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लोकानुरंजन मेल में जीवंत हुई लोक संस्कृति

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24 Feb 20
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लोकानुरंजन मेल में जीवंत हुई लोक संस्कृति

उदयपुर  । भारतीय लोक कला मण्डल के 69 वें स्थापना दिवस पर जीवंत हुई भारत कि लोक संस्कृति (Folk Culture of India)जिसमें देश के प्रसिद्ध नृत्य एवं हस्त कला (Country's famous dance and hand art)के बेजोड़ नमूने प्रदर्शित किये गए।
भारतीय लोक कला मण्डल (Board of folk art of india)के निदेशक डाॅ. लईक हुसैन ने बताया कि राजस्थान, जोधपुर से आए 10 सदस्यीय लंगा दल ने राजस्थान के पारम्परिक लोक गीतों की प्रस्तुति (Presentation of traditional folk songs of Rajasthan)से कार्यक्रम की शुरूआत की। तमिलनाडु से आए 15 सदस्यीय दल ने थिपुसम त्यौहार के अवसर पर किये जाने वाले पारम्परिक लोक नृत्य कावडी आट्टम की प्रस्तुत दी।  राजस्थान के बारां जिले से चकरी नृत्य एवं सहरियां स्वांग, वालर नृत्य सिरोही, लाल आंगी बालोतरा, अलवर से भपंग वादन, गुजरात से राठवां दल के कलाकारों ने अपनी गति एवं पिरामिड से दर्शकों के मध्य समा बांधा तो अरूणाचल प्रदेश से आए कलाकारो ने पारम्परिक वस्त्रों में सजधज कर एनेय-ना लोक नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी तो पंजाब से आए कलाकारो ने पंजाब के विश्व प्रसिद्ध लोक नृत्य (World famous folk dance)भांगड़ा की बहुत ही शानदार प्रस्तुति दी, जिसे लोगो ने बहुत पसन्द किया और कलाकारों ने दर्शको की खूब तालियाॅं भी बटोरी ।

उन्होने बताया की संस्था परिसर में आयोजित किये जा रहे  शिल्प मेले में आजमगढ़ (उ.प्र.) की मशहूर बनारसी साड़ीयाँ मेले में आने वाले दर्शको को लुभा रही है। इसके साथ ही   जयपुर के  पत्थरों के आभूषण, मोलेला (राजसमन्द) के मिटृी के खिलोने, गाजियाबाद की सींग और हड्डी से बनी वस्तुएं, जयपुर की लाख की चूड़िया, चित्तौड़गढ़ से हस्त निर्मित कागज़ की बनी वस्तुएं गुजरात के कच्छ से आए पैच वर्क, उदयपुर के क्रोश्या के साथ ही ट्राईफेड इण्डिया (Trifed india)द्वारा देश के विभिन्न राज्यों की बनी शिल्प वस्तुएॅ मेले का मुख्य आकर्षण है। जिन्हे आमजन काफी पंसद कर रहा है ।

डाॅ लईक हुसैन ने बताया कि उक्त समारोह राजस्थान कला एंव संस्कृति विभाग, राजस्थान सरकार, संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, जोधपुर, पश्चिम क्षैत्र सांस्कृतिक केन्द्र, उदयपुर, दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, तंजावुर, पंजाब संगीत नाटक अकादमी, चंडीगढ़, पंजाब फोक आर्ट सेंटर, गुरूदासपुर, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर के सहयोग से आयोजित किये जा रहा है, जिसमें दूसरे दिन देश के विभिन्न प्रांतों से आये लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से बिखेरी (Folk artists from various provinces of the country dispersed their performances) लोक संस्कृति की महक।
उन्होने  यह भी बताया कि कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था के उपाध्यक्ष, रियाज़ तहसीन ने मुख्य अतिथि- डाॅ. एच.एल. खमेसरा एवं डाॅ. आशा खमेसरा एवं गणमान्य अतिथियों का स्वागत कर भारतीय लोक कला मण्डल के संस्थापक पद्मश्री देवीलालजी सामर सा. की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित करने के बाद कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ

लोकानुरंजन मेले के तीसरे एवं अंतिम दिन भी देश के विभिन्न प्रान्तों से आए लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियाॅं देगें जिसमें दर्शकों का प्रवेश निःशुल्क रहेगा ।


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