उदयपुर, महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से सिटी पैलेस के जनाना महल में दिनांक 21 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2023 तक ‘सर्जन-2023’ मेला का शुभारंभ किया गया। यह मेला देशी गायों के गोबऱ से निर्मित विभिन्न पारम्परिक, उपयोगी एवं सजावटी कलात्मक सामग्री है जिसे देश के विभिन्न शहरों के हस्तशिल्पयों द्वारा निर्मित किया गया है।
महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउण्डेशन के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि पर्यावरण के क्षेत्र में लाभप्रद एवं उपयोगी हस्त निर्मित सामग्री तथा हस्तशिल्पियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिटी पैलेस के जनाना महल में ‘सर्जन-2023’ मेला लगाया गया है ताकि देश-विदेश से यहाँ आने वाले पर्यटकों को देशी गायों के गोबर से बनी इन लाभप्रद सामग्री की जानकारी हो सके तथा इन हस्त कलाकारों के लिए रोजगार के नवीन बाजार उपलब्ध हो सके।
जयपुर के भीमराज शर्मा की संस्था गौकृति भविष्य में पर्यावरण को होने वाले लाभ को ध्यान में रख बायो-डिग्रेडेबल पेपर में वनस्पतियों और सब्जियों के बीज को एम्बेडेड करते है। इस कागज के उपयोग के बाद इन्हें मिट्टी में फंेक दिया जाता है, जो विभिन्न प्रकार के पौधों में विकसित होते हैं और अवशिष्ट कागज से बचे हुए फाइबर का उपयोग उर्वरक के रूप में काम में लिया जाता है। ये पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद होता है। गौकृति संस्था द्वारा 100 से अधिक विभिन्न उत्पादों का नवाचार किया गया है। जिसमें गऊ गोबर पेपर से निर्मित पेन, नोट पेड, डायरियां, धार्मिक पुस्तकें, सजावटी सामग्री, हवन सामग्री, टेबल कैलेंडर आदि है। संस्था ग्रामीण महिलाओं, जेल के कैदियों आदि के लिए भी विभिन्न कार्यशालाएं आयोजित कर उन्हें लाभ पहुंचाती है।
फरीदाबाद, नई दिल्ली की देवात्री इकोलाॅजिकल ग्रीन पेंट्स द्वारा 80 प्रतिशत केमिकल फ्री देशी गायों के गोबर से निर्मित पेंट तैयार किया है जो पर्यावरण के साथ-साथ मानव समाज के लिए भी लाभप्रद है। यह गर्मियों में कम गर्म तथा सर्दियों में कम ठण्डा रखता है।
भोपाल, मध्य प्रदेश की ‘गौकृपा पंचगव्य एवं आयुर्वेद संस्थान’ द्वारा विभिन्न सजावटी, उपयोगी कलाकृतियों के साथ ही पंचगव्य सामग्री के उत्पाद तैयार किये गये है जो पर्यावरण के लिए अति लाभदायक है। इसी प्रकार भोपाल की सेवा भारती गोबर शिल्प एवं स्वयं सहायता समूह देश में महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से मातृशक्ति एवं बहनों को रोजगार उपलब्ध करवाता है और देशी गायों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु कई आयोजन करता है।
गौ-समग्र संस्था देश भर में गौ संरक्षक, गौ-संवर्धक, गौ-पालक, गौ-प्रेमी, गौ-उत्पादक, गाय के गोबर से बनाने वाले कारीगर जो कि राखी, मूर्ति, दीपक, पूजा की थाली, पूजा चैकी, मोबाइल स्टेण्ड, झूला, सिंहासन, वन्दनवार, मोमेंटों, फ्रेम, गहने आदि के साथ गाय के गोबर से पेंट-पुट्टी, प्लास्टर, बायो फ्यूल बनाने वाले उद्यमी के सुझाव-समस्या, आवश्यकता को उचित प्लेटफार्म तक पहुंचाने का एक माध्यम है। गौ समग्र इसके अतिरिक्त समय-समय पर गौ-ज्ञान-विज्ञान संगोष्ठी, परिचर्चा सम्मेलन आदि आयोजित करवाता है। गौ-समग्र ने एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया है वह है गाय की रोटी बैंक नये युग में बच्चों को स्कूल में ही नाश्ता एवं भोजन मिल जाता है, उन्हें मालूम ही नहीं कि पहली रोटी गाय को देने की परम्परा है।
राष्ट्रीय स्तर की इन संस्थाओं का प्रथम उद्देश्य उन गायों की रक्षा करना है जो अपने बच्चों को स्तनपान कराने में असमर्थ है। गायों की रक्षा के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा करना तथा बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार का अवसर प्रदान करवाना है ताकि युवाओं का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन करने से रोकने में मदद करना है।
उदयपुर आने वाले पर्यटकों ने हस्तनिर्मित वस्तुओं में खासी रूची दिखाई तथा स्थानीय कला एवं कलाकारों की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इसे वर्तमान परिस्थितियों में पर्यावरण के लिए अति महत्व का बताया।