वे “रिफंडेबल सिक्योरिटी डिपॉजिट” या “एस्क्रो अकाउंट” जैसे शब्दों का उपयोग करते हैं ताकि आपको पैसे ट्रांसफर करने के लिए मना सकें।
यदि आपको किसी कानूनी मामले से जुड़ी अप्रत्याशित कॉल या संदेश प्राप्त होता है, तो घबराएं नहीं और पहले उसकी सत्यता जांचें। असली सरकारी या कानून प्रवर्तन एजेंसियां कभी भी फोन या वीडियो कॉल पर पैसे नहीं मांगतीं और न ही इस तरह से जांच करती हैं। किसी भी कार्रवाई से पहले कॉल करने वाले की पहचान की पुष्टि करें और विश्वसनीय स्रोतों से परामर्श लें। संदिग्ध नंबरों की जानकारी राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन 1930 पर या दूरसंचार विभाग की वेबसाइट https://sancharsaathi.gov.in/sfc/ पर दर्ज करावें