उदयपुर। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन परिसर स्थित खेल मैदान पर देश का 75 वां गणतंत्र दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने ध्वजारोहण किया एवं एन.सी.सी., एन.एस.एस कैडेट स्काउड गाइड परेड की सलामी ली। इस मौके पर प्रगतिशील किसानों के अलावा उत्कृष्ट कार्य करने वाले शैक्षिक, तकनीकी, कार्मिकों एवं विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया। साथ ही अभियांत्रिकी, कृषि और सामुदायिक विज्ञान महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने देशभक्ति गीतों पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधीन सात जिलों के डीन-डायरेक्टर व कृषि विज्ञान केन्द्र प्रभारियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर डाॅ. कर्नाटक ने कहा कि गणतंत्र दिवस स्वतंत्र और एकीकृत भारत की मूल भावना का प्रतीक है। 26 जनवरी 1950 वह गौरवशाली दिन था, जब हमने भारत के संविधान को लागू किया। आज देश के लिए अनगिनत नायकों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का दिन है। गणतंत्र का यह पर्व हमें स्मरण करवाता है कि हम हमेशा अपने संविधान में निहित सिद्धांतों, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का पालन करें। आज भारत हर क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। हमारा अटल विश्वास है कि प्रत्येक क्षेत्र में आने वाला समय भारत का है। डाॅ. कर्नाटक नेे संविधान के रचयिता डाॅ. भीमराव अंबेडकर के साथ-साथ संविधान सभा केे सदस्य व उदयपुर के प्रथम लोकसभा सदस्य मास्टर बलवंत सिंह मेहता को भी याद किया। उन्होंने खुशी व्यक्त की कि एमपीयूएटी अपनी स्थापना के 25 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है तथा संपूर्ण देश आजादी के अमृतकाल में 75 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है।
उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि वर्ष 2023 हमारे विश्वविद्यालय के सफलतम वर्षों में से एक रहा है जिसमे शिक्षण, शोध, प्रसार और उद्यमिता विकास के नए आयाम स्थापित किए हंै। उन्होंने वर्षपर्यन्त विश्वविद्यालय व संघटक महाविद्यालयों में हुए विविध कार्यक्रमों का हवाला देते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष मनाने में भीे इस विश्वविद्याल ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।
डाॅ. कर्नाटक ने बताया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं द्वारा वर्ष 2023 में 76 तकनीकों का विकास कर किसानों के उपयोग के लिए सिफारिश की गई है। एमपीयूएटी को विगत एक वर्ष में 13 टेक्नोलॉजी और मशीन हेतु प्राप्त करने पर पेटेंट गौरवान्वित करने का अवसर है। इसके अलावा बीजोत्पादन, मत्स्य, मुर्गीपालन, मशरूम उत्पादन, तकनीक हस्तांतरण में भी विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय कार्य किए। यही नहीं प्रकृतिक खेती में भी विश्वविद्यालय ने कदम रखा है और अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है।
प्रगतिशील किसानों सहित कृषि वैज्ञानिकों व छात्र- छत्राओं का सम्मान
कार्यक्रम के आयोजक छात्र कल्याण अधिकारी डाॅ. मनोज महला ने बताया विगत वर्ष में उल्लेखनीय कार्यों के लिए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों व शैक्षणेत्तर कर्मचारियों को कुलपति ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
सम्मानित होने वाले प्रगतिशील किसान - हीरालाल चरपोटा, रतन लाल खांट (बांसवाड़ा), अम्बालाल जाट, रामेश्वर लाल जाट, परमेश्वर लाल व कालूलाल माली (सभी भीलवाड़ा), राम सिंह मीणा, जगदीश लाल धाकड़ (चित्तौड़गढ़), हितेश पटेल, अमृत लाल परमार (डूंगरपुर), केसूलाल मीणा, भैरुलाल मीणा (प्रतापगढ़), छोगालाल सालवी, महेन्द्र प्रताप सिंह पंवार (राजसमंद) और शंकर लाल जणवा, भैरुलाल जाट (उदयपुर)
उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित - डॉ. पी. के. सिहं, डॉ. रतन लाल सौलंकी (चित्तौड़गढ़), डॉ पी. सी. चपलोत, हनुमान सिंह सौलंकी, कौशल सिंह, तुलसीराम डांगी, रमेश कुमावत।
इनके अलावा केवीके भीलवाड़ा के वरिष्ठ वैज्ञानिक व हैड डा. सी. एम. यादव व टीम एआरएसएस वल्लभनगर के डॉ के. के. यादव व उनकी पूरी टीम, प्राकृतिक खेती के लिए भीलवाड़ा के डाॅ. एल. एल. पंवार व टीम डाॅ. एन. एल. पंवार व टीम को सम्मानित किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों में अध्ययनरत 15 छात्र-छत्राओं का भी सम्मान किया गया।
जनसंपर्क अधिकारी डॉ. लतिका व्यास ने बताया कि परेड का नेतृत्व अंडर आॅफिसर हर्षवेन्द्र सिंह राणावत ने किया। आरंभ में कुलपति डा. कर्नाटक व अतिथियों ने फूलांे की खेती ( फ्लोरल गाइड) पर आधारित निर्देशिका का विमोचन किया। संचालन डाॅ. विशाखा बंसल ने किया।