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इंसान होकर इंसान के काम आना सबसे बड़ा धर्म - संत श्री ललितप्रभ जी

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23 Sep 23
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इंसान होकर इंसान के काम आना सबसे बड़ा धर्म - संत श्री ललितप्रभ जी

उदयपुर। राष्ट्र-संत महोपाध्याय ललितप्रभ सागर महाराज ने कहा कि जो अन्नदान करता है उसका अन्नभंडार सदा भरा रहता है। व्यक्ति आतिथ्य सत्कार के लिए सदा तैयार रहें। महिलाएं चार मुठ्ठी आटा ज्यादा भिगोए। चार रोटियों से आपके तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर जिसके पेट में अन्न जाएगा उसका बहुत भला हो जाएगा। व्यक्ति वस्त्र दान और औषधि दान करने की भावना रखे। घर में अनुपयोगी अथवा पुराने कपड़ों को देने में संकोच न खाएं। कोई गरीब बीमार हो जाए तो उसे औषधि दिलाने का पुण्य कमाएं। घर के बाहर मटकी भर के रख दें, छत पर कुंडी भर के रख दें ताकि औरों की प्यास बुझाने का सौभाग्य मिल सके। श्रमदान करने की प्रेरणा देते हुए संतप्रवर ने कहा कि आप जिस क्षेत्र में है उस क्षेत्र में श्रमदान करे। व्यापारी महिने में एक दिन न फायदा न घाटे में सामान बेचे, डॉक्टर एक दिन फ्री में देखें, गरीबों के ऑपरेशन निरूशुल्क करें, रक्तदान और नेत्रदान का सौभागय लें।
संतप्रवर शुक्रवार को सूरज पोल, मेवाड़ मोटर्स गली स्थित श्री वासुपूज्य स्वामी भगवान मंदिर एवं दादावाड़ी के विशाल सभागार में आयोजित विशेष प्रवचन-सत्संग में श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दूसरों की भलाई से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है और दूसरों के दिल को ठेस पहुँचाने से बढ़कर कोई पाप नहीं है। जैसे फूल का धर्म है खिलना, काँटे का धर्म है गढऩा, पानी का धर्म है शीतलता और अग्नि का धर्म है उष्ठड्ढता, ठीक वैसे ही इंसान सोचे कि आखिर उसका धर्म क्या है। हम इंसान हैं इसलिए पहले इंसानियम का धर्म अपनाएं और इंसान होकर इंसान के काम आएं। अगर कोई मंदिर में एक ओर लाखों को चढ़ावा बोलता है और दूसरी ओर द्वार पर आए भिखारी को धक्के मार के निकाल देता है तो सोचो उसका धर्म ठीक है?
देने वाला कहलाता है देवता-संतश्री ने कहा कि जो औरों को देता है वही देवता कहलाता है। जो गरीब और जरूरतमंद लोगों के काम आता है, उनकी सेवा करता है भगवान उसकी झौली सदा भरता है। उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना में धन-दौलत नहीं, वरन् औरों के काम आने क ी सेवा मांगना क्योंकि सेवा से मेवा अपने आप बरसने लग जाते हैं। जिसके भीतर औरों का भला करने की भावना है उससे अगर सौ गलतियाँ भी हो जाए तो भगवान उसे माफ कर देता है।
दूसरों की मदद करें-दूसरों की मदद करने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा कि केवल अपने बीबी-बच्चों तक ही सीमित न रहें वरन् दूसरों की मदद भी करें। जो दूसरों की मदद करेगा वह जरूर आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि भाग्य का निर्माण धर्म-कर्म से नहीं मदद करने से होगा। उन्होंने लायंस क्लब, रोटरी क्लब, महावीर इंटरनेशनल, भारत विकास परिषद् जैसी संस्थाओं की अनुमोदना करते हुए कहा कि इन संस्थाओं ने मानव धर्म को अपनाकर इंसानियत की सच्ची सेवा की है जो सदा याद रखी जाएगी।
शनिवार और रविवार को प्रवचन कार्यक्रम - चातुर्मास के संयोजक हंसराज चौधरी ने बताया कि राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ जी और राष्ट्र संत श्री चन्द्रप्रभ जी के दो दिवसीय प्रवचनों का आयोजन 23 व 24 सितंबर, 2023 प्रातः 9 से 11 बजे तक सामुदायिक भवन, पंचरत्न कोम्पलेक्स, बेदला रोड फतेहपुरा में होगा। प्रवचन आयोजक पंचरत्न रेजिडेंट वेलफेयर सोसायटी ने सभी भाई-बहनों को लाभ लेने का अनुरोध किया है।


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