साहित्य संस्थान जनार्दन राय नगर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू विश्वविद्यालय), उदयपुर एवं महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्याप्रतिष्ठान, उज्जैन के संयुक्त प्रावधान में आयोजित वेदज्ञान सप्ताह के व्याख्यान माला के द्वितीय दिन मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आयोजित किया गया, जिसमें वैद्य डॉक्टर शोभालाल औदिच्य ने अथर्ववेद में मधुमेह रोग के उपचार विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने व्याख्यान में यह प्रस्तुत किया कि मधुमेह रोग व्यक्ति के दिनचर्या पर आधारित है। कभी-कभी यह वंशानुगत भी होता है और व्यक्ति के तनावपूर्ण जीवन से भी सेभी संबंध रखता है। मधुमेह रोग का उपचार भी है और उसे नियम आहार से भी संतुलित रखा जा सकता है उसमें व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में परिवर्तन करते हुए समय पर भोजन करना और समय पर शयन करना है और अपनी दिनचर्या में योगासन और शारीरिक श्रम के द्वारा इसको नियमित किया जा सकता है। साथ ही इन्होंने कुछ वस्तुओं का सेवन को निषेध बताया है। साथ ही उन्होंने कुछ वस्तुओं का प्रयोग करने से भी इनका उपचार किया जा सकता है।
डॉ शोभा लाल जी ने अपने व्याख्यान में गणपति का उदाहरण देते हुए बताया कि किस प्रकार गणपति की एक हाथ में मोदक लड्डू होता है, जो मिष्ठान के रूप में है वहीं दूसरी तरफ जम्मू फल का भी प्रयोग बताया गया है तो यह मधुमेह का सफल उपचार है। उन्होंने अथर्ववेद में मधुमेह का उपचार के बारे में और लक्षणों के बारे में विस्तृत चर्चा की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में मोहनलाल सुखाड़िया विद्यालय के संस्कृत विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर नीरज शर्मा ने स्वागत उद्बोधन देते हुए वेदों में जो ज्ञान निहित है उसके बारे में चर्चा की और वेद ही ज्ञान का मूल है बताया । साथ उन्होंने महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्याप्रतिष्ठान, उज्जैन एवं साहित्य संस्थान, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ(डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय), उदयपुर का आभार व्यक्त किया कि यह बहुत महनीय कार्य संपादित कर रहे हैं और लोगों में वेदों के प्रति जागरूकता पैदा कर रहे हैं। कार्यक्रम में साहित्य संस्थान के डा महेश आमेटा ने अपना उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए कहा कि साहित्य संस्थान विगत 5 वर्षों से वेद ज्ञान सप्ताह का आयोजन करता आ रहा है और लगातार इसी प्रयास में है वेदों में छुपे ज्ञान को बाहर निकल जाए और आमजन इससे लाभान्वितहो सके।
उद्बोधन की कड़ी में साहित्य संस्थान के डॉक्टर कुलशेखर व्यास ने आहार विहार के बारे में बात की और भारतीय संस्कृति के वर्षभर आयोजित होने वाले व्रत त्योहार पर्व उत्सव के बारे में जानकारी देते हुए उसमें खान-पान के बारे में जानकारी दी और किस अवसर पर किस प्रकार ऋतु परिवर्तन के अनुसार व्यक्ति के जीवन में खान-पान का बदलाव किया जाता है। यह भारतीय संस्कृति के अनुसार बिल्कुल सटीक है। इसे हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। साथ उन्होंने कहा कि भारतीय जीवन में व्रत पर्व उत्सव त्योहार का बड़ा महत्व है, जो ऋषि मुनियों ने इसे भारतीय संस्कृति का बनाया है। उन्होंने ने ऋतु परिवर्तन ऋतुओं के संधि काल को देखते हुए इन पर उत्सव का आयोजन शुरू किया है जिससे व्यक्ति स्वस्थ निरोगी रह सके।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद अनीता जैन ने किया प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम में मोहनलाल सुखाड़िया विद्यालय के संस्कृत विभाग के पीएचडी शोधार्थी के साथ में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने भाग लिया। साथ ही साहित्य संस्थान के शोयब कुरेशी भी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त राजस्थानी विभाग के डॉक्टर सुरेश सालवी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।