उदयपुर/मेवाड के ६७वें एकलिंग दीवान महाराणा भीमसिंह जी की २५५वीं जयंती महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से मनाई गई। महाराणा का जन्म चैत्र कृष्ण सप्तमी, विक्रम संवत १८२४ (१७६८ ई.) को हुआ था।
महाराणा मेवाड चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के प्रशासनिक अधिकारी भूपेन्द्र सिंह आउवा ने बताया कि पौष सुदी ९ संवत् १८३४, (ई.सं. १७७८ ता. ७ जनवरी) को महाराणा भीमसिंह जी की गद्दीनशीनी सम्पन्न हुई।
बीकानेर की राणी पद्मकुंवरी ने अपने और अपने पति के नाम पर पीछोला के पश्चिमी तट पर ’भीम परमेश्वर‘ नामक शिव मन्दिर बनवाया, जिसकी प्रतिष्ठा वि.सं. १८८४ श्रावक सुदी ८ (ई.सं. १८२७ ता. ३१ जुलाई) को हुई।
महाराणा का व्यक्तित्व मृदुभाषी, हँसमुख, दयालु, कोमल स्वभाव, लोकप्रिय, दीनवत्सल, क्षमाशील और अत्यन्त उदारवादी थे। कर्नल टॉड ने बताया कि वे बहुत अच्छे सलाहकार, बुद्धिमानी और निर्णय पर पहुँचने वाले व्यक्ति थे। महाराणा कवियों एवं विद्वानों के आश्रयदाता थे तथा इतिहास का भी अच्छा ज्ञान था।