उदयपुर, राजस्थान स्थापना दिवस समारोह के तहत पर्यटन विभाग व जिला प्रशासन द्वारा लोककला मण्डल में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में उदयपुर (ग्रामीण) विधायक फूल सिंह मीणा, प्रख्यात रंगकर्मी और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर के पूर्व अध्यक्ष भानु भारती, चित्रकार शैल चोयल, डॉ. ललित पाण्डेय, विलास जानवे, भारतीय लोक कला मण्डल उदयपुर के निदेशक लईक हुसैन ने विचार व्यक्त किए। राजस्थान की कला-संस्कृति विषय पर आधारित संगोष्ठी में वक्ताओं ने राजस्थान की बहुमूल्य कला-संस्कृति और गौरवशाली विरासत को सहेजने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पूर्ण रूप से पालन किया गया।
प्रारंभ में कार्यक्रम की नोडल अधिकारी एवं पर्यटन उपनिदेशक सुश्री शिखा सक्सेना ने अतिथियों एवं वक्ताओं का स्वागत किया।
प्रख्यात रंगकर्मी भानु भारती ने अपने उदबोधन में राजस्थान की और विशेषतः मेवाड़ के प्राकृतिक सौन्दर्य, मेवाड़ चित्र शैली, स्थापत्य कला और वीरता का वर्णन किया। भारती ने बताया कि एक साहित्यकार और कला प्रेमी व्यक्ति ही स्वतंत्रता का महत्व समझ सकता है और यही वजह है कि आजादी की लड़ाई में कवियों ने बढ़-चढकर हिस्सा लिया। भारती ने स्वतंत्रता संग्राम और राजस्थान में राजनीतिक जागरुकता के क्षेत्र में विजय सिंह पथिक और केसरी सिंह बारहठ का अहम योगदान बताते हुए राजस्थान की अनमोल कला-संस्कृति और गौरवशाली इतिहास को सहेजन और इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
उदयपुर (ग्रामीण) विधायक फूलसिंह मीणा ने मेवाड़ के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताते हुए महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे महापुरूषों की विरासत को सहेजने की बात कही। विधायक ने हाडी रानी और पन्नाधाय के बलिदान को भी राजस्थान दिवस के अवसर पर नमन करते हुए समाज में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका बताई। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी व प्रबुद्धजन मौजूद रहे।