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लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को देश की 89 लोकसभा सीटों पर होगा चुनाव

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26 Apr 24
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लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को देश की 89 लोकसभा सीटों पर होगा चुनाव

लोकतंत्र के महापर्व एपिसोड दो में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रेल को देश की 89 लोकसभा सीटों पर चुनाव होगा। राजस्थान में भी दूसरे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर 152 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा।

राजस्थान में दूसरे चरण में लोकसभा की शेष 13 सीटों टोंक-सवाई माधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालोर सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा-डूंगरपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारां में 152 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। साथ ही बांसवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के बागीदौरा विधानसभा सीट पर भी उप चुनाव हो रहा है। यह सीट कांग्रेस विधायक महेंद्र जीत सिंह मालविया के इस्तीफा देने से खाली हुई है। मालविया बांसवाड़ा लोकसभा सीट से बतौर भाजपा प्रत्याक्षी लोकसभा का चुनाव लड़ रहे है। राज्य में लोकसभा की कुल 25 सीटें हैं जिनमें से 12 लोकसभा सीटों पर मतदान 19 अप्रैल को हो गया था।दूसरे चरण के चुनाव के साथ ही राजस्थान में सभी 25 लोकसभा सीटों पर चुनाव का कार्य संपन्न हो जाएगा।

भाजपा राजस्थान में पिछले दोनों 2014 और 2019 के आम चुनावों में प्रदेश की सभी 25 सीटों पर लगातार विजय प्राप्त कर क्लीन स्वीप कर रही है। इसके चलते उसके सामने फिर से सभी सीटें जीतने की चुनौती है। वहीं, कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलने के लिए बेताब नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव का परिणाम 4 जून को अन्य सभी प्रदेशों के साथ ही सबके साथ ही आएगा।

राजस्थान में दूसरे चरण का चुनाव काफी रोचक है क्योंकि इनमें कई सीटों पर दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। विशेष कर उनमें दो पूर्व मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत एवं वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, दो केंद्रीय मंत्रियों गजेंद्र सिंह शेखावत और कैलाश चौधरी,भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी मुख्य रूप से शामिल हैं।

राजस्थान के हाई प्रोफाइल इन नेताओं विशेष कर अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे अपने-अपने बेटों को जिताने के लिए उनकी सीटों जालौर सिरोही और झालावाड़ में ही डेरा जमाए हुए हैं। इसके अलावा कुछ अन्य हाई प्रोफाइल नेताओं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत एवं  कैलाश चौधरी, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी तथा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सी पी जोशी की सीटें ऐसी हैं, जहां मुकाबला बहुत रोचक,रोमांचक एवं संघर्षपूर्ण बताया जा रहा है।
राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर, जोधपुर, कोटा, जालौर-सिरोही और बांसवाड़ा-डूंगरपुर आदि लोकसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर सबकी निगाहें हैं। पिछले 2019 के चुनाव में ये सभी सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धुंआधार चुनावी रैलियों कर कांग्रेस और गहलोत की पूर्ववर्ती सरकार पर चुन-चुन कर आरोप प्रत्यारोप लगा कर भाजपा को प्रदेश की सभी सीटों पर विजय दिलवा जीत की हैट्रिक लगाने का प्रयास किया है। वहीं, कांग्रेस की तरफ से भी केंद्र सरकार के साथ ही प्रदेश सरकार पर निशाना साधा गया है और विधानसभा की हार को लोकसभा चुनाव में जीत में बदलने का प्रयास किया गया है। भाजपा के मुकाबले दूसरे चरण में भी कांग्रेस का प्रचार अभियान ढीला रहा है और कांग्रेस के बड़े नेताओं के दौरे भी नगण्य से रहे है।

