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 मात्स्यकी महाविद्यालय मे डॉ उन्नीथान स्मृति व्याख्यान

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27 Jan 23
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 मात्स्यकी महाविद्यालय मे डॉ उन्नीथान स्मृति व्याख्यान

उदयपुर  । एम पी यू ए टी के संगठक मात्स्यकी महाविध्यालय मे डॉ . वी.के.  उन्नीथन को श्रद्धांजली स्वरूप स्मृति व्याख्यान अयोजित हुआ। पूर्व अधिष्ठाता डॉ सुबोध शर्मा ने बताया कि डॉ वी के उन्नीथान ने अंतर्देशीय मीठे पानी की मत्स्यकि के क्षेत्र में उल्लेखनीय शोध कार्य किया है, मत्स्य विज्ञान मे उनका विशेष उल्लेख किया जाता है। उदयपुर के सरोवर विज्ञान एवं मात्स्यकी विभाग जो कि आज मात्स्यकी महाविद्यालय का रुप ले चुका है से जयसमंद की सरसी मछली पर शोध कार्य के लिऐ उन्हें पी एच डी उपाधि प्रदान की गई थी। बाद में उन्होने तस्मानिया ऑस्ट्रेलिया से पोस्ट डॉक्टरेट किया और आई सी ए आर के विभिन्न अनुसंघान संस्थानों में वैज्ञानिक के रुप में सेवाएं दीं। 25 जनवरी 1952 को जन्मे डॉ उन्नीथन की जयंती पर रत्नागिरी, महाराष्ट्र स्थित मात्स्यकी महाविद्यालय के जलीय पर्यावरण विभागाध्यक्ष डॉ मिलिंद सावंत ने राजस्थान सहित अन्य राज्यों में बढ़ते झींगा पालन की उन्नत पालन विधि और प्रबंध पर सारगर्भित स्मृति व्याख्यान दिया। उन्होने बताया कि कुछ जरूरी बातों का ध्यान रख कर और अच्छी जल गुणवत्ता बनाए रख कर भूगर्भीय खारे पानी से अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होने विद्यार्थियो का उत्साह वर्धन करते हुए उनकी जिज्ञासा का समाधान भी किया। विभागाध्यक्ष डॉ एम एल ओझा ने डॉ सावंत को महाविध्यालय की विभिन्न गतिविधियों का आवलोकन भी करवाया। इस अवसर पर डॉ मधु सूदन शर्मा, पूर्व कुलपति कोटा विश्वविद्यालय, अधिष्ठाता डॉ बी के शर्मा, डॉ एम एल ओझा, पूर्व उप निदेशक मत्स्य विभाग श्री ए के पुरोहित तथा अन्य ने डॉ उन्नीथान को श्रद्धांजली दी। पूर्व अधिष्ठाता एवं पर्यावरण विद डॉ एल एल शर्मा ने डॉ उन्नीथान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होने बताया कि सीआईएफआरआई में विशालकाय सेल अचतिनुतुलिका के प्रजनन और पालन-पोषण पर उनके काम व उत्कृष्ट शोध के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर के आईसीएआर टीम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 


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