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जीवंत राष्ट्र के लिए जागृत समाज का होना आवश्यक - राम प्रसाद

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02 Sep 25
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जीवंत राष्ट्र के लिए जागृत समाज का होना आवश्यक - राम प्रसाद

उदयपुर, स्त्री सम्मान और जनजागरण के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित करने वाले ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक स्व. सुन्दर लाल पालीवाल का उदयपुर से गहरा जुड़ाव रहा। चिंगारी पत्र के प्रकाशन से उन्होंने समाज में चेतना जगाई और लोकतंत्र रक्षा के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई। इन्हीं के त्याग और समर्पण की स्मृति को समर्पित “सुन्दर स्मृति व्याख्यानमाला” का प्रथम पुष्प उनके जन्मभूमि राजसमंद में रविवार को जिला परिषद सभागार में सम्पन्न हुआ।

व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता धर्म जागरण समन्वय के अखिल भारतीय विधि प्रमुख राम प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी सौ वर्ष की यात्रा पूर्ण करने जा रहा है। यह यात्रा संघर्ष, त्याग और समर्पण से भरी हुई है। संघ को आज की स्थिति तक पहुँचाने में अनेकों स्वयंसेवकों ने अनेक कष्ट सहे, संघर्ष का यह इतिहास समाज को प्रेरणा देता है।

 

उन्होंने कहा कि सुन्दर लाल की विशेषता यह थी कि वे अन्याय पर प्रतिक्रिया देते थे। जीवंत समाज वही है जो अन्याय और असत्य पर प्रतिक्रिया करे। जब समाज मौन हो जाता है, तब वह मृतप्राय हो जाता है। भारत का इतिहास इस बात का साक्षी है कि जब गजनवी ने सोमनाथ मंदिर तोड़ा या जब बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर पर आघात हुआ, समाज की व्यापक प्रतिक्रिया नहीं आई। इसी कारण संकट बढ़ते गए।

राम प्रसाद ने कहा कि भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, यह मातृभूमि है, जिसके प्रति एकांतिक निष्ठा आवश्यक है। संघ ने समाज परिवर्तन के लिए पाँच सूत्र दिए हैं— सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी अपनाना। इन्हीं के आधार पर अखंड, समृद्ध और स्वतंत्र भारत का निर्माण संभव है।

 

इस व्याख्यानमाला में उदयपुर के सुन्दर लाल कटारिया, रमेश चन्द्र, सोहन गुर्जर, विकास छाजेड़, हनुमान चौहान, अर्जुन शर्मा, दीपक सहित अनेक मित्रगण, शुभचिंतक एवं लोकतंत्र सेनानियों ने सहभागिता की और अपने संस्मरण साझा किये।

 

उनके साथी रहे उदयपुर के सुन्दरलाल कटारिया, प्रचारक विश्वजीत सिंह, धरियावाद के सोहन नागौरी, बांसवाडा के दीपक जोशी, चित्तौड़गढ के लक्ष्मीलाल वैद्य आदि ने कई संस्मरण साझा किये। सोहन नागौरी ने कहा की जब वे अस्पताल में मिलने पहुँचे तो उस समय सुन्दर लाल ने उनसे दुखी न होने को कहा और पूछा – “शाखा का कार्य कैसा चल रहा है?” यह सुनकर सभागार भावुक हो उठा। सुन्दरलाल श्रद्धा, शौर्य और सरलता की प्रतिमूर्ति थे, जिनमें नेतृत्व की अद्वितीय क्षमता थी।

स्व. सुन्दर लाल की पत्नी मीना पालीवाल व पुत्र घनश्याम ने अपने वक्तव्य में बताया कि स्व. सुन्दर लाल का कार्य एक स्वयंसेवक के करने का कर्तव्य कार्य मात्र ही है और उन्होंने इसका निर्वहन किया, वे जीवन पर्यंत सदैव समाज के लिए सजग रहे।

 

प्रस्तावना डॉ. सुनील खटीक ने कहा कि राजसमंद में विचार प्रवाह के क्रम में यह वार्षिक व्याख्यान माला संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर शुरू की गई है। इसके अंतर्गत हर वर्ष नये विषय के साथ समाज के प्रबुद्धजन के साथ विमर्श होगा।

 

कार्यक्रम का आरम्भ भारत माता व सुन्दर लाल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुआ। परिवारजन और अतिथियों ने उनके जीवन के प्रेरक प्रसंगों को याद किया। 

कार्यक्रम का संचालन डॉ. विनिता पालीवाल ने किया। अंत में नन्द लाल सिंघवी ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का शुभारंभ राष्ट्रगीत वन्देमातरम व समापन राष्ट्रगान से हुआ।

 

उदयपुर में निकाला चिंगारी पत्र, जेल गए

बडगांव में रहते हुए सुन्दर लाल ने विद्या भवन पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल डिप्लोमा किया। तब वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बडगांव के मण्डल कार्यवाह थे। उन्होनें लोकतंत्र के लिए जनजागरण के लिए चिंगारी पत्र का प्रकाशन व प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे प्रिंटिंग प्रेस से आधी रात को गिरफ्तार किये गये। अनेक स्थानीय लोकतंत्र सेनानियों के साथ 2 वर्ष तक जेल में रहे।

 

पारसोला प्रकरण में जनजाति बेटी के सम्मान में संघर्ष -

प्रतापगढ जिले के पारसोला गांव में 36 वर्ष पूर्व एक जनजाति लड़की पूंजकी मीणा का अपहरण रफीक शाह नाम के व्यक्ति ने कर लिया था। पूंजकी मीणा के परिजनों के साथ मिलकर सुन्दर लाल व साथियों ने कार्रवाई की मांग की। पुलिस कार्रवाई ना होने से 6 अगस्त 1989 को शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुआ। तब के संघ के जिला शारीरिक प्रमुख सुन्दर लाल पालीवाल को लक्षित कर गोली चलाई गई। जिसमें 2 कार्यकर्ता श्रवण सेन व गौतम मीणा की मौके पर ही मृत्यु हो गई। जबकि सुन्दर लाल के रीढ की हड्डी में गोली लगने से कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। उनका उदयपुर, जयपुर व दिल्ली में 2 वर्ष तक उपचार चला था। 2021 में उनके देहांत होने तक वे व्हील चैयर पर रहकर सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे।

 

साहित्य केन्द्र पर उत्साह-

कार्यक्रम स्थल पर संघ एवं समाज से जुड़े राष्ट्रीय विचारों के साहित्य का विक्रय केन्द्र भी लगाया गया। जहां विशेष सहभागी जन द्वारा रूचि दिखाई दी।


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