कोटा बूंदी लोकसभा सीट

हाडोती की कोटा बूंदी लोकसभा सीट भी हॉट सीट बन गई है। इस सीट पर भाजपा ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने उनके ही पूर्ववर्ती साथी भाजपा से इस्तीफा देकर आए प्रहलाद गुंजल को मैदान में उतारा है। इस सीट पर मुकाबला वक्ष ही बहुत रोचक हो गया है, क्योंकि यहां वास्तविकता में टक्कर भाजपा के ही पूर्व और मौजूदा दिग्गजों में हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के सामने भाजपा से ही कांग्रेस में गए पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल हैं। गुंजल चार महीने पहले विधानसभा का चुनाव भाजपा के टिकट पर लड़े थे। बिड़ला को भाजपा के वोट कटने का खतरा है, तो कांग्रेस में भितरघात की आशंका भी है। पूर्व नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल से चुनावी कांच पर ही प्रहलाद गुंजल से हुई बहस भी चर्चा में है।भाजपा अपने परंपरागत शहरी वोटों पर तो कांग्रेस अल्पसंख्यकों को लेकर आश्वस्त हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में मीणा-गुर्जर वोटों का बंटवारा बहुत हद तक परिणाम प्रभावित करेगा। एक-एक वोट को बटोरने के लिए भाजपा की ओर से मंत्री किरोड़ी लाल मीणा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री अशोक चांदना और क्षेत्र के युवा नेता नरेश मीणा दिन रात मशक्कत में जुटें हैं।

जोधपुर

जोधपुर से केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भाजपा प्रत्याशी है। उनके पास प्रधानमंत्री मोदी के नाम की सबसे बड़ी ताकत है। राम मंदिर जैसे मुद्दों और प्रदेश में पानी की परियोजनाओं पर कराए काम के दम पर वह जीत को लेकर आश्वस्त हैं। उनके सामने कांग्रेस के करणसिंह उचियारड़ा नया चेहरा हैं, लेकिन अपने प्रचार में वह चुनाव को जोधपुर के स्थानीय समीकरणों तक लाने में सफल दिखे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृहनगर होने के कारण यहां गहलोत की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।गहलोत संजीवनी को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसायटी प्रकरण में शेखावत पर  गंभीर आरोप लगा उन्हे परेशान करते रहे हैं। हालाकि गहलोत के पूर्व ओ एस डी मीडिया लोकेश शर्मा  द्वारा चुनाव से पहले ही गहलोत पर फोन रिकार्डिंग मामले में गंभीर आरोप लगा सनसनी फैला दी है। इसका लाभ शेखावत को मिल सकता है। इधर भाजपा के ही विधायक बाबूसिंह राठौड़ से शेखावत की तनातनी भी क्षेत्र में चर्चा का विषय है। यहां राजपूत,अल्पसंख्यक वोटों के अलावा विश्नोई, जाट, ब्राह्मण और माली मतदाता निर्णायक स्थिति में हैं।

बाड़मेर-जैसलमेर

यहां से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भाजपा की ओर से मैदान में हैं जबकि कांग्रेस ने यहां से रालौपा छोड़  कर आए उम्मेदाराम बेनीवाल को अपना उम्मीदवार बनाया है।
लेकिन निर्दलीय विधायक रवींद्र सिंह भाटी के मैदान में आने से केंद्रीय राज्य मंत्री चौधरी त्रिकोणीय संघर्ष में फंस गए हैं। जाट वोटों में बंटवारा होने की आशंका के चलते इस सीट पर जीत का गणित मूल ओ बी सी, एस टी एस सी राजपूत और अल्पसंख्यक वोटों  से निकलेगा। भाटी गुजरात जाकर केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला प्रकरण को हवा दे आए हैं। इसके अलावा अल्पसंख्यक वोट में भी सेंधमारी कर रहे हैं। इधर, कांग्रेस जाट और अल्पसंख्यक वोटों की लामबंदी से मैदान मारने की तैयारी में जुटी है। चौधरी को प्रधानमंत्री मोदी के नाम का सहारा तो है, लेकिन जातिगत और पार्टी के कोर वोटों में सेंधमारी रोकना उनके लिए चुनौती बना हुआ है।

