उदयपुर : नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल के सानिध्य में सेवा महातीर्थ परिसर में चल रहे पांच दिवसीय ‘अपनों से अपनी बात’ समारोह का रविवार को समापन हुआ। इस आयोजन में देशभर से चिकित्सा एवं पुनर्वास सेवाओं के लिए आए रोगियों, दिव्यांगजनों तथा उनके परिजनों ने उत्साह से भाग लिया।
समारोह के दौरान कई दिव्यांगजनों ने अपने जीवन के संघर्ष और नारायण सेवा संस्थान से प्राप्त सहयोग का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि संस्थान की सहायता से वे न केवल शारीरिक रूप से सक्षम बने, बल्कि आत्मनिर्भर जीवन की राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित भी हुए। उन्होंने कहा कि अब उन्हें जीवन में नई आशाएँ और खुशियाँ प्राप्त हुई हैं। कुछ प्रतिभागियों ने भावुक होकर बताया कि यहाँ उन्हें निःशुल्क कृत्रिम अंग, चिकित्सा सहायता, पुनर्वास सेवाएं और मानसिक संबल मिला, जिससे उनका जीवन पूरी तरह बदल गया है।
समारोह में अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने दिव्यांग बच्चों एवं उनके परिजनों को संबोधित करते हुए कहा - हर व्यक्ति कर्म करता है और वह स्वतंत्र है कि किस प्रकार का कार्य करे। लेकिन कोई भी कर्म फल से बच नहीं सकता। इसलिए जरूरी है कि हम मानव सेवा के लिए जिएं और दूसरों की मदद करें। जीवन का उद्देश्य केवल अपने लिए नहीं, बल्कि समाज के लिए भी होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि दुर्घटना में अपंग हुए व्यक्तियों को उन्नत तकनीकों से लाभान्वित करने के लिए संस्थान निरंतर प्रयासरत है। संस्थान का लक्ष्य है कि दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने में कोई कमी न रहे। आवश्यक उपकरण, प्रशिक्षण और सहयोग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना ही संस्थान की प्राथमिकता है।
इस अवसर पर उपस्थित सभी प्रतिभागियों ने नारायण सेवा संस्थान के सेवाभाव और सहयोग की भूरी-भूरी प्रशंसा की। समारोह में न केवल दिव्यांगजनों को आत्मविश्वास मिला, बल्कि समाज में मानव सेवा का महत्व भी उजागर हुआ।