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उदयपुर में प्राकट्योत्सव “सनातन पुनरूत्थान दिवस” के रूप में मनाया जायेगा

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27 Dec 23
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उदयपुर में प्राकट्योत्सव “सनातन पुनरूत्थान दिवस” के रूप में मनाया जायेगा

श्री आनंदम धाम पीठ के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत सद्गुरु श्री रितेश्वर जी महाराज का झीलों की नगरी उदयपुर में प्राकट्योत्सव “सनातन पुनरूत्थान दिवस” के रूप में मनाया जायेगा ।
आयोजन  समिति के मीडिया प्रभारी डॉ.विक्रम मेनारिया ने बताया कि आगामी जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में श्री आनंदम धाम पीठ के पीठाधीश्वर राष्ट्रीय संत सद्गुरु श्री रितेश्वर जी महाराज का उदयपुर में प्राकट्योत्सव "सनातन पुनरूत्थान दिवस" के रूप में मनाया जा रहा है । जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे।
सद्गुरु 4 जनवरी को दोपहर 2 बजे उदयपुर के समोर बाग महल पहुचेंगे , जहां मेवाड़ राजपरिवार के महाराज कुमार साहब और नाथद्वारा विधायक विश्वराज सिंह मेवाड़ और राजपरिवार के द्वारा मेवाड़ी रीति नीति से स्वागत अभिनंदन किया जायेगा।
उसके बाद शाम को होटल प्राइड में 5 से 6 बजे के मध्य गुरुदेव प्रेस , मीडिया के बंधु भगिनी आदि से रूबरू होंगे ।
5 जनवरी को विवेकानंद सभागार मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में भव्य और विराट प्राकट्योत्सव कार्यक्रम आयोजित होगा।
जिसमे मेवाड़ , वागड़ ही नहीं अपितु सम्पूर्ण देश प्रदेश से गणमान्य हस्तियों के आने का कार्यक्रम है।
गुरुदेव के निजी सचिव स्वप्निल स्वाभाविक ने बताया कि 6 जनवरी को महाराणा प्रताप गौरव केंद्र राष्ट्रीय तीर्थ में संत मिलन और "राष्ट्र की बात स्वयंसेवकों के साथ" शीर्षक पर प्रबोधन कार्यक्रम होगा। जिसमे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय प्रचारक प्रौढ विभाग के कैलाश चंद्र भारती का प्रेरक पाथेय मिलेगा । 
 7 जनवरी को हिरण मगरी सेक्टर 4 मैन रोड स्थित स्वागत वाटिका में सद्गुरु का सानिध्य प्राप्त होगा।
इसी देन आहुति सेवा संस्थान के तत्वाधान में "इंडिया से भारत की ओर" अभियान का शुभारंभ व ऑडियो गीत का लोकार्पण सतगुरु देव श्री रितेश्वर जी महाराज, दिगम्बर संत 1008 श्री खुशाल भारती जी महाराज एवं बावजी हितेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज के कर कमलों द्वारा होगा स्वागत वाटिका में होगा।
इस अभियान में सनातन संस्कृति के संवर्द्धन एवं पुनरुत्थान के लिए कार्य पूरे देश भर में होगा।
"जड़ों से शिखर तक" के इस अभियान के अंतर्गत महत्वपूर्ण विषय सनातन जीवन चर्या,आदर्श जीवन पद्धति, श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार मानव जीवन, संस्कृत संभाषणम,योग एवं मानव जीवन, वेदों का मानव जीवन पर प्रभाव, व्यक्तित्व विकास एवं आजीविका, ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र रहेंगे।


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