उदयपुर। नारायण सेवा संस्थान में 'अपनों से अपनी बात' कार्यक्रम में दिव्यांगजन से बातचीत में दूसरे दिन संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि मानव योनि में जन्म लेना बड़ा ही सद्भाग्य है। यह व्यक्ति को सत्कर्म करके जनम-मरण के फेरों से मुक्त होने का अवसर प्रदान करता है। इसके लिए दीन-दुखियों की सेवा करें और जो हमारे किसी काम आए उसके प्रति कृतज्ञ रहे, उसे आदर दें। बीते हुए कल की घटनाओं को अपने वर्तमान पर हावी न होने दें। असफलताओं के बीच होकर ही सफलता तक पहुंचा जा सकता है। व्यक्ति में कोई कमी हो सकती है लेकिन वह खूबियों का भी भंडार है, जरूरत उन्हें पहचान कर निखारने की है। हमें अपने को कभी भी कमतर नहीं आंकना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज व्यक्ति के जीवन में सोशल मीडिया महत्वपूर्ण बन गया है। इसके जहाँ लाभ हैं तो नुकसान भी हैं। इसलिए इसके संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग की आवश्यकता है। जो समय समाज के लिए कुछ योगदान का होता उसे हम मोबाइल फोन पर आंखें गढ़ाए बर्बाद कर देते हैं । यह दैनंदिन जीवन का एक महत्वपूर्ण साधन तो है लेकिन इसे आत्मघात का औजार नहीं बनाया जा सकता। इसकी वजह से आज परिवारों में परस्पर संवाद समाप्त होकर दूरियां बढ़ गई हैं। जीवन में मनोरंजन जरूरी है लेकिन ऐसा मनोरंजन कैसे लाभकारी हो सकता है, जो हमें एक-दूसरे से होड़ करना सिखाए, खुद के प्रति संदेह पैदा कर दे। क्षणिक सुख के लिए जीवनभर का दुःख मोल लेने की यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। नियंत्रित संतुलित सोशल मीडिया वरदान बन सकता है, लेकिन जिस प्रकार की सामग्री उसमें अपलोड की जा रही है, वह बच्चों को अवसाद ग्रस्त कर रही है। मोबाइल फोन का जरूरत मुताबिक उपयोग करें और समय को अपने काम अथवा सत्संग में लगाए।