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विद्या भवन, उदयपुर में सुस्थिरता, पर्यावरण, शिक्षा एवं विकास पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन “सीड 2025” संपन्न

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04 Nov 25
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विद्या भवन, उदयपुर में सुस्थिरता, पर्यावरण, शिक्षा एवं विकास पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन “सीड 2025” संपन्न

उदयपुर, विद्या भवन सभागार, उदयपुर में सोमवार को “सुस्थिरता, पर्यावरण, शिक्षा एवं विकास” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन सीड 2025 का भव्य आयोजन किया गया। सम्मेलन की अध्यक्षता भारत सरकार के शिक्षा सचिव संजय कुमार ने की, जिन्होंने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में मूल्य आधारित, कौशलोन्मुख और पर्यावरण-संवेदनशील शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का माध्यम नहीं, बल्कि जिम्मेदार नागरिक तैयार करने का सर्वोत्तम साधन है।


संजय कुमार ने भारतीय परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने सदैव पर्यावरणीय संतुलन और संपूर्ण सृष्टि के प्रति आदर की भावना को शिक्षा का हिस्सा माना है। उन्होंने नई शिक्षा नीति (NEP 2020) की चर्चा करते हुए कहा कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में दी जानी चाहिए ताकि बालक अपनी जड़ों से जुड़ा रहे। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यार्थियों को केवल डिग्रियाँ नहीं, बल्कि सोचने, सृजन करने और समाज के लिए योगदान देने की क्षमता दी जानी चाहिए — क्योंकि शिक्षा ही सतत विकास की नींव है।


मुख्य अतिथि राजस्थान के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुलदीप रांका ने कहा कि मानव ने विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ दिया है। अब समय है कि हम पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलित संवाद स्थापित करें। उन्होंने कहा कि जैविक खेती, हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण को ही विकास का आधार बनाना होगा।


विशिष्ट अतिथि संभागीय आयुक्त प्रज्ञा केवलरमानी ने कहा कि पृथ्वी हमारी माता है, इसलिए हमें सेवा भाव से पंचतत्वों का संरक्षण करना चाहिए।
पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार की ई.ए.सी. कमेटी के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह मथारू और प्रसिद्ध उद्योगपति अरविंद सिंघल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

सम्मेलन का स्वागत उद्बोधन विद्या भवन के अध्यक्ष डॉ. जे. के. तायलिया ने दिया तथा धन्यवाद ज्ञापन मुख्य संचालक राजेन्द्र भट्ट ने प्रस्तुत किया।

शिक्षा और पर्यावरण विषयक सत्र में आई.आई.एम. के पूर्व निदेशक जनत शाह, राज्यपाल के सलाहकार व पूर्व कुलपति प्रो. के. सी. सोडाणी, सिंघानिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पृथ्वी यादव, समाजशास्त्री डॉ. रमेश अरोड़ा एवं सी.आई.वी.ई. के संयुक्त निदेशक डॉ. दीपक पालीवाल ने अपने विचार रखे।

जलवायु परिवर्तन एवं सुस्थिर विकास सत्र में पर्यावरण मंत्रालय के ई.ए.सी. अध्यक्ष आई.पी.एस. मथारू, राजस्थान के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक डॉ. वेंकटेश शर्मा, भारत के पूर्व जल आयुक्त महेंद्र मेहता, आई.आई.टी. मुंबई के प्रो. कपिल गुप्ता तथा इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट की सीनियर फैलो डॉ. अनुराधा सेन मुखर्जी ने अपने विचार रखे।

पर्यावरण, स्वास्थ्य, आनंद एवं सौहार्द विषयक सत्र में राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, समाजशास्त्री प्रो. राजीव गुप्ता, डेनमार्क की वॉटर डिप्लोमेट डॉ. अनीता के. शर्मा, तथा नाम फाउंडेशन (नाना पाटेकर द्वारा स्थापित) के सीईओ गणेश थोराट ने विचार साझा किए।

इस अवसर पर सिंघानिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पृथ्वी यादव ने भी अपने उद्बोधन में कहा कि –

“शिक्षा का उद्देश्य केवल बौद्धिक विकास नहीं, बल्कि मानवीय चेतना का विस्तार है।
सुस्थिर विकास तभी संभव है जब हम ज्ञान को करुणा से, और प्रगति को प्रकृति से जोड़ें।
विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसे युवा तैयार करें जो नवाचार के साथ-साथ समाज और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील भी हों।”


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