बांसवाड़ा-डूंगरपुर

बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट भी हॉट  सीट बन गई है। यहां सभी प्रत्याशी आदिवासी समुदाय के हैं और निर्णायक भी आदिवासी मतदाता हैं। पूरा चुनाव जनजातीय मुद्दों पर टिका है। दशकों से क्षेत्र में कांग्रेस के बड़े आदिवासी चेहरे और कई बार के विधायक और मंत्री रहे महेंद्रजीत सिंह मालवीय को इस बार भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप ) के उम्मीदवार डूंगरपुर जिले की चौरासी सीट से विधायक राजकुमार रोत हैं। कांग्रेस ने यहां बाप से गठबंधन किया है लेकिन कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार अरविन्द डामोर ने अंतिम समय में नामांकन वापस नहीं लेकर कांग्रेस को दुविधापूर्ण स्थिति में डाल दिया है। ऐसे में मुकाबला कहने को त्रिकोणीय है, लेकिन कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को  मजबूरी में अपना समर्थन बाप के राजकुमार रोत का करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में इस सीट पर सभा के दौरान मंगलसूत्र वाला बयान देकर क्षेत्र को पूरे देश में चर्चित कर दिया था।
लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दक्षिणी राजस्थान में बांसवाड़ा डूंगरपुर आदिवासी सीट पर जबर्दस्त मुकाबला हों रहा है। यहां कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए महेन्द्र जीत सिंह मालविया का भारतीय आदिवासी पार्टी बाप के राज कुमार रोत के साथ जोरदार संघर्ष है।

जालोर-सिरोही

जालोर सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार भले ही वैभव गहलोत हों, लेकिन यह चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बन गया है। पुत्र को संसद पहुंचाने के लिए अशोक गहलोत ने प्रचार का अधिकांश समय इसी सीट पर बिताया है। पिछला चुनाव वैभव जोधपुर में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से हार गए थे। पटेल समुदाय के वोट बहुतायत में होने के कारण इस सीट पर गुजराती संस्कृति का असर भी है। ऐसे में अशोक गहलोत गुजरात तक का दौरा कर आए हैं। भाजपा के निवर्तमान सांसद देवजी पटेल विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसलिए भाजपा की ओर से उनका टिकट काट उनके स्थान पर लुंबाराम चौधरी को नए चेहरे के तौर पर उतारा  है।

कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती भाजपा प्रत्याशी लुंबाराम चौधरी स्वयं हैं. लुंबाराम चौधरी काफी सामान्य और सरल व्यक्ति हैं. ऐसे में जालौर-सिरोही क्षेत्र की जनता उनके लो-प्रोफाइल व्यवहार के चलते काफी प्रभावित है. भाजपा के चुनाव प्रबंधन और राष्ट्रीय नेताओं के दौरे और कैंपेन स्ट्रेटजी को भी चुनौती देने में कांग्रेस प्रत्याशी फीके पड़ते हुए नजर आ रहे हैं. हालांकि, भाजपा ने इस बार अपने तीन बार के सांसद देवजी पटेल का टिकट काटकर लुंबाराम को मैदान में उतारा है. यह भाजपा के लिए एक मजबूत सीट मानी जाती है. यहां बीते चार चुनावों से भाजपा जीतती आई है।मूल रूप से जोधपुर  के निवासी वैभव गहलोत के सामने जालौर-सिरोही लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी चुनौती उनका बाहरी होना माना जा रहा है. क्योंकि एक तरफ जहां भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बना रही है तो वहीं कांग्रेस का एक तबका भी वैभव गहलोत के जालौर से चुनाव लड़ने से काफी खफा है. इसका खामियाजा उन्हें इस चुनाव में उठाना पड़ सकता है. हालांकि, कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इस प्रकार का भाव कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में नहीं है और हर परिस्थिति में डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी लगी हुई है।

