उदयपुर। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से सिंधी बाजार स्थित पंचायती नोहरे में श्रमण संघीय प्रवर्तक सुकनमुनि महाराज ने चातुर्मास के अवसर पर प्रातः कालीन धर्म सभा में कहा कि जब से अपने जीवन पाया है तब से लेकर आज तक आप सिर्फ सांसारिक कार्यों में ही उलझे रहे। यह मेरा यह तेरा करतें करते अपने समय व्यतीत किया। केवल भोग की वस्तुओं को इकट्ठा करने में लग रहे। पूरा जीवन हाय हाय में निकल गया और बचा खुचा भी निकल जाएगा।
उन्हेांने कहा कि जरा विचार करो कि इस जीवन में अपने आखिर ऐसा क्या पाया जो आप साथ लेकर जाओगे। धर्म ध्यान प्रभु आराधना करने का आपको समय नहीं है। आप जिसके साथ बैठोगे वैसा ही आप करने लगोगे। दयावान के साथ बैठोगे तो दयावान बनोगे, धर्मात्मा के पास बैठोगे तो धर्मात्मा बनोगे, संस्कारवान के साथ बैठोगे तो संस्कारवान बनोगे और संत गुरु के सानिध्य में रहोगे तो धर्म आराधना और जीवन के कल्याण का मार्ग सिखोंगे। दया केवल कहने मात्र से नहीं आती है उसे भी जीवन में धारण करना पड़ता है। अगर जीवन को सार्थक और सफल बनाना है तो जीवन में दया और अनुकंपा को लाना होगा।
उप प्रवर्तक अमृतमुनि श्री ने कहा कि अब उम्र बढ़ नहीं रही है बल्कि घट रही है। हमारे मनुष्य जीवन का अंत आए उसके पहले ही प्रबुद्ध बन जाए धर्म मार्ग अपनाएं। धर्म वहां है जब हम किसी गिरे को उठाते हैं। किसी पीड़ित की मदद करते हैं। आप सभी स्वाध्याय करते हैं सामयिकी करते हैं पूजा आराधना व्रत उपवास तप साधना करते हैं यह सब तो स्वयं के लिए है। इन सब से तो स्वयं का कल्याण होता है लेकिन हम हमारा जीवन सार्थक करने के लिए दूसरों के लिए क्या कर रहे हैं यह विचारणीय है। डॉ. वरूणमुनि ने कहा कि गरीब दीन दुखियों की सेवा करना ही धर्म है। जब तक दूसरों का कल्याण नहीं करोगे खुद का कल्याण नहीं होगा। अधर्म की कोई सीमा नहीं होती। अधर्म से हमेशा जीवन में दूर रहना चाहिए।
महामंत्री रोशन लाल जैन ने बताया कि धर्मसभा में डॉ.वरुण मुनि ने महान संत आत्माराम महाराज,जयमल महाराज एवं चौथमल महाराज की जन्म जयंती के अवसर पर उनके महान जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनका गुणगान किया। धर्म सभा में बाहर से आए अतिथियों का स्वागत सत्कार एवं अभिनंदन किया गया।