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झाला मानसिंह के बलिदान दिवस पर वर्चुअल कवि सम्मेलन में गूंजे वीरता के शब्द

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19 Jun 21
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झाला मानसिंह के बलिदान दिवस पर वर्चुअल कवि सम्मेलन में गूंजे वीरता के शब्द

उदयपुर  । बड़ीसादड़ी जैन चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा महाराणा प्रताप के सिपहसालार रहे झालामान के 445 वें बलिदान दिवस पर 18 जून  को एक शाम झालामान के नाम विराट कवि सम्मेलन वर्चुअल रूप में आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन में जहंा हास्य की फुलझड़ियों से हास्य के ठहाके लगे,वहीं झाला मान के बलिदान पर रचित कविता पाठ ने बाजुओं में जोश भर दिया। कवि सम्मेलन में पेट्रोल के बढ़़ते दामों पर तंज कसा गया।    
कवि सम्मेलन का संचालन करते हुए शहर के राष्ट्रीय कवि राव अजातशत्रु ने अपना कविता पाठ करते हुए ‘झाला मन्ना के वीर बढ़े कद काठी थी मन्ना की,राणा को जीवित रहना है,यह माटी थी राणा की,यदि राणा वीर गति पायेंगे क्या मुंह दिखलायेंगे, युद्ध भले जीतेंगे हम,पर हारे कहलायेंगे। जख्मी राणा की क्रोध अग्नि ने तेवर दिखा दिया था, करबद्ध प्रार्थना कर कर के राणा को विदा किया था,बस पलक झपकते देर लगी,किया स्वंाग राणा का,जितना भी जीया मगर किरदार जीया राणा का,महाराणा प्रताप की यों रक्त लिखी कुर्बानी को, हम नमन करें ,झाला मन्ना की उस पुरजोर जवानी को...‘
इटावा के कवि राम भदावर ने ‘जैसे चढ़े कमान तान भृकुटी चढ़ायी माथे पर शिवजी के नेत्र को जला दिया,कंधे फुला के बना दिये अरावली से सीने को विशाल मरहूम सा बना दिया आंखे तो झांके तो विशाल रत्नाकर सी लाल ने ललाट अम्बरों से बना लिया, राणा का मुकुट अपने शीश पर उठाया नहीं,झाला ने आवन्त शीश पर उठा लिया......‘ हास्य कवि जयपुर के कवि कमल मनोहर ने कविता पाठ में कहा ‘मेरे देश की किस्मत ही शायद खराब है.इस देश की किस्मत पे अजीब सा अजाब है, बीजेपी-कंाग्रेस में इतना सा फर्क है एक का दुल्हा बाबला और एक की बारात खराब है...‘ प्रतापगढ़ से आये हास्य कवि एवं पैरोडी किंग पार्थ नवीन ने ‘सौ रूपयें के एक लीटर पेट्रोल को सलाम,तेरी बढ़़ती उम्र को सलाम...,
भीलवाड़ा के हास्य कवि दीपक पारीख ने ‘गुजरा जो वक्त आज बहारों के बीच में,हमनें भी कर दी शायरी शायरों के बीच में,रिश्तें सुधारनें हो तो दीवार तोड़ दो, क्यों झांकते हो रोज दरारों के बीच में...‘,
उन्होंने कविता पाठ को जारी रखते हुए इस दुनिया को देख जरा तो ,कई तरह के गम होते है,सब लोगों के अपने-अपने अलग-अलग सिस्टम होते है, दंात तोड़ना चाहूं मैं, जिस जिस के अपने हाथों से,उसके मुंह में पहले से दांत मुंह में एक-दो कम होते है...‘ कविता सुनाकर सभी से ठहाके लगानें के मजबूर कर दिया।
अलीगढ़़ की कवियित्री एकता आर्या ने देश को एकता के सूत्र में बंाधने वाली कविता ‘बगिया में मिलेगी तुम्हें सुमन की एकता,पंछी को चाहिये खुले गगन की एकता,यूं तो हजारों मिल गये अनेकता लिये,पर एकता तो चाहेगी, वतन की एकता..‘सुनाकर तालियंा बटोरी।
नीमच की कवियित्री दीपशिखा रावल ने ‘आदी गुरू है सकल विश्व के,गौण कैसे हो जायें हम,धर्म-अधर्म का युद्ध छिडे तो द्रोण कैसे हो जायें हम,हां, सत्य सानातन परम्परा,संरक्षण रहे धरती की,खण्डित होता आर्यव्रत तो मौन कैसे हो जायें हम...‘
कवि सम्मेलन में ख्यातनाम कवि वीर रस के डाॅ. हरिओम पंवार,डाॅ. विष्णु सक्सेना,विनीत चैहान,आशीर्वाद प्रदाता के रूप में इससे जुडे़।
इस अवसर पर ट्रस्ट अध्यक्ष श्याम नागौरी ने ट्रस्ट द्वारा आयोजित की जा रही गतिविधियों की जानकारी देते हुए सभी का स्वागत किया। सचिव अरविन्द जारोली ने अतिथियों का उपरना से स्वागत किया। उपाध्यक्ष मनोहरसिंह मोगरा व अरूण पितलिया ने कवियों को प्रतीक चिन्ह भेंट किये। कार्यक्रम संयोजक यशवन्त आंचलिया ने आभार ज्ञापित किया।
कवि सम्मेलन से वर्चुअल रूप में जुड़े प्रेरणा पाथेय नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया ने आशीर्वचन प्रदान किये। वुर्चअल रूप में ही कवि सम्मेलन की अध्यक्षता चित्तौड़गढ़ संासद सी.पी.जोशी ने की।


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