भीलवाड़ा

राजस्थान की कपड़ा नगरी भीलवाड़ा में लोकसभा सीट भी कम चर्चा में नही है। यहां कांग्रेस की ओर से पूर्व विधान सभा अध्यक्ष  डॉ सी पी जोशी  चुनाव लड़ रहे है । जोशी कांग्रेस के एक मात्र वरिष्ठ नेता है जोकि इस बार चुनाव मैदान में है।जबकि भाजपा ने यहां के निवर्तमान सांसद सुभाष बहेडिया का टिकट काट कर  प्रदेश भाजपा के महा सचिव दामोदर अग्रवाल को टिकट दिया है ।
डॉ सीपी जोशी वर्ष 2009 से 2014 तक लोकसभा में भीलवाड़ा का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस दौरान जोशी, मनमोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। उसे समय डॉ जोशी ने भीलवाड़ा में पीने के पानी की गंभीर समस्या को चंबल नदी से पानी लाकर पूरा किया था। आज इस चंबल के पानी और सड़कों के विकास के नाम पर डॉ जोशी चुनावी मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ जोशी ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने सोमनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था, पर वह किसी कोर्ट के फैसले के कारण नहीं था। आज राम मंदिर का निर्माण तो कोर्ट के फैसले के कारण हुआ है लेकिन केवल मंदिर निर्माण से देश की समस्याओं का हल नहीं हो सकता है।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां निवर्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया विजयी हुए थे। इसी प्रकार 2019 में भी भाजपा से सुभाष बहेडिया देश में चौथी और राजस्थान में सर्वाधिक 6 लाख 12 हजार रिकॉर्ड मतों से जीतकर संसद पहुंचे थे। इस बार लोकसभा चुनाव के मैदान में भाजपा प्रत्याशी दामोदर अग्रवाल केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों के साथ ही गहलोत सरकार में हुए पेपर लीक और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी सी.पी. जोशी चंबल पेयजल योजना और राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण पर किए काम के मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं।वैसे तो भीलवाड़ा लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में 10 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी दामोदर अग्रवाल और कांग्रेस प्रत्याशी डॉ सीपी जोशी के बीच देखने को मिल रहा है।

चितौड़गढ़

चितौड़गढ़ लोकसभा सीट से प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी चुनाव लड़ रहे है। इस सीट पर कांग्रेस ने गहलोत सरकार के पूर्व मंत्री उदय लाल आजना को चुनाव मैदान में उतारा है। सी पी जोशी पिछले दो लोकसभा चुनाव जीत चुके है और उनके तीसरी बार भी चुनाव जीतने की उम्मीद है। हालाकि शुरू में भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव जीतने वाले स्थानीय विधायक चंद्रवीर सिंह आक्या से अदावत के कारण उनसे भीतरघात होने का खतरा था लेकिन मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया। इधर आजना भी जोर आजमाईश करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे है।

पाली

पाली लोकसभा सीट से भाजपा के निवर्तमान सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी पी चौधरी तीसरी बार  अपना भाग्य जमा  रहे है। देश के सीनियर एडवोकेट चौधरी क्षेत्र के लोकप्रिय नेता है। वे सिरवी वर्ग ही और उनकी पत्नी जाट समुदाय से है। यह जातीय संतुलन उनके पक्ष में है क्योंकि दिनों समुदाय के वोटर्स की संख्या यहां सबसे अधिक है। पी पी चौधरी के मुकाबले कांग्रेस ने एक नई उम्मीदवार संगीता बेनीवाल को खड़ा किया है।

पीपी चौधरी राजस्थान से दो बार सांसद रह चुके हैं. बीजेपी ने एक बार फिर उन पर विश्वास जताया है. 2014 में बीजेपी ने उनको लोकसभा प्रत्याशी बनाया था. पहली बार 2014 में उन्होंने चुनाव लड़ा. जिसमें उनकी जीत हुई. पीपी चौधरी का जन्म जोधपुर के एक किसान परिवार में हुआ है।

राज्य बाल सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल दो बार रही हैं. पाली सीट से उनको बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित किया है. कांग्रेस ने सीट पर संगीत बेनीवाल को प्रत्याशी घोषित कर सभी को चौंका दिया है.
संगीता बेनीवाल जोधपुर देहात महिला कांग्रेस की जिला अध्यक्ष रह चुकी हैं। वे जोधपुर से पार्षद का चुनाव लड़ चुकी हैं ।

पाली लोकसभा क्षेत्र सीरवी, विश्नोई, राजपूत, जाट और अनुसूचित जाति बाहुल्य का क्षेत्र माना जाता है. पाली लोकसभा सीट की बात करें तो इसमें कुल 8 विधानसभा सीट आती है. इनमें जोधपुर जिले की ओसियां, भोपालगढ़ और बिलाड़ा  और पाली की पाली, सोजत, सुमेरपुर, मारवाड़ जंक्शन, बाली शामिल हैं. वर्तमान में छह सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. वहीं दो सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है ।

