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महाराणा जगत सिंह द्वितीय की ३११वीं जयंती

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30 Sep 20
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महाराणा जगत सिंह द्वितीय की ३११वीं जयंती

उदयपुर ।  मेवाड के ६२ वें एकलिंग दीवान महाराणा जगत सिंह द्वितीय (शा. १७३४-१७५१ ई.) पिता महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय के निधन के बाद ११ जनवरी १७३४ ई. को मेवाड की गद्दी पर बैठे। इन महाराणा का जन्म आश्विन कृष्ण दशमी विक्रम संवत १७६६ को हुआ था।

महाराणा मेवाड चैरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्री भूपेन्द्र सिंह आउवा ने इस अवसर पर बताया कि महाराणा जगत सिंह द्वितीय को अपने शासन के आरम्भ से ही मराठा आक्रमण का सामना करना पडा था अतः राजपूत राज्यों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर शासकों को संगठित करने में महाराणा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महाराणा जगत सिंह द्वितीय की अध्यक्षता में राजपूत राज्यों के शासकों का एक सम्मेलन १७ जुलाई १७३४ ई. को हुरडा (भीलवाडा) में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, किशनगढ और नागौर के शासकों ने भाग लिया था।

महाराणा जगत सिंह द्वितीय के शासनकाल में विक्रम संवत् १७९८ में श्रीनाथजी मंदिर के तिलकायत महाराज श्री गोवर्धनेश जी के मार्गदर्शन में वैष्णव सम्मेलन व मेवाड में प्रथम सात स्वरूप (७ निधी स्वरूप) के उत्सव का आयोजन नाथद्वारा में हुआ था। इसमें विभिन्न राजपूत राज्यों के शासकों ने भाग लिया था। महाराणा जगत सिंह द्वितीय के शासनकाल के दौरान कृष्णचरित्र और रासलीला पांडुलिपियों का चित्रण किया गया था। महाराणा के द्वारा चित्रों पर कलाकारों के नाम, दिनांक और उनके विषयों का उल्लेख करवाया जाने लगा, इस काल के प्रमुख मेवाडी चित्रकार जयराम, जीवा, फरसा, जुगारसी व बख्ता थे। महाराणा ने मेवाड में नृत्य (कत्थक), संगीत को प्रोत्साहन दिया था। महाराणा के संरक्षण में कवि नंदराम ने ’जगविलास’ की रचना की।

महाराणा जगत सिंह द्वितीय ने ४ मई १७४३ ई. को पिछोला झील में स्थित द्वीप पर सफेद संगमरमर से जगनिवास (ताज लेक पैलेस) का निर्माण प्रारम्भ करवाया, जिसमें खुश महल, बडा महल, फूल महल और ढोला महल बनवाये। इसके अतिरिक्त उदयपुर के राजमहल में पीतम निवास, रस निवास एवं वाराणसी में राणा महल का निर्माण करवाया।


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