टोंक-सवाई माधोपुर

टोंक-सवाई माधोपुर सीट पर वर्तमान सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया को भाजपा ने पुनः अपना प्रत्याक्षी बनाया है जबकि कांग्रेस ने पूर्व सांसद हरीश मीना को उम्मीदवार बनाया है। यहां भजन लाल शर्मा मंत्रिपरिषद के वरिष्ठतम मंत्री डा किरोड़ी लाल मीणा और कांग्रेस के विधायक और पूर्व उप मुख्य मंत्री सचिन पायलट की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। टोंक-सवाई माधोपुर में जौनपुरिया मोदी लहर और हरीश मीना गुर्जर मीणा एवं मुस्लिम वोटरों के भरौसे है।

राजसमंद

राजसमंद सीट पर मेवाड़ राजघराने की महिमा विश्वेश्वर सिंह भाजपा उम्मीदवार है ।वे नाथद्वारा विधायक  विश्वेश्वर सिंह मेवाड़ की पत्नी है। उनके समक्ष कांग्रेस ने भीलवाड़ा से शिफ्ट किए डॉ दामोदर गुर्जर को अपना प्रत्याक्षी बनाया है। यहां से पिछला चुनाव प्रदेश की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने चुनाव जीता था। राजपूत प्रधान इस सीट पर दो से अधिक जिलों के मतदाता वोटर है।

उदयपुर

उदयपुर लोकसभा सीट पर दो पूर्व नौकर शाह आपस में भिड़ रहे है। ताराचंद मीणा  कांग्रेस और डॉ मन्ना लाल रावत भाजपा उम्मीदवार ही। उदयपुर मेवाड़ क्षेत्र में भाजपा का मजबूत गढ़ है लेकिन उदयपुर जिला कलेक्टर रहे ताराचंद मीणा ने यह kotda और अन्य आदिवासी इलाकों में काफी काम किया है। डॉ मन्ना लाल रावत पूर्व में अतिरिक्त परिवहन आयुक्त रहे है और उनको भाजपा और आर एस एस में गहरी पैठ है।

अजमेर

अजमेर लोकसभा सीट पर छपा ने पिछले विधान सभा चुनाव में पराजित हुए निवर्तमान सांसद भागीरथ चौधरी को एक बार फिर से लोकसभा का चुनाव लडने k मौका दिया है। कांग्रेस ने इस सीट पर डेयरी फेडरेशन अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को टिकट देकर यहां मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है,क्योंकि बीजेपी ने यहां से दूसरी बार भागीरथ चौधरी को टिकट दिया है. जिससे अजमेर सीट पर अब चौधरी विरुद्ध चौधरी का मुकाबला हो गया है।वहीं अजमेर की जनता भी काफी दिलचस्प है क्योंकि यहां जनता हर बार अपना विकल्प बदल देती है. यानी एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी उम्मीदवार के जीतने की परंपरा चली आ रही है। इस बार क्या होंगा यह भविष्य के गर्भ में है।

झालावाड़-बारां

राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके पुत्र दुष्यंत सिंह का पिछले 35 सालों से झालावाड़ संसदीय क्षेत्र में राजनीतिक दबदबा हैं और इस बार भी प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को इस क्षेत्र में होने वाले चुनाव में दुष्यंत सिंह लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने एवं अपना दबदबा बरकरार रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी के रुप में चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। जहां उनका मुख्य मुकाबला पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी एवं कांग्रेस उम्मीदवार उर्मिला जैन भाया से है। वसुंधरा राजे अपने पुत्र की जीत को सुनिश्चित करने के लिए पहले दिन से ही यहां जुटी हुई है और गांव गांव ढाणी ढाणी सघन जनसंपर्क कर लोगों को 35 वर्षों के गहरे रिश्ते और यहां कराए गए कार्यों का स्मरण करा रही है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान की इन 13 सीटों पर शुक्रवार को मतदाता किन किन उम्मीदवारों पर एतबार कर उनके नाम के आगे ई वी एम मशीन का बटन दबाते है?